मेरी मौत का जिम्मेदार BJP नेता: 6.29 करोड़ की भूमि पर कब्जा होने से टूटा किसान, ट्रेन के आगे कूदकर दी जान

 

कानपुर के अहिरवां स्थित 6.29 करोड़ रुपये की जमीन (साढ़े छह बीघा) हड़पे जाने से आहत चकेरी गांव निवासी किसान बाबू सिंह यादव (52) ने शनिवार सुबह ट्रेन से कटकर जान दे दी। खुदकुशी से पहले उसने मुख्यमंत्री के नाम एक सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें अपनी मौत का जिम्मेदार श्यामनगर में रहने वाले भाजपा नेता को बताया है।

परिजनों ने भी आरोप लगाया कि भाजपा नेता ने मार्च में उक्त राशि का चेक देकर जमीन की रजिस्ट्री कराई, इसके तुरंत बाद कोई खामी बताकर चेक वापस ले लिया। पैसा न देने पर कोर्ट में वाद दाखिल किया गया। इस बीच भाजपा नेता ने जमीन किसी और को बेच दी।

 

 

चकेरी गांव में रहने वाले किसान बाबू सिंह यादव अपनी पत्नी बिटान, दो बेटियों बीएससी फाइन ईयर की छात्रा रूबी व इंटर की छात्रा काजल के साथ रहते थे। इसी गांव में रहने वाले उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव ने बताया कि बाबू सिंह के नाम अहिरवां में साढ़े छह बीघा जमीन थी।

कुछ दलालों की उनकी जमीन पर नजर पड़ी तो बाबू सिंह को तरह-तरह के प्रलोभन देने लगे। जमीन के 6.29 करोड़ रुपये दिलवाने का भरोसा देकर श्यामनगर में रहने वाले एक भाजपा नेता से मुलाकात करवाई गई। धर्मेंद्र के मुताबिक इसी साल 18 मार्च को रजिस्ट्री कार्यालय में ले जाकर उन्हें 6.29 करोड़ की चेक देकर अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली।

 

 

आरोप लगाया कि कुछ देर बाद बाहर ले जाकर चेक वापस ले लिया और कहा दूसरी चेक देंगे। इसके बाद उन्हें टहलाना शुरू कर दिया। इसकी शिकायत लेकर वे पुलिस, प्रशासन के पास भी गए पर कोई सुनवाई नहीं हुई। जमीन का कोर्ट में वाद दाखिल कर दिया।
मामला विचाराधीन था, इसके बाद भी आरोपी भाजपा नेता ने जमीन की रजिस्ट्री किसी और के नाम कर दी। करोड़ों की जमीन हाथ से निकल जाने से आहत बाबू सिंह ने खुदकुशी कर ली।

 

 

 

सुबह ग्रामीणों को उनका शव दो टुकड़ों में पटरी किनारे पड़ा मिला, तब परिजनों को घटना की जानकारी हो सकी। थाना प्रभारी अशोक दुबे ने बताया कि सुसाइड नोट मिला है। परिजनों से तहरीर मिलने पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बाबू सिंह शुक्रवार को जमीन देखने अहिरवां गए थे। वहां कुछ लोगों को प्लाटिंग करते पाया। पूछने पर उन लोगों ने बताया कि जमीन उनकी है और भाजपा नेता से खरीदी है। यह सुनकर बाबू सिंह को गहरा सदमा लगा और वे टूट गए। आखों में आंसू लेकर घर लौटे और इसके बाद से न कुछ खाया और न कुछ पीया। परिजनों ने उन्हें खूब समझाने का प्रयास किया लेकिन वह यही कहते रहे कि वह यह जंग हार चुके हैं।

 

 

 

 

 

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