यूपी में डेंगू के मरीजों में तेजी से इजाफा हुआ है। लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में डेंगू मरीजों की संख्या 2 हजार के पार हो चुकी हैं। 15 मई से लेकर 29 अगस्त तक यूपी में कुल 2071 मरीज डेंगू के मिले हैं। वहीं पिछले 24 घंटे में यूपी में 87 नए मरीज सामने आए हैं। डेंगू अब किडनी को डैमेज कर रहा है। गंभीर मरीजों को डायलिसिस तक की नौबत आ रही है।
लखनऊ में 15 दिनों में OPD में बुखार रोगियों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है। जिन अस्पतालों की OPD में पहले 50 बुखार के मरीज रोज आते थे, अब 150 मरीज आ रहे हैं।
बाराबंकी की 23 साल की माया को लगातार 5 दिनों से बुखार आ रहा था। मेडिकल स्टोर से दवा लेने पर मामूली राहत मिलती, लेकिन थोड़ी देर बाद फिर से बुखार चढ़ जाता। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर 18 अगस्त को परिजनों ने बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया। कमजोरी के कारण लगातार बेहोशी जैसी हालत थी। जांच के लिए सैंपल दिए गए, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। रिपोर्ट आने पर डेंगू और मलेरिया दोनों की पुष्टि हुई।
इसके बाद बलरामपुर अस्पताल से मरीज को लोहिया संस्थान रेफर कर दिया गया। लोहिया में भर्ती करने के बाद अन्य जांच भी कराई गई। इसमें मरीज की किडनी में बहुत ज्यादा इंफेक्शन मिला। डॉक्टरों ने इलाज शुरू करने के साथ ही डायलिसिस भी कराने को कहा।
हालत इतनी गंभीर थी कि मरीज को ICU में रखना पड़ा। लोहिया संस्थान के एक्सपर्ट डॉक्टर ने इसे मलेरियन डेंगू इंफेक्शन बताते हुए किडनी इम्पैक्ट की बात कही। लगभग 7 दिन तक इलाज चलने के बाद अब मरीज की सेहत में सुधार है।
कमोवेश यही हालात कानपुर समेत प्रदेश के अन्य बड़े महानगरों के हैं। सबसे चौकानें वाली बात डेंगू के मरीजों में तमाम बॉडी ऑर्गन के डैमेज की बात सामने आना हैं। कई यंग मरीज डेंगू के चपेट में आने के बाद कई अन्य गंभीर बीमारी की जद में भी आ रहे हैं।
यूपी के जिलों में बुखार रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। डॉक्टर इसके पीछे डेंगू और मलेरिया के मामलों में भी तेजी देख रहे हैं। लखनऊ की बात करें तो बलरामपुर, सिविल और लोकबंधु तीनों हॉस्पिटल में पहले जहां 50 बुखार रोगी रोज आ रहे थे, अब यह संख्या 150 से ज्यादा हो गई है।
दरअसल बारिश और बदलते मौसम का खामियाजा बीमारियों के रूप में झेलना पड़ रहा है। तेज गर्मी, उमस की वजह से लोग बीमार हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में बुखार के मरीजों की संख्या में इजाफा के साथ लोग वायरल फीवर सहित अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
लखनऊ में डेंगू मरीजों का मिलना जारी हैं। लगातार डेंगू के मरीज सामना आ रहे हैं। इस बीच सोमवार को भी लखनऊ में 4 नए डेंगू मरीज सामने आए हैं। वहीं सीएमओ ऑफिस की टीम ने 412 घरों में लार्वा की जांच की। इस दौरान 6 घरों में लार्वा मिलने के कारण नोटिस भी जारी की गई है। लखनऊ में कुल डेंगू मरीजों का आंकड़ा 80 पहुंच गया है।
