बिरादरी के मिजाज से तय होगा बसपा प्रत्याशी का परिणाम सैनी समाज साथ नही आया तो कुछ नही कर पाएगे बसपा के सारे दिग्गज।
बिरादरी के मिजाज से तय होगा बसपा प्रत्याशी का परिणाम
सैनी समाज साथ नही आया तो कुछ नही कर पाएगे बसपा के सारे दिग्गज।
दिनेश कुमार
रूडकी – पिछले निकाय चुनाव में बसपा अपना सबसे प्रदर्शन करने के बाद इसी गलती में नहीं आंकी जा रही थी। फिर भि उत्तर प्रदेश मे सपा के साथ पार्टी के गठबंधन और तो दलीतो के मिजाज पार्टी के प्रतीक पैदा हुई नरमी ने हरिद्वार मे भी संगठन को सक्रिय किया। इसका एक लाभ पार्टी को यह हुआ कि न केवल पार्टी के गैर दलित नेताओ की निराशा कुछ दुर हुई बल्कि पुर्व जिला पांचायत अध्यक्ष चौधरी राजेन्द्र सिहं कि अगुआई मे कई लोगो ने नए सिरे से पार्टी का दामन थामा। इससे पार्टी मे रगं आया तो डा.अंतिरक्ष सैनी ने भि कांग्रेस छोडकर बसपा गमन किया। पार्टी ने फौरन उन्हें लोकसभा प्रभारी बना कर इशारा दे दिया कि वे ही पार्टी प्रत्याशी होगे याहा तक सब ठिक ठाक है।दुसरी ओर पार्टी प्रत्याशी चाहे तो परिस्थिति विशेष मे वह क्षेत्र कि उस भावना को कैश कप सकते है जो स्थानीय के मुद्दे पर बन रही है। लेकिन इसमे इस बात का पेंच है कि डा. अंतिरक्ष सैनी रो हेर सैनी समुदायो का समर्थन तभी मिल पायेगा जब उनकी बिरादरी उनका खुलकर समर्थन करेगी ।अगर सैनिसो ने बसपा प्रत्याशी का खुलकर समर्थन नही किया तो पार्टी के तमाम स्थानीय स्तर के गैर दलित,गैर सैनी नेताओ ले यह उम्मीद करना बेकार होगा कि वे अपने प्रभाव, वर्ग या जाति का वोट पार्टी प्रत्याशी को दिला पाएंगे।
बसपा को लेकर क्षेत्र के मतदाता का मिला जुला रवैय्या सामने आता रहा है जनता का एक वर्ग पार्टी का समर्थन करना चाहता है लेकिन उसी स्थिति मे लाये ,प्रत्याशी पुरी शिद्दत से चुनाव लडे और संगठन ईमानदारी से काम करे ।जब यह सबकुछ होता था तब पार्टी के जिले मे विधायक जिला पांचायत सदस्य निकाय प्रमुख और जिला पांचायत अध्यक्ष भी चुनकर आतेथेऔर उसका सांसद प्रत्याशी भी प्रभावशाली प्रदर्शन करता था फिर इन तिनो चीजो मे बदलाव आया नतीजा यह हुवा कि उसकी हैसियत गिरती गयी। अब बदली परिस्थितियों मे एक बार फिर बसपा ने प्रभावशाली जातिगत समीकरण बनाकर प्रत्याशी देने का इशारा दिया है।लेकिन यह व्यवहार मे भी प्रभावशाली है यह देखना लाजमी होगा अगले चुनाव के संबंध इस बात किबडी अहमियत है।कि विभिन्न कारणो से व्यापारी, किसान,मजदुर आदी भाजपा से निरास है लेकिन किसानो मे बडी संख्या ऐसी जाती के लोगो कि है जो बसपा को पसंद नही करते व्यपारियो मे कोई ऐसा वर्ग नही जो बसपा के साथ चलने को लेकर उत्साहित बो मुसलमानों कि पसंद भी बसपा तभी है जब प्रत्याशी बहेद साफ सुथरा,प्रभावशाली ओर भाजपा को हरा सकने मे सक्षम हो हाल तक बसपा को मुस्लिम समुदाय रे एक वर्ग का समर्थन मिल जाता था क्योंकि तब उसके स्थानीय नेतृत्व का चहेरा इस वर्ग रो आकर्षित करता था लेकिन खास इसी कारण मुस्लिम समुदाय का बडा वर्ग बसपा का विरोध भी करता अब जब बसपा मे बदलाव आया है तो अब तक उससे दुर रहने वाले मुस्लिम समुदाय का रवैया भी उसे लेकर बदल सकता है। लेकिन ऐसा तभी होगा बसपा प्रत्याशी उसे यह विश्वास दिलाएगा कि वह जितने के लिए मैदान मे है ऐसा मुस्लिम समुदाय सहित तमाम सह विचारधारा वाले किसानो,मजदूरो कि तभी मानेगे जब प्रत्याशी का जाीय समुदाय उसके साथ खुलकर सड़को पर आएगा।