नई दिल्ली। भारत की आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर जी-20 के माध्यम से गौरवान्वित करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। भारत ने जी-20 की मेजबानी में इन बैठकों का स्वरूप बदला है। पहले बंद कमरों की बैठकें मानी जाती थीं, लेकिन पीएम के विजन ने इस सोच को बदला और इनमें पहली बार जनता की भागीदारी सुनिश्चित की गई। ये बातें दिल्ली में आगामी 9 और 10 सितंबर को होने वाली जी-20 राष्ट्राध्यक्षों की बैठक की कार्ययोजना तैयार करने में शामिल प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद् के सदस्य संजीव सान्याल ने कहीं।
भारत की आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर जी-20 के माध्यम से दुनिया तक पहुंचाया गया है। बैठक के साथ-साथ हमने दुनिया को भारत की धरोहर, कला-संस्कृति से रूबरू करवाया। जी-20 राष्ट्राध्यक्षों की बैठक से पहले पिछले करीब एक साल में छोटे-बड़े 60 ऐसे शहरों में आयोजित की गईं, जहां आज तक कभी ऐसे आयोजन और विदेशी प्रतिनिधि नहीं पहुंच सके थे। इससे सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि जिन स्थानों के बारे में भारतीय भी रूबरू नहीं थे, उन्हें भी पर्यटन, वहां के स्थानीय महत्व को जानने का मौका मिलेगा। ये प्रतिनिधि अपने देशों में जाकर भारत की पहचान ताजमहल के अलावा उभरते हुई आर्थिक, सामरिक शक्ति को भी वैश्विक पटल पर पेश करेंगे
कोविड महामारी के कारण दो से तीन साल पर्यटन क्षेत्र बंद रहा, जबकि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन और पर्यटक सबसे मजबूत कड़ी होते हैं। इन बैठकों के बाद निश्चित तौर पर भारत के पर्यटन क्षेत्र को इसका बहुत अधिक लाभ होगा। उदाहरण के तौर पर अगरतला, कोहिमा, लक्षद्वीप जैसे छोटे प्रांतों में बहुत कम लोग जाते हैं। वहां कभी अंतरराष्ट्रीय आयोजन होते ही नहीं थे। यहां विदेशी ही नहीं, भारतीय भी कम जाते हैं। वहां जी-20 के माध्यम से बड़े लीडरों को वहां भेजा गया। वहां के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों को ऐसे आयोजनों की मेजबानी कर अनुभव मिला
श्रीनगर में लोगों ने देखा कि वहां सब कुछ सामान्य है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ विदेश से आए मेहमानों ने देखा यहां लगातार कार्यक्रम हो रहे हैं। जब तक हम हिचकिचाएंगे तो दूसरे लोग भी हिचकिचाएंगे। इसलिए महत्वपूर्ण है कि ऐसे आयोजन हों। इतना ही नहीं, अब आम कश्मीरी लोगों को पता चल रहा है कि इससे हमारा रोजगार बढ़ रहा है।
जी-20 राष्ट्राध्यक्षों की बैठक ‘ भारत मंडपम’ के लेवल दो के शिखर सम्मेलन कक्ष में होगी। सम्मेलन कक्ष के भव्य दरवाजे पर राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंख की कलाकृति उभारी है। कक्ष चौकोर बना है, जिसके बीचों-बीच हरे रंग की कुर्सियों वाला 40 सीट का राउंड टेबल है। इसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, यूके के पीएम ऋषि सुनक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत सभी जी 20 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष बैठेंगे। उसके पीछे दूसरे राउंड की कुर्सियों में खास सदस्यों के अलावा संबंधित राष्ट्राध्यक्षों के साथ आए अधिकारी बैठेंगे। कक्ष के राउंड टेबल के ऊपर एक बड़ा सा अंडाकार झूमर है।
हमारे बारे में पहले से यह छवि रही है कि भारत गरीब देश है। ताजमहल की तस्वीर ही दुनिया में हमारी पहचान थी, लेकिन जी-20 की मेजबानी के बाद लोग यहां आए और देखा कि हमारे पास कितना मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर है। नए-नए आधुनिक सुविधाओं वाले हवाई अड्डे हैं। आधुनिक मेट्रो सिस्टम, टेक्नोलॉजी है। इसी बीच हमने चांद को छूने का सपना भी पूरा किया। दुनिया इसकी गवाह बनी और हमारी छवि एक झटके में बदल गई।
मल्टीलेटरल ऑर्गेनाइजेशन रिफाॅर्म पर चर्चा होगी। (इसके तहत दुनियाभर में अलग-अलग देशों के समूह बने हुए है, जैसे की जी 7, जी-20, संयुक्त राष्ट्र परिषद को लेकर चर्चा संभव है)। कई सालों से इस पर चर्चा होनी लंबित थी। जी-20 की दिल्ली में आयोजित होने वाली बैठक इस पर चर्चा के लिए अहम अवसर है।
दुनियाभर में डिजिटल करेंसी (क्रिप्टोकरंसी) की चुनौतियों से निपटने के लिए एक वैश्विक मसौदा तैयार किया जाएगा। भारत चाहता है कि अलग-अलग देशों के नियमों की बजाय ग्लोबल एक साझा नियम बनाया जाए। जी-20 बैठक के दौरान डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और दुनिया में भारत के यूपीआई के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल और लोगों के बीच इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने पर सभी राष्ट्राध्यक्ष बातचीत करेंगे। जी-20 के तहत आयोजित विभिन्न शेरेपा ग्रुप और वर्किंग ग्रुप की बैठक में शहरी विकास, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन, विज्ञान और स्वास्थ्य जैसे विषयों पर चर्चा हुई थी। इन बैठकों के पास प्रस्तावों पर भी इसी राष्ट्राध्यक्ष की बैठक में चर्चा होकर एमओयू साइन होंगे।