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉक्टर अविनाश सिंह ने बताया कि रोजाना 60 के करीब सैंपल की जांच डेंगू के लिए की जा रही है। राहत की बात यह है कि अभी तक कोई सैंपल पॉजिटिव नहीं मिला है। फिलहाल अस्पताल में 22 बेड रिजर्व हैं, पर कोई डेंगू का मरीज भर्ती नही है। वहीं इस बीच बुखार के रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। OPD में करीब 150 बुखार के मरीज रोजाना आ रहे हैं और उनका इलाज किया जा रहा हैं।
लोकबंधु अस्पताल के निदेशक डॉ. नीलांबर श्रीवास्तव ने बताया कि सोमवार को OPD में महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। हालांकि उसकी प्लेटलेट काउंट में गिरावट दर्ज नहीं है। फिलहाल अस्पताल में 10 बेड रिजर्व हैं, लेकिन अभी कोई मरीज भर्ती नहीं है। अस्पताल में एलाइजा का टेस्ट किया जा रहा है। इसके अलावा भी बुखार और वायरल के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। मरीजों की संख्या जरूर बढ़ गई हैं, लेकिन मरीजों को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ रही। OPD में दिखाने के बाद दवा लेने के बाद ज्यादातर को आराम मिल रहा है।
सवाल : कुछ सालों से डेंगू बेहद खतरनाक क्यों हो रहा है?
जवाब : 4 सिरोटाइप होते हैं। सिरोटाइप-1, सिरोटाइप-2, सिरोटाइप-3 और सिरोटाइप-4, अब तक हर साल डेंगू के सिरोटाइप-2 और टाइप-3 के केस आते थे। वह भी सीजनल। कुछ केस में कॉम्पलिकेशन बढ़ जाते थे। जिन्हें हम डेंगू हैंमोरेजिक फीवर और न्यूरोलॉजिकल कॉम्पलिकेशन कहते हैं। ये 6 से 8% तक ही मिलते थे। मगर पिछले साल ये न्यूरोलॉजिकल कॉम्पलिकेशन 30% तक बढ़ गई। यानी दिमाग पर डेंगू का असर ज्यादा हो रहा।
सवाल: डेंगू मरीज के मल्टी ऑर्गन खराब हो रहा है?
जवाब : इसके पीछे एक अहम कारण डेंगू के सिरोटाइप में बदलाव होना हो सकता है। डेंगू के सिरोटाइप-2 में म्यूटेशन हो गया है। ये लीथल स्टेन का रूप ले चुका है। यानी खतरनाक हो चुका है। इसका असर यह है कि बहुत जल्दी कॉम्प्लिकेशंस बढ़ रहे हैं। इसलिए, मुश्किल होती है। इसमें डेंगू हैमोरेजिक फीवर यानी ब्रेन फीवर के केस भी आते हैं। डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। लिवर में सूजन आ जाती है। गुर्दे फेल हो जाते हैं। शरीर में सोडियम और पोटैशियम में कमी हो जाती है। हार्ट कॉम्प्लिकेशंस बढ़ जाता है। फेफड़ों में भी दिक्कत हो सकती है।
यूपी की महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ. दीपा त्यागी कहती हैं कि बिहार और दिल्ली में डेंगू को लेकर स्थिति बेहद विस्फोटक हो चुकी है, लेकिन यूपी में ऐसे हालात नहीं हैं। यहां साल में दो बार अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा चुका हैं। डेंगू के लिए अंतर विभागीय बैठक के साथ साल में 3 बार संचारी रोग अभियान चलाया जाता हैं। अप्रैल के बाद जुलाई में 17 से 31 तक चलाया गया। आगे अक्टूबर में भी चलाया जाएगा।
अभियान का मकसद मच्छरों को कंट्रोल करना होता हैं। गंदगी और पानी के ठहराव से बचने के लिए तमाम व्यवस्था करके डेंगू जैसे वेक्टर बोर्न डिसीज से बचा जा सकता है। मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग और पूरी बाह के कपड़े पहनकर भी डेंगू से बचाव किया जा सकता हैं। सरकार की तरफ से कदम उठाए गए हैं।