पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई और बिजली बिलों के खिलाफ शनिवार को व्यापारी सड़कों पर उतर आए। लाहौर, कराची और पेशावर से लेकर देशभर में दुकानें बंद रही। इस बंद का आहवान जमात-ए- इस्लामी पार्टी के नेता सिराज उल हक ने किया था।
महंगाई और बिजली बिल के मुद्दे पर हो रहे हंगामे के बीच कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकड़ ने केन्या का दौरा निरस्त कर दिया। कराची में ताजिर एक्शन कमेटी ने शुक्रवार को बिजली बिल कम करने के लिए सरकार को 72 घंटे का समय दिया है। कमेटी ने कहा है कि अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो वो 10 दिन की हड़ताल करेंगे।
कराची के एक व्यापारी फाहद अहमद ने न्यूज एजेंसी एपी को बताया- हमने अपनी दुकानें बंद रखी हैं ताकि देश के सत्ता में बैठे तबके तक हमारा मैसेज पहुंचे। अगल उन्होंने हमारी तकलीफें नहीं समझी तो हमें दूसरे तरीके अपनाने होंगे।
अहमद ने कहा- मैं एक लाख रूपए का किराया दूंगा और उतना ही बिजली का बिल भी आएगा जो मेरा गुजारा कैसे होगा। पाकिस्तान की सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक वहां अगस्त के अंत तक महंगाई दर 27.4% पहुंच गई है। एक लीटर पेट्रोल का दाम 300 पाकिस्तानी रुपए तक पहुंच गया है।
पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई पर जब कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार उल हक काकड़ से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि लोगों को बिल भरने पड़ेंगे। इसके सिवाय उनके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है। काकड़ ने कहा हम अभी लोगों को सब्सिडी देकर भविष्य के लिए परेशानियां मोल नहीं ले सकते हैं।
पाकिस्तान के अर्थशास्त्री मोहम्मद सोहेल के मुताबिक IMF से लोन की किश्त मिलने के बावजूद देश चुनौति भरे वक्त से गुजर रहा है। लोन के बदले IMF की तरफ से थोपे गए नियमों ने सारा बोझ लोगों पर शिफ्ट कर दिया है।
उनका कहना है कि पाकिस्तान में महंगाई सबसे बड़ी परेशानी है। इसकी वजह पाकिस्तानी रुपए की लगातार गिरती कीमत है। एक डॉलर की कीमत पाकिस्तानी रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले 76 सालों में सबसे निचले स्तर पर है। एक डॉलर की कीमत पाकिस्तानी रुपए के मुकाबले 307 रुपए हो गई है।