कुल के बाद शाह के184 वें उर्स का शान्तिपूर्व समापन!
अमन-ओ-खुशहाली की दुआएं को हजारो उठे हाथ!
शाहजहाँपुर-२० मार्च २०१९!
(न्यूज़ वाणी से इमरान सागर)
उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में शाह के १८४ वें सालान उर्स का कुल शरीफ के बाद समापन हो गया!
शाह के तीन दिनी उर्स और कुल शरीफ में हजारो जायरीनो की भारी भीड़ की सुरक्षा के मद्देनज़र पुलिस बल तैनात रहने के साथ ही फायर बिग्रेट की गाड़ी भी मौके पर तैनात रही!
जिले के तिलहर स्थित देश भर में प्रसिद्ध शाह शमशुद्दीन मियाँ रहमतउल्ला अलैह का १८४ वां सालाना उर्स कुल शरीफ के बाद शान्ति पूर्ण तरीके से समापन हो गया! हालाकि उर्स में शरीक़ होने बाले लाखो जायरीनो और मेले का माहौल लगभग अभी कितने दिन और चलेगा कहना मुश्किल है क्यूंकि शाह के चाहने बाले, मुरीदो में दशको से हिन्दु मुस्लिम एकता की तहजीब मिसाल बनी हुई है!
सुबह लगभग नौ बजे सज्जादा नशीन इक़बाल हुसैन उर्फ मिंयाँ की जेरे सरपरस्ती में महफिल-ए-कुल का आगाज़ कारी शाहिद रज़ा ने, तिलावत-ए-कुरआन से किया!
बिलग्राम शरीफ से आये पीरे तरीकत हजरत सैयद बादशाह हुसैन मियां वास्ती ने कुल शरीफ के मौके पर कहा कि अल्लाह के नेक बन्दो ने इबादत व रियाज़त करके ऊंचा मर्तबा व मकाम पाया है, इन औलिया-ए-कराम ने अपनी ज़िन्दगी अल्लाह के हुक्म के मुताबिक गुज़ारी, इसीलिए आज इनकी दरगाहों पर लोग हाज़िर होकर फैज़ पाते है!
कारी इदरीस रजा ने कहा कि अगर मुसलमान हकीकत में अल्लाह की रजा और खुशनूदी हासिल करना चाहते हैं तो नमाज की पाबंदी करें! कारी फुरकान रजा नूरी ने लोगों से इल्म-ए-दीन हासिल करने पर जोर दिया! सैयद बादशाह मियां ने सज्जादानशीन इकबाल हुसैन उर्फ फूलमियां को अपना खलीफा मुकर्रर किया और उनके दस्तार बांध कर शिजरा पढ़ा! इसके बाद कुल शरीफ में कौम व मिल्लत की खुशहाली व सलामती के साथ मुल्क में अम्नो अमान की दुआ के लिए बादशाह मियाँ के साथ शरीक हजारो हाथ उठ गये! बाद दुआ के कव्वाल शाहिदीन रामपुर, वसीम वारसी, मासूम साबरी, अकील चिश्ती आदि ने रंग व कव्वाली पेश की! शाह शम्सुददीन मियां के उर्स में मदरसा शमसिया फैजाने हातम में हिफ्ज़ मुकम्मल करने वाले सात छात्रों की हजरत बादशाह मियां ने दस्तारबंदी व गुलपोशी कर सनद दी! इन छात्रों में हुसैन रजा, अब्दुल लतीफ, शुएब रजा, जुनैद रजा, मोहम्मद अमन रजा, मोहम्मद तफजील रजा, मोहम्मद सुब्हान रजा शामिल रहे!
कुल शरीफ में शहर इमाम हाजी मोहम्मद स्वालेह उर्फ शद्दन मियाँ, सैयद इफ्तेखार हुसैन उर्फ मुन्नन मियाँ, शहर काजी मोहम्मद अकरम(सलीम), अकीलुर्रहमान, वकार मियां हातमी, अबसार हुसैन उर्फ मुन्ना मियां, सैयद इरशाद अली, सैयद मतलूब अली, सैयद बिलालं, सैयद शारिक अली, सैयद हैदर अली, सूफी शकील मियां, सूफी सादिक मियां, सूफी इकबाल मियां मुम्बई, इन्तेजार, इफ्तेखार, हाजी अनवार मियां, राशिद हुसैन राही, मिर्जा अज़ीम बेग, साजिद खां, राहत उल्ला फुरकान खां, आसिफ खां, आतिफ खां, वसीम खां, मकबूल खां, चन्दा खां, सुहेल खां, नत्थू खां, आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।