पुतिन की जगह बड़े मंचों पर दिख रहे सर्गेई लावरोव; ब्रिटेन के फॉरेन सेक्रेटरी को दी थी गाली

 

विदेश। G20 सम्मेलन के घोषणा पत्र में अगर यूक्रेन जंग पर रूस के विचारों को ठीक से शामिल नहीं किया गया तो हम घोषणा पत्र ही रुकवा देंगे।

ये बात G20 समिट शुरू होने 8 दिन पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कही थी। वही लावरोव जो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की जगह समिट में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए हैं। अब तक लावरोव ने घोषणा पत्र का विरोध नहीं किया है। पुतिन के सबसे भरोसेमंद मंत्रियों में से एक लावरोव 19 साल से रूस के विदेश मंत्री हैं।

 

 

पिछले साल ब्रिटेन की फॉरेन सेक्रेटरी लिज ट्रस और लावरोव के बीच एक मीटिंग हुई थी। इस हाई-प्रोफाइल बैठक के बाद सर्गेई लावरोव ने कहा था- लिज ट्रस से बात करना ऐसा था जैसे आप एक बहरे इंसान से बात कर रहे हों, जो वहां मौजूद तो है लेकिन कुछ सुन नहीं रहा है।

2008 में ब्रिटिश फॉरेन सेक्रेटरी डेविड मिलीबैंड से एक मुद्दे पर बात करते वक्त लावरोव ने आपा खो दिया। उन्होंने डेविड को गाली देते हुए कहा था कि आप मुझे लेक्चर देने वाले कौन होते हैं।

 

 

लावरोव का जन्म 1950 में मॉस्को में हुआ था। उन्होंने एलीट स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन से ग्रेजुएशन किया है। साल 1972 में श्रीलंका में लावरोव ने अपने डिप्लोमैटिक करियर की शुरूआत की थी। साल 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ उस समय लावरोव विदेश मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय विभाग के हेड थे।

1994 में लावरोव को UN के लिए रूस का ऐंबैस्डर बनाया गया था। 2003 में जब तत्कालीन UN सेक्रेटरी जनरल कोफी अन्नान ने संगठन के हेडक्वार्टर में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी तो रूसी एम्बेसडर ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने कहा था कि UN चीफ अकेले इसका फैसला नहीं ले सकते। UN बिल्डिंग सभी सदस्यों की है और सेक्रेटरी जनरल सिर्फ एक अपॉइंटेड मैनेजर हैं।

 

 

2004 में पुतिन के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया। कई मंत्री आए और गए पर लावरोव लगातार इस पद पर कायम हैं। वे आंद्रेई ग्रोमीको के बाद सबसे लंबे समय तक रूस के विदेश मंत्री रहने वाले शख्स हैं।

अमेरिका के पूर्व NSA जॉन बोल्टन ने लावरोव को एक मजबूत नेता और अपनी फील्ड का एक्सपर्ट बताया है। US के नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर जॉन नेगरोपोन्टे ने कहा था कि लावरोव इस वक्त दुनिया के सबसे एक्सपर्ट विदेश मंत्री हैं।

 

 

रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद से पुतिन सिर्फ सोवियत यूनियन का हिस्सा रहे अपने पड़ोसी देशों और ईरान के दौरों पर गए हैं। इसके अलावा इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का वारंट जारी होने के बाद पुतिन किसी भी देश के दौरे पर नहीं गए हैं। ऐसे में सवाल उठा कि ग्लोबल फोरम में रूस का नेतृत्व कौन करेगा और जवाब मिला विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव।

जंग की शुरुआत के बाद पिछले साल इंडोनेशिया में हुए G20 समिट में पुतिन की जगह उनके विदेश मंत्री पहुंचे थे। ब्रिक्स की मीटिंग वर्चुअली हुई थी तो पुतिन इसमें जुड़े थे। वहीं SCO समिट के लिए वो समरकंद पहुंचे थे। हालांकि, इसकी एक बड़ी वजह ये भी थी कि उज्बेकिस्तान सोवियत संघ का सदस्य रह चुका है।

 

 

इसके अलावा इस साल साउथ अफ्रीका में हुए ब्रिक्स समिट से भी पुतिन गायब रहे। रूस भारत को अपना भरोसेमंद दोस्त बताता है। इसके बावजूद पुतिन यहां हो रहे G20 समिट में नहीं आए और उनकी जगह लावरोव ने ही ली।

इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक लावरोव के पास 600 मिलियन रूबल यानी करीब 50.78 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। हालांकि उनकी और उनकी पत्नी की कुल सालाना आय 4.5 मिलियन रूबल है। उनके पास 499 स्केवयर मीटर का आलीशान घर है जिसे सफेद रंग से पेंट किया गया है।

 

 

