पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में इन दिनों घमासान मचा है। कट्टरपंथी सुन्नी संगठनों और पाकिस्तानी सेना के दमन के खिलाफ अल्पसंख्यक शियाओं ने विद्रोह कर दिया है। पहली बार इस क्षेत्र के शिया संगठन फौज के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
भारत से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्कर्दू में शिया समुदाय के लोग भारत की ओर जाने वाले करगिल हाइवे को खोलने की मांग पर अड़ गए हैं। उनका कहना है कि वे अब पाकिस्तानी फौज की हुकूमत वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, वे भारत जाना चाहते हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान की लगभग बीस लाख की आबादी में से आठ लाख शियाओं के बगावती तेवरों को देखते हुए पाकिस्तानी फौज के 20 हजार अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है।
पाकिस्तान की फौज के खिलाफ शियाओं मे नारा लगाया- ये जो दहशतगर्दी हैं, उसके पीछे ‘वर्दी’ है। गिलगित-बाल्टिस्तान में शियाओं का आरोप है कि पाक सेना 1947 के बाद से यहां से शियाओं को भगा रही है। सेना ने यहां सुन्नी आबादी को बसाया। कभी शिया बहुल रहे क्षेत्र में अब शिया अल्पसंख्यक हो गए हैं।
हालात इतने बिगड़ गए हैं कि सेना भी यहां शिया बहुल क्षेत्रों में जाने से कतरा रही है। धारा 144 लगाने के बावजूद स्कर्दू, हुंजा, दियामीर और चिलास में शिया संगठनों का प्रदर्शन जारी है। मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने सोमवार को इस्लामाबाद से चार मुस्लिम उलेमाओं को गिलगित-बाल्टिस्तान भेजा है। अतिरिक्त बटालियन भी जब बगावत दबाने में विफल रही तो मुनीर को यह कदम उठाना पड़ा। स्कर्दू के एक शिया का कहना है कि बहुत देर हो गई, हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।
स्कर्दू में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान शिया धर्मगुरु आगा बाकिर अल हुसैनी ने एक कुछ ऐसे कमेंट किए जिससे वहां की हुकुमत नाराज हो गई। धर्मगुरु को गिरफ्तार कर लिया।
दरअसल, अल हुसैनी ने स्कर्दू इलाके में हुई उलेमाओं की बैठक पर सवाल खड़े कर दिए थे।
इसमें उन्होंने ईशनिंदा पर कानूनों को और कड़ा बनाने की मांग की थी। शियाओं का मनना है कि कि ईशनिंदा के कानून कड़े बनाकर उनके समुदाय को टारगेट किया जाएगा। जनरल जिया उल हक से लेकर पाकिस्तान की सत्ता में बैठे हर एक नेता ने इस इलाके की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश की है।