रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान PM रहेंगे मौजूद: नृपेंद्र मिश्रा बोले- प्राण-प्रतिष्ठा की तारीख अभी तय नहीं
अयोध्या राममंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। प्राण-प्रतिष्ठा की जिम्मेदारी साधु-संत निभाएंगे। हालांकि, अभी प्राण-प्रतिष्ठा की कोई तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन ये कार्यक्रम 10 दिन चलेगा। ये बातें राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने बताईं।
उन्होंने बताया कि मंदिर बनने के बाद एक से डेढ़ लाख भक्त हर दिन भगवान राम के दर्शन कर सकेंगे। हर भक्त को गर्भगृह में भगवान के दर्शन के लिए 20 से 30 सेकेंड का समय मिलेगा।
ने नृपेंद्र मिश्रा से प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम मंदिर निर्माण कब पूरा होगा? राम मंदिर संग्रहालय कितना बना है और यहां किन-किन चीजों के दर्शन होंगे? इस मंदिर की आयु कितनी होगी? जैसे कई सवाल पूछे। इन सवालों का उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया।
नहीं, अभी कोई तिथि फाइनल नहीं है। एक बात स्पष्ट करना चाहूंगा कि भगवान राम नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से ही विराजेंगे। प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम मुख्यत: साधु-संतों का कार्य क्षेत्र है और वे ही इसे संपन्न करेंगे। प्रधानमंत्री वहां पर मौजूद रह सकते हैं, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा साधु-संत ही करेंगे।
प्राण प्रतिष्ठा की जो अंतिम तिथि साधु-संत निर्धारित करेंगे, उस दिन प्रधानमंत्री भी उपस्थित रहेंगे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने उनसे इसका अनुरोध किया है। अभी PMO से इसकी पुष्टि नहीं हुई है। प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त 2020 में मंदिर की आधारशिला रखी थी। इसलिए वह प्राण प्रतिष्ठा में भी मौजूद रहेंगे, ऐसी हम सबकी इच्छा और अपेक्षा है।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने ट्रस्ट की ओर से PM को आमंत्रित करने के लिए निवेदन पत्र भेजा है। उनकी व्यस्तता को देखते हुए उनसे ही तारीख तय करने का अनुरोध किया गया है।
खुदाई में कई महत्वपूर्ण चीजें निकली हैं। ये चीजें इस मामले की कोर्ट में सुनवाई के दौरान साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत भी की गई थीं। इसके बाद अब भी वहां अनेक स्थानों पर चीजें मिली हैं, जिनका संग्रह किया जा रहा है। जब राम मंदिर से जुड़ा संग्रहालय का बनेगा, वहां पर सामान्य नागरिक और श्रद्धालुओं के लिए इन चीजों के दर्शन की व्यवस्था की जाएगी।
मंदिर का निर्माण 5 अगस्त 2020 या उससे भी 2 या 3 महीने पहले से चल रहा है। यह कार्य तीन चरणों में पूरा होगा। पहला- दिसंबर 2023 में पूरा होगा। इसमें ग्राउंड फ्लोर का निर्माण होगा और वहां भगवान स्थापित हो जाएंगे। दूसरा- इसमें मंदिर निर्माण पूरा होगा। इसे दिसंबर 2024 तक कर लिया जाएगा। तीसरा और आखिरी चरण दिसंबर 2025 में पूरा होगा। इसमें पूरे मंदिर परिसर का निर्माण होना है, जिसमें अन्य महत्वपूर्ण भवन और मंदिर भी शामिल हैं।
निर्माण इतना लंबा चला है, तो जाहिर है कि ऐसे में चुनौतियां भी ज्यादा आती हैं। मुख्य चुनौती लोगों की आस्था और उम्मीद से जुड़ी है। सिर्फ अयोध्या नहीं, पूरे भारतवर्ष, बल्कि देश से बाहर रह रहे लोगों की आस्था का भी प्रश्न है। ऐसे वातावरण में इंजीनियरिंग के साथ ही भावनाओं से संबंधित चुनौतियां भी होती हैं।
हमारे सामने यह भी चुनौती थी कि हमारे पास हमारे पुराने मंदिरों के निर्माण तकनीक या मटेरियल की जानकारी देता कोई लिखित दस्तावेज यानी आधिकारिक अभिलेख नहीं है। इसलिए अब हमने देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग संस्था IIT, रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के सहयोग से इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश कर रहे हैं।
वैसे हमारे सामने चुनौतियां रोज ही आती हैं और उनका समाधान भी रोज निकाला जाता है। हमारी प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कमेटी, टाटा कंसल्टेंसी