इसके अलावा लावरोव के पास लग्जरी अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में एक 247.3 स्केवयर मीटर का फ्लैट भी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस फ्लैट की कीमत लावरोव के घर की कीमत से भी अधिक है।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 73 साल के हैं। लावरोव शादीशुदा हैं और उनकी एक बेटी भी है। लावरोव का उनकी साथी कर्मचारी स्वेतलाना पॉलीअकोवा के साथ अफेयर भी रहा है। स्वेतलाना पेशे से एक एक्ट्रेस हैं। उनके पास विदेश मंत्रालय में काम करने की कोई योग्यता नहीं है फिर भी वो रूस के विदेश मंत्रालय में कार्यरत रही हैं।

 

 

आई स्टोरीस की रिपोर्ट के मुताबिक स्वेतलाना की लावरोव से नजदीकी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वेतलाना के दोस्त उनका नंबर स्वेतलाना लावरोव के नाम से सेव करते थे। स्वेतलाना और उनके रिश्तेदारों के पास रूस और ब्रिटेन में 1 अरब रूबल से ज्यादा की संपत्ति है।

साथ ही उनके पास 4 करोड़ रूबल से अधिक की लग्जरी गाड़ियां हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि स्वेतलाना ने अपने करीबी दोस्तों की भी विदेश मंत्रालय में पोस्टिंग करवाई थी। स्वेतलाना की बेटी 21 साल की है जिसका नाम पोलीना है, वह ब्रिटेन की नागरिक है। पोलीना ने लंदन में 4.4 मिलियन पाउंड के एक अपार्टमेंट को 999 साल के लिए लीज पर लिया है।

 

 

स्वेतलाना ने 2014 से 2021 तक 60 से ज्यादा बार सर्गेई लावरोव के साथ उनके आधिकारिक विमान में यात्रा की। इस दौरान वो लावरोव के साथ फ्रांस, इटली, स्विट्जरलैंड, जापान, सिंगापुर, पुर्तगाल और ग्रीस के दौरे पर गईं। उन्हें कई बार पुतिन के साथ भी देखा गया है।

विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को फुटबॉल खेलने का शौक है। लावरोव से एक बार उनकी लंबी और लगातार चलने वाली मीटिंग की स्ट्रैटेजी के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने बताया कि मैं हमेशा रूस की फुटबॉल टीम के बारे में सोचता रहता हूं। इसके साथ ही उन्हें तैराकी और राफ्टिंग का भी शौक है।

 

 

 

लावरोव को गिटार बजाने का शौक है, साथ ही वो कविताएं लिखना भी पसंद है। लावरोव ने बताया था कि उन्हें फोक और जैज म्यूजिक पसंद है। लावरोव अपने काम के बीच अपने परिवार को वक्त देना भी नहीं भूलते हैं। लावरोव की बेटी उन्हें फैमिली मेन कहती है।

रूस की राजनीति में लावरोव की अहमियत जानने के लिए 2009 की एक अहम बैठक पर नजर डालिए। 2009 में लावरोव ने अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ जेनेवा में बैठक की थी। इस दौरान दोनों देशों के रिश्तों में सदियों से चले आ रहे तनाव को कम करने के लिए बातचीत हुई थी।

 

 

 

रॉयटर्स के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच इस दौरान ईरान, अफगानिस्तान और नॉर्थ कोरिया के मुद्दे पर एक कॉमन अप्रोच रखने के लिए सहमति बनी थी। साथ ही उन्होंने ऐसे मुद्दों पर भी चर्चा की थी, जिसे लेकर रूस-अमेरिका में तनाव रहता था।

वहीं मीटिंग में दोनों देशों के बीच दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने पर भी सहमति बनी थी। बैठक के बाद लावरोव ने कहा था- ये एक नई शुरुआत है। हम न सिर्फ अमेरिका के साथ द्विपक्षीय रिश्ते बेहतर करेंगे बल्कि अहम मुद्दों पर दुनिया को लीड भी करेंगे। वहीं हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि हम विवादित मुद्दों पर भी साथ आकर ईमानदारी से काम करेंगे।

 

 

 

इस मीटिंग के बाद ही दोनों देशों के बीच कॉल्ड वॉर के समय से तैनात परमाणु हथियारों को हटाने के लिए अगले साल यानी 2009 में न्यू स्टार्ट ट्रीटी साइन हुई थी। जिसके तहत 2026 तक सभी परमाणु हथियारों को तैनाती हटा लेने का फैसला हुआ था। साथ ही दोनों देशों को एक-दूसरे के परमाणु ठिकानों की जांच करने का भी अधिकार इस ट्रीटी के तहत मिला था।

हालांकि, रूस-यूक्रेन जंग के बीच तनाव बढ़ने के बाद इस साल की शुरुआत में पुतिन इस समझौते से पीछे हट गए थे।

 

 

 

 

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