लखनऊ। उप्र मदरसा शिक्षा परिषद अब नए मदरसों को मान्यता दे सकेगी। मंगलवार को मदरसा बोर्ड की बैठक में नई मान्यता देने पर सहमति बनी। ऐसे में शासन स्तर से कराए गए सर्वे में मिले बिना मान्यता वाले 8,449 मदरसों को मान्यता मिलना आसान हो गया है। वहीं, बंद मदरसों की मान्यता नियमानुसार खत्म करने पर भी बैठक में सहमति बनी।
बोर्ड ने वर्ष 2016 के बाद से प्रदेश में नए मदरसों को मान्यता नहीं दी है। बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि करीब 2500 मदरसे ऐसे हैं, जिनकी मान्यता से बोर्ड से है लेकिन वो पोर्टल पर नहीं है। वहीं, बोर्ड से अस्थायी मान्यता प्राप्त सैकड़ों मदरसे भी हैं। अगर वे मानक पूरे कर रहे हैं, उनकी मान्यता का नवीनीकरण व स्थायी मान्यता दी जाएगी।
मदरसों में बीएड, एमएड और पीएचडी की पढ़ाई के संबंध में बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव आने पर सदस्यों ने कामिल व फाजिल की यूजीसी से मान्यता न होने पर सवाल उठाए। बोर्ड ने चेयरमैन ने बताया कि बैठक में यह तय हुआ कि पहले कामिल व फाजिल को मान्यता दिलवाई जाए। इसके बाद ही बीएड और एमएड की पढ़ाई शुरू करने पर विचार हो।
डॉ. इफ्तिखार ने बताया कि संतकबीरनगर के मेहदावल स्थित राज्यानुदानित मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत फैजुल इस्लाम में अनियमितता मिलने पर उसकी मान्यता निलंबित कर दी गई है। जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों ने करीब 240 मदरसे बंद होने की सूची भेजी है। इन मदरसों को नोटिस भेजी जाएगी। इसके बाद तीन साल के लिए निलंबित किया जाएगा।
नए मदरसों को मान्यता देने के फैसले पर बोर्ड के सदस्य कमर अली, तनवीर अहमद रिजवी, असद अहमद और डॉ. इमरान अहमद बिफर गए। बोर्ड के चेयरमैन और सदस्यों के बीच बहस शुरू हो गई। अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक जे रीभा ने सदस्यों को शांत कराया।