दुनिया में 8 गुना बढ़ा क्लस्टर बमों का इस्तेमाल, 2022 में इनसे 353 लोगों की गई थी जान; 100 से ज्यादा देशों में बैन

 

विदेश। यूक्रेन जंग के बीच दुनिया में क्लस्टर बमों के इस्तेमाल में 8 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। क्लस्टर म्यूनिशन्स कोएलिशन कैंपेन ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल, यानी 2022 में क्लस्टर बमों के इस्तेमाल से एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए।

इनमें से 353 लोगों की मौत हो गई। ये सभी आम नागरिक थे। मरने वालों में ज्यादातर बच्चे हैं जो खेलने के लिए इन्हें हाथों में उठा लेते हैं। संस्था का कहना है कि क्लस्टर बम अटैक में घायल लोगों को गहरी चोट आती है जो उन्हें उम्र भर परेशान करती है।

 

 

कोएलिशन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में अकेले सीरिया में क्लस्टर बम या उनके अवशेषों की चपेट में आने से 15 लोगों की जान गई और 75 अन्य घायल हुए थे।

जुलाई ने अमेरिका ने बताया था कि वो यूक्रेन को क्लस्टर बम भेज रहा है। अमेरिका के इस फैसले का यूक्रेन का साथ देने वाले देशों ने भी विरोध किया था। पुतिन ने कहा था कि अमेरिका के सारे हथियार खत्म हो गए हैं, इसलिए वो अब यूक्रेन को प्रतिबंधित हथियार सप्लाई कर रहा है।

 

 

रूसी टेलिविजन को दिए एक इंटरव्यू में पुतिन ने कहा कि अगर यूक्रेन हमारे खिलाफ क्लस्टर बमों का इस्तेमाल करेगा तो हम भी इसका कड़ा जवाब देंगे। पुतिन ने कहा कि रूस के पास भी क्ल्स्टर बम हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक जंग में उनका इस्तेमाल नहीं किया है।

ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और यूक्रेन दोनों ही जंग में क्लस्टर बमों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 2022 में यूक्रेन ने रूस के कब्जे वाले इलाके में क्लस्टर बम दागे थे। इसमें 8 बेगुनाह नागरिकों की मौत हो गई थी। HRW की अधिकारी मैरी वेयरहेम के मुताबिक जंग में क्लस्टर बम के इस्तेमाल से लोगों की जान जा रही है और सालों तक जाती रहेगी।

 

 

दरअसल रूस, अमेरिका और यूक्रेन, तीनों ही देशों ने 2008 की क्लस्टर बमों के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली UN की संधि पर साइन नहीं किया है। जेलेंस्की काफी समय से अमेरिका से क्लस्टर हथियारों की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके इस्तेमाल से वो रूसी सैनिकों के ठिकानों को आसानी से तबाह कर पाएंगे।

क्लस्टर बम एक ऐसा हथियार है, जिसे हवा में रिलीज करने पर कई छोटे-छोटे बम निकलते हैं। ये छोटे बम साधारण बमों की तुलना में ज्यादा इलाके को प्रभावित करते हैं। ये खतरनाक इसलिए माने जाते हैं क्योंकि मुख्य बम से निकलने वाले कई सारे छोटे विस्फोटक निर्धारित लक्ष्य के आसपास भी नुकसान पहुंचाते हैं। ज्यादातर मामलों में इनकी चपेट में आम नागरिक भी आते हैं। इन्हें लड़ाकू विमानों के जरिए आसमान और तोपों के जरिए जमीन से भी दागा जा सकता है।

 

 

बम के फटने के बाद आसपास गिरने वाले छोटे विस्फोटक लंबे समय तक पड़े रह सकते हैं। ऐसे में जंग खत्म हो के बाद भी इनकी चपेट में आने से जान जा सकती है। यह विरोधी सैनिकों को मारने या उनके वाहनों को नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

2019 की बात है, भारतीय सेना ने LoC पर पाकिस्तान की तरफ से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिए कार्रवाई की। इसके बाद पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारतीय सेना पर क्लस्टर हथियारों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

 

 

उन्होंने कहा- भारत ने नियंत्रण रेखा पर आम नागरिकों को निशाना बनाया है, क्लस्टर बमों का इस्तेमाल किया है जो निंदनीय है। ये जिनेवा संधि और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था- पाकिस्तानी सेना लगातार घुसपैठ कराकर और चरमपंथियों को बढ़ावा देती है। भारतीय सेना ने कार्रवाई लोगों के खिलाफ नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना की चौकियों और चरमपंथी घुसपैठियों के खिलाफ की है।

 

 

 

 

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