विदेश: रूस राष्ट्रपति पुतिन अक्टूबर में चीन के दौरे पर जाएंगे। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की तरफ से अरेस्ट वॉरंट जारी होने के बाद ये उनक पहली विदेश यात्रा होगी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) फोरम के तहत अक्टूबर में होने वाले तीसरे फोरम में शामिल होंगे।
जिनपिंग ने इसके लिए पुतिन को न्योता भेजा था। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, क्रेमलिन काफी समय से पुतिन के दौरे की तैयारी कर रहा है। मामले में क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा- चीन और रूस के बीच अलग-अलग मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत को लेकर प्लानिंग की जा रही है। जैसे ही कोई तारीख तय होगी, इसकी सूचना दी जाएगी।
ये खबर ऐसे समय आई है, जब हाल ही में पुतिन ने G20 समिट के लिए भारत आने से इनकार कर दिया था। PM मोदी के साथ फोन पर बातचीत के दौरान रूसी राष्ट्रपति ने कहा था- मैं समिट में शामिल नहीं हो पाऊंगा। मेरी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव हिस्सा लेंगे। इससे पहले पुतिन साउथ अफ्रीका में हुए ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन में भी नहीं पहुंचे थे। हालांकि, उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समिट को एड्रेस किया था।
दरअसल, 17 मार्च को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ ICC ने यूक्रेन में वॉर क्राइम के आरोप में अरेस्ट वारंट जारी किया था। उन पर यूक्रेनी बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के आरोप लगे थे। अरेस्ट वारंट जारी करते हुए ICC ने कहा था कि उसके पास यह मानने के लिए उचित आधार है कि पुतिन ने न सिर्फ इन अपराधों को अंजाम दिया, बल्कि इसमें दूसरों की भी मदद की।
कोर्ट ने कहा था- पुतिन ने बच्चों के अपहरण को रोकने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने बच्चों को डिपोर्ट करने वाले अन्य लोगों को रोका नहीं, कार्रवाई नहीं की। यूक्रेन के ह्यूमन राइट्स चीफ के मुताबिक, 13 महीने से चल रही इस जंग में अब तक करीब 16 हजार 226 बच्चों को डिपोर्ट किया जा चुका है।
वॉरंट के बाद से पुतिन ने किसी भी देश का दौरा नहीं किया है। वहीं रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद से पुतिन सिर्फ सोवियत यूनियन का हिस्सा रहे अपने पड़ोसी देशों और ईरान के दौरों पर गए हैं। फरवरी में जंग की शुरुआत से पहले रूसी राष्ट्रपति ने चीन की यात्रा की थी। वहीं जिनपिंग इस साल मार्च में रूस आए थे। इस दौरान उन्होंने जंग खत्म करने के लिए एक पीस प्लान भी पेश किया था, जिसकी पुतिन ने सराहना की थी।
ICC के अरेस्ट वॉरंट के तहत अगर पुतिन उसके सदस्य देशों का दौरा करते हैं तो वो हिरासत में लिए जा सकते हैं। इसी वजह से वो साउथ अफ्रीका नहीं गए थे क्योंकि ये देश ICC का सदस्य है। हालांकि, भारत ICC के सदस्य देशों में शामिल नहीं है। भारत ने 1998 के रोम समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया था। ऐसे में ICC का वॉरंट भारत के लिए मान्य नहीं है।
206 ईसा पूर्व से 220 ईसवी तक चीन में हन राजवंश का शासन था। उस दौर में चीन में कीमती रेशम (सिल्क) खूब तैयार किया जाता था। पहले रेशम के कारवां चीनी साम्राज्य के उत्तरी छोर से पश्चिम की ओर जाते थे। धीरे-धीरे ये रूट, मध्य एशिया, उत्तर भारत, ईरान, इराक और सीरिया से होता हुआ रोम तक पहुंच गया।
इस रूट के जरिए चीन से कीमती सिल्क, मसाले, हरे पत्थर जैसे सामान भेजे जाते थे। सोना, हाथी दांत और कांच के सामान चीन आते थे। इसी व्यापारिक मार्ग को सिल्क रूट के नाम से जाना जाता था। 10वीं शताब्दी के बाद सिल्क रूट का इस्तेमाल कम हो गया।
1976 माओ जेडोंग की मौत के बाद चीन की सत्ता पर डेंग शियाओपिंग काबिज हुए। उन्होंने कई दशकों से घिसट रही चीन की इकोनॉमी को डेवलप करना शुरू किया। 21वीं सदी में चीन की रफ्तार ने सभी को हैरान कर दिया और ये देश सुपर पावर बनकर उभरा। 2013 में शी जिनपिंग ने सत्ता संभाली और दुनिया पर वर्चस्व जमाने के लिए मास्टर प्लान बनाया।
यही चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी BRI है, जिसे नया सिल्क रूट भी कहा जाता है। ये कई देशों का कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है। BRI के तहत रेल, सड़क और समुद्री मार्ग से एशिया, यूरोप, अफ्रीका के 70 देशों को जोड़ने का प्लान है। चीन हिंद महासागर या कहें भारत करीबी देशों में बंदरगाह, नौसेना के अड्डे और निगरानी पोस्ट बनाना चाहता है।
BRI के जरिए चीन कई देशों को भारी-भरकम कर्ज दे रहा है। कर्ज न लौटा पाने पर वह उनके बंदरगाहों पर कब्जा कर लेता है। यह किसी भी देश की तरफ रे शुरू किया गया अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट हैं।