रायबरेली पुलिस फिर एक बार सवालों के घेरे में नजर आती दिखाई पड़ रही है।

रायबरेली पुलिस फिर एक बार सवालों के घेरे में नजर आती दिखाई पड़ रही है।

रायबरेली एसओजी टीम वा कोतवाली पुलिस द्वारा छापेमारी पटाखे की दुकान की गई थी जिसमें अवैध पटाखा वा असलहा बनाने के आरोपियों को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया गया था लेकिन जिसको पुलिस ने सरगना बनाया था उस मामले को कहीं ना कहीं दबाया भी दिया गया था क्योंकि शहर के बीचो-बीच अगर पटाखों का जखीरा पकड़ा जाता है तो पुलिस को इससे पूर्व इसकी जानकारी क्यों नहीं थी आज फिर वही व्यक्ति पकड़ा गया जो पूर्व में हुए मामले का सरगना पुलिस द्वारा बताया गया फिलहाल जो होली से पूर्व कार्यवाही की गई है इससे कहीं ना कहीं इन अवैध कारोबारियों की मिली भगत नजर आते दिखाई दे रही है फिलहाल रायबरेली के पुलिस अधीक्षक ने पूर्व में हुए मामले से लेकर इस छापेमारी की पूरी जानकारी हासिल करना पड़ेगा क्योंकि आज पुलिस द्वारा किए गए खुलासे का आरोपी भी पुलिस के निगाहों में है और दुकान के आगे किसी और सामान को लगा कर पीछे पूरा गोदाम चलाना कहीं ना कहीं से रायबरेली पुलिस को सवालों के घेरे में जरूर खड़ा करता है अब देखना यह होगा कि रायबरेली के पुलिस अधीक्षक इस पर इतना गंभीर होकर और क्या कार्यवाही करते हैं वही आपको बताते चले की सन 2017 मे थाना ऊचाहार के जमुना पुर के पास पटाखे बनाने के कारखाने मे एक बहुत बड़ा धमाका हुआ था जिससे आस पास के लोगो दहल गये थे उसी धमाके मे पटाखे बनाने वालों मे से कई लोगों की जान भी चली गई थी अब देखना है की रायबरेली पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह द्वारा क्या कार्यवाही होती है या नहीं

राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक न्यूज वाणी /फतेहपुर किंग हिन्दी साप्ताहिक एवं नगर की बात हिन्दी साप्ताहिक से
ब्यूरो चीफ
संदीप विश्वकर्मा की रिपोर्ट

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