अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA ने चांद पर रूस के लूना-25 की क्रैश लैंडिंग साइट ढूंढ ली है। उनका दावा है कि जहां यान टकराया था वहां 10 मीटर चौड़ा गड्ढा हुआ है। NASA ने इसे लेकर दो तस्वीरें भी जारी की हैं।
दरअसल, NASA के लूनर रिकोनसेंस ऑर्बिटर (LRO) अंतरिक्ष यान ने 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर एक नया गड्ढा देखा था। गड्ढा लूना-25 की अनुमानित इम्पैक्ट पॉइंट के करीब है, ऐसे में LRO टीम ने निष्कर्ष निकाला है कि ऐसा नैचुरली होने की बजाय लूना मिशन की वजह से हुआ हो होगा।
स्पेस एजेंसी रॉस्कॉस्मॉस ने बताया था कि 19 अगस्त की शाम 05:27 बजे उसका स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया था। प्री-लैंडिंग ऑर्बिट बदलने के दौरान इसमें गड़बड़ी हुई थी। लूना-25 के फ्लाइट प्रोग्राम के मुताबिक, प्री-लैंडिंग कक्षा (18 Km x 100 Km) में प्रवेश कराने के लिए कमांड दिया गया था।
उन्होंने बताया था कि ये कमांड भारतीय समयानुसार 19 अगस्त दोपहर 04:30 बजे दिया गया था। इस दौरान लूना पर इमरजेंसी कंडीशन बन गई क्योंकि स्पेसक्राफ्ट एक्चुअल पैरामीटर के अनुसार थ्रस्टर फायर नहीं कर पाया।
शुरुआती एनालिसिस के नतीजों से पता चलता है कि कैलकुलेशन से जो पैरामीटर सेट किए गए थे उन पैरामीटरों से स्पेसक्राफ्ट डेविएट हो गया। कैलकुलेटेड वैल्यू जितनी चाहिए थी ये उससे ज्यादा थी। इससे थ्रस्टर ज्यादा देर के लिए फायर हुए और स्पीड कम होने से स्पेसक्राफ्ट एक ऑफ-डिजाइन ऑर्बिट में चला गया और चांद पर क्रैश हो गया।
लूना-25 को 11 अगस्त को सोयूज 2.1बी रॉकेट के जरिए वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। लूना-25 को उसी दिन अर्थ की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेज दिया गया था। स्पेसक्राफ्ट 16 अगस्त को दोपहर 2:27 बजे चांद की 100 किलोमीटर की ऑर्बिट में पहुंच गया था। स्पेशली फॉर्म्ड इंटरडिपार्टमेंटल कमीशन अब लूना-25 के क्रैश होने की जांच करेगा।
रूस ने 47 साल बाद चांद पर अपना मिशन भेजा था। इससे पहले उसने 1976 में लूना-24 मिशन भेजा था। लूना-24 चांद की करीब 170 ग्राम धूल लेकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस पहुंचा था। अगर ये मिशन अपने तय समय पर पूरा होता तो भारत के चंद्रयान-3 से भी पहले चांद के साउथ पोल पर लैंड कर जाता।
भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया था। फ्यूल का कम इस्तेमाल हो और कम खर्च में यान चंद्रमा पर पहुंच जाए, इसलिए उसने पृथ्वी की ग्रैविटी का इस्तेमाल किया है। इस प्रोसेस में फ्यूल तो बच जाता है, लेकिन समय ज्यादा लगता है। इसलिए चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में ज्यादा टाइम लग गया।
लूना-25 चंद्रमा के बोगुस्लावस्की क्रेटर के पास लैंड करने वाला था, जबकि चंद्रयान मैंजिनस U क्रेटर के पास लैंड हुआ। इसके कोऑर्डिनेट 69.36˚S और 32.34˚E हैं। इन दोनों क्रेटर्स के बीच की दूरी 100 Km से ज्यादा है।
चांद की मिट्टी के नमूने लेकर बर्फ की उपस्थिति का पता लगाना
अपनी लेटेस्ट सॉफ्ट-लैंडिंग और दूसरी स्पेस टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग
साउथ पोल पर मिट्टी की फिजिकल-मैकेनिकल प्रॉपर्टी का अध्ययन
सोलर विंड के असर को देखने के लिए प्लाज्मा-धूल का अध्ययन
डीप स्पेस और दूर के ग्रहों की खोज के लिए एक लॉन्चिंग पैड
रूस का लूना-25 मिशन चांद पर उसके फुली ऑटोमेटेड बेस बनाने के प्रोग्राम का हिस्सा था। रॉस्कॉस्मोस के हेड यूरी बोरिसोव ने बताया कि 2027, 2028 और 2030 में लूना के तीन और मिशन लॉन्च किए जाएंगे। इसके बाद हम चीन के साथ अगले फेज में एंटर करेंगे। इस फेज में हम चांद पर मैन्ड मिशन भेजेंगे और लूनर बेस भी बनाएंगे।