नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (1 सितंबर) को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि “अमान्य विवाह” (Invalid Marriages) के बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि अमान्य विवाह के बच्चे हिंदू कानून के तहत माता-पिता की संपत्ति में अधिकार का दावा कर सकते हैं। हिंदू कानून के अनुसार अमान्य विवाह में पुरुष और महिला को पति और पत्नी का दर्जा नहीं मिलता।
हिंदू कानून के अनुसार, शून्य या अमान्य विवाह में पुरुष और महिला को पति-पत्नी का दर्जा नहीं मिलता है। हालांकि, शून्यकरणीय विवाह में उन्हें पति और पत्नी का दर्जा प्राप्त है। शून्य विवाह में, विवाह को रद्द करने के लिए शून्यता की किसी डिक्री की जरूरत नहीं होती है। जबकि शून्यकरणीय विवाह में शून्यता की डिक्री की आवश्यकता होती है। शून्य विवाह एक ऐसा विवाह है जो शुरुआत से ही अमान्य है जैसे कि विवाह अस्तित्व में नहीं आया हो।