चुनावी सरगर्मियों में, दम तोड़ते जनहित मुद्दे!

चुनावी सरगर्मियों में, दम तोड़ते जनहित मुद्दे!

शाहजहाँपुर-२३ मार्च २०१९! (न्यूज़ वाणी से इमरान सागर)

लोकसभा चुनावी सरगर्मियों के दौरान, क्षेत्रवार जनहित मुद्दे पूरी तरह दम तोड़ते नज़र आ रहे हैं! जहाँ एक ओर अपने प्रत्याशियों का दम खम दिखाने में, जनमानस के बीच रहने वाला समर्थक, हर्षोल्लास के साथ बखान करते नही थक रहा, तो वहीं विगत वर्षो से जनहित समस्याओं से दोचार रहा मानव जीवन तक मुंह ताके इस कौतूहल की कशमकश का शिकार बना देखा जा रहा है!

लोकसभा मतदान महापर्व के बीच पावन पर्व रंग महोत्सव होली पर्व शान्ति पूर्वक, निपटने के बाद, एक बार फिर चुनावी सरगर्मियाँ अपने पूरे चरम पर पहुंचती दिखाई पड़ रही हैं! जबकि इसी बीच जनहित के सैकड़ो मुद्दे भी अपना दम तोड़ रहे हैं!

केन्द्र की सरकार गठन में देश की ५४३ सांसद सीटो के लिए होने बाले मतदान को सात चरण में बाटा गया और मतगणना होने तक इसे पूर्ण होने में लगने बाला समय लगभग हो माह का तय है!

चाय और पान के स्टालो, सैलून की दुकानों, बड़े-छोटे संस्थानो आदि पर, अनेको राजनीति पार्टियों के खेमों में बटा मानव जीवन, अपनी चहेती पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए वोटर पर साम दाम दण्ड भेद के नये-नये प्रयोग करने की रणनीति में लग कर उसके गुजरे और आने वाले जीवन में मुंह फैलाये खड़े जनहित मुद्दो का, दम घोटते दिखाई दे रहे हैं!

जानकार सूत्रों की माने तो देश के बड़े बड़े घोटालो में उल्झा कर, स्थानीय स्तर पर, चन्द ग्रामीण, क्षेत्रीय वोटर की झोली में डाली गई तुच्छ सी बस्तुओं का प्रचार, माध्यम बना कर,वोट की राजनीति जरूर चल रही है, लेकिन हर रोज घुट घुट कर जीने वाले लोगों के जीवन की ओर किसी का ध्यान नही!

स्थानीय स्तर पर बात करें तो जनपद के रौजा लोकोशेड के दम पर विकास के पिटते ढ़िडोरे की आबाज़ में निगोही से तिलहर सम्पर्क मार्ग मीरानपुर कटरा से खुदागंज, खैरपुर चौराहा से खेड़ा बझेड़ा तक, जनपद मुख्यालय मोह्मदी के बीच आदि की गड्ढा युक्त सड़के, बनाने और बनवाने में कोई दिल चस्वी नही दिखाई गई तो नेशनल हाईवे,सरकार और उसके नुमाइन्दो की सारी पोल खोलते हुये जनता जानार्दन के आगे अपनी विवशता बयां कर रहा है!

बताया गया कि मंहगे प्रचार-प्रसार की तेजी के साथ आरंभ हुआ स्वच्छ भारत मिशन जिला मुख्यालय पर ही दम तोड़ता साफ दिखाई दे रहा है तो फिर नगर पालिका व नगर पंचायत स्तरो से लेकर ब्लाक क्षेत्रो में कैसा दिख रहा होगा यह बताने की जरूरत नही! चुनावी सरगर्मियों में यदि किसान की रोजमर्राह के जीवन पर गौर करें तो यूरिया से लेकर बीज तथा उसके बाद मंण्डियों में पहुंचनी वाली फसल तक के लिए कालाबाजारी का शिकार बनाया जा रहा है! सरकारी शिक्षण संस्थानो से अधिक प्राईवेट शिक्षण संस्थानो को मिलने वाली पहली प्रथामिकता फीस के नाम पर खुलेआम आम जनजीवन की जेब काटी जा रही हैं!

ईमानदार सरकार द्वारा शान्ति व्यवस्था का नमूना उस समय और भी बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है जब गौ रक्षा के नाम पर रक्षक ही भक्षक बनते सुनाई पड़ने लगते हैं, धर्म के नाम पर कथित अशिक्षित व्यक्तित्व शिक्षित व्यक्तिव के खून का प्यासा बन कर उत्पात करते हुए तीस से चालिस वर्ष की जीतोड़ मेहनत कर नौकरी करने वाले प्रशासनिक अधिकारी को ब्लेकमेल करता नज़र आ आता है!

बदलाव के नाम पर सरकार का तख्ता पलट समय की पुकार हो सकती है लेकिन अब तक शायद ही किसी सरकार और उनके नुमाइन्दो से स्थानीय स्तर पर अपने वोटर सरीखे जनमानस की किसी जनहित समस्या को अब तक हल किया हो, एैसा देखने को कम ही मिलता है, हाँ यदि एैसा होता तो तो सरकार को चन्द काम हुए जरूर दिखाई पड़ते, एक स्वच्छ भारत अभियान दूसरा गड्ढा मुक्त सड़के तीसरा किसान के साथ कालाबाजारी का बन्द होना!

Leave A Reply

Your email address will not be published.