हार-जीत पर टिका दारा सिंह चौहान का राजनीतिक भविष्य; बेहद रोचक है इनका 30 साल का सियासी सफर

 

 

उत्तर प्रदेश। घोसी विधानसभा उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान का राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है। उन्होंने सपा के घोसी विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। चर्चा थी कि वह चुनाव से पहले मंत्री बनाए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दारा सिंह चौहान यदि चुनाव जीत गए तो एक बार फिर मंत्री बन जाएंगे। लेकिन, यदि ऐसा नहीं हुआ तो उनका राजनीतिक भविष्य अधर में फंस सकता है। दारा सिंह ने 2022 में बतौर सपा प्रत्याशी 1,08,430 मत प्राप्त किए थे।

भाजपा संगठन और सरकार का पूरा समर्थन पाने के बावजूद 2022 का प्रदर्शन कायम रखना ही उनकी सबसे बड़ी चुनौती है। बता दें कि योगी-01 सरकार में दारा सिंह कैबिनेट मंत्री थे और उनके पास वन एवं पर्यावरण जैसा महत्वपूर्ण विभाग था। लेकिन 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दारा सिंह चौहान ने स्वामी प्रसाद मौर्या और धर्म सिंह सैनी के साथ मंत्रिमंडल और भाजपा से इस्तीफा देकर सपा में चले गए थे।

 

 

जानकार बताते हैं कि भाजपा सरकार से मंत्री पद छोड़कर सपा में शामिल होने वाले चौहान 2022 में सपा सरकार न बनने से वैसे ही निराश थे। मगर पार्टी में उम्मीद के हिसाब से महत्व न मिलने से आहत होकर चौहान ने कुछ दिन पहले फिर पाला बदला। सपा और विधायकी से इस्तीफा देकर दुबारा भाजपा में शामिल हो गए। तभी से उन्हें प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। घोसी उपचुनाव में भाजपा ने दारा सिंह चौहान को ही प्रत्याशी बनाया। हार-जीत का फैसला आज हो जाएगा।

दारा सिंह चौहान के राजनैतिक कद को देखे तो वह वह अब तक दो बार राज्यसभा सांसद, एक बार लोकसभा सांसद और दो बार विधायक रह चुके हैं। दारा सिंह चौहान ने राजनीतिक जीवन से छात्र राजनीति से कदम रखा था। पहले कांग्रेस संगठन में पदाधिकारी रहे, फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। वर्ष 1996 में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजा। 2000 में कार्यकाल पूरा होने पर पुन: 2000 से 2006 तक राज्यसभा में सपा का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद फिर पलटी मारी और बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए।

 

 

 

बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें घोसी लोकसभा सीट से 2009 में चुनाव लड़ाया और पहली बार लोकसभा सदस्य बने। उन्हें लोकसभा में संसदीय दल का नेता भी बनाया गया। वर्ष 2014 में पुन: बसपा के टिकट पर लोकसभा के लिए मैदान में उतरे लेकिन भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर के हाथों हार गए। देश में चल रहे सियासी तापमान को भांप दारा सिंह चौहान वर्ष 2015 में भाजपा में शामिल हो गए।
यहां भी उन्हें सम्मान मिला और पिछड़ा वर्ग मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया। 2017 के चुनाव में पार्टी ने मधुबन विधानसभा से टिकट दिया, जहां से 30 हजार से अधिक वोटों से जीत कर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। इसके बाद सियासी मौसम को देख फिर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के पहले पलटी मार गए। भाजपा से सपा में गए। घोसी सीट से विधायक बने। अब उन्होंने सपा से इस्तीफा दे दिया है।

 

 

 

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