बसपाईयों और क्षेत्रीय नेताओं को दरकिनार कर किसी बाहरी को टिकट देना बसपा के लिये हो सकता है घाटे का सौदा।
बसपाईयों और क्षेत्रीय नेताओं को दरकिनार कर किसी बाहरी को टिकट देना बसपा के लिये हो सकता है घाटे का सौदा।
10 लाख 33 हजार 188 हिन्दू और 6 लाख मुस्लिम मतदाता है अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में
किस्सा अमरोहा लोकसभा क्षेत्र की सियासत का
और उस प्रत्याशी की राह हुई आसान
जो बंधन का नहीं है
रिपोर्टर-असजद चौधरी
अमरोहा। अमरोहा लोकसभा पर महीनो से बना संशय अब पूरी तरह ख़त्म हो चुका है। क्योंकि भाजपा और बसपा के गठबंधन ने अपने पत्ते खोलते हुए भाजपा ने वर्तमान सांसद कंवर सिंह तंवर और बसपा ने दानिश अली पर दाँव खेला है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है की क्या एक महीने मे दानिश अली दस साल से अमरोहा लोकसभा मे जमे कंवर सिंह तंवर और भाजपा की जड़ों को उखाड़ पायेंगे? स्थानीय नेता क्यों चाहेंगे उन पर बाहर का नेता मुसल्लत हो और उनके नंबर कम होl बाहर का नेता जीता तो इनकी औकात जरूर कम हो जाएगीl यह ऐसा क्यों चाहेंगे क्या पैराशूट प्रत्याशी दानिश अली को अमरोहा लोकसभा की अवाम स्वीकार करेगी? इन दोनो ही सवालो को लेकर जब पैगामे दिल रिपोर्टर ने अमरोहा के मतदाताओ से बात की तो उन्होने साफ़ कहा की हमे गठबंधन से किसी हिन्दू प्रत्याशी की अमरोहा लोकसभा से चुनाव लड़ने की उम्मीद थी। लोगों ने कहा की भाजपा के किले को गठबंधन का हिन्दू प्रत्याशी ही ढहा सकता था। जब दानिश अली के बारे मे लोगों से सवाल किया गया की क्या गठबंधन प्रत्याशी दानिश अली मजबूती से लड़ पायेंगे? तो लोगों ने कहा की क्योंकि सीधा मुकाबला दो लोगों मे है इस लिये वोट तो गठबंधन को मिलेंगे लेकिन जीत सुनिश्चित होना सम्भव नही है। क्योंकि दानिश अली का यहाँ की अवाम के लिये नया होना और क्षेत्रीय बसपाईयों को दरकिनार कर पेराशूट प्रत्याशी यहाँ उतारना बसपा के लिये घाटे का सौदा साबित हो सकता है। वर्तमान में प्रत्याशियों की स्थिति को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि इतिहास दोबारा दोहराया जाएगा। भाजपा फिर से अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में अपना परचम लहरा सकती है क्योंकि गठबंधन से प्रत्याशी ना तो कोई क्षेत्रीय है और ना ही उसका यहां से कोई अपना राजनीतिक वजूद है और अमरोहा के मतदाताओं की मांग है प्रत्याशी क्षेत्रीय हो लेकिन लोकसभा क्षेत्र वासियों की अपेक्षा के विपरीत गठबंधन का प्रत्याशी उतारा गया है चुनाव दिलचस्प होना स्वाभाविक है। क्योंकि इस चुनाव मे हिन्दू मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण होने की अब प्रबल सम्भावना है। अमरोहा लोकसभा के लोगों को इस सीट के जातीय गणित से अवगत कराते है की इस लोकसभा क्षेत्र में किस जाति के कितने वोट हैं अमरोहा लोकसभा मे निर्वाचन विभाग के मुताबिक 16 लाख 33 हज़ार 188 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। जिसमे मुस्लिम 6 लाख, एससी 2 लाख 25 हज़ार, राजपूत 1 लाख 60 हज़ार, जाट 1 लाख 40 हजार, सैनी 1 लाख 40 हजार, खड़गवंशी 85 हज़ार, गुर्जर 80 हज़ार, प्रजापति 45 हज़ार, ब्राह्मण 45 हजार, वैश्य 30 हजार, यादव 30 हजार अन्य जातियाँ 53 हजार 188 है। अगर हिंदू मुस्लिम वोटर के दृष्टिकोण से भी इस सीट को देखा जाए तो 10 लाख 33 हजार 188 हिंदू वोटर अमरोहा लोकसभा में हैं और 6 लाख मुस्लिम मतदाता है। ऐसे मे गठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशी की चुनाव मे क्या स्थिति रहेगी ये तो वक़्त ही बतायेगा।
असजद चौधरी रिपोर्ट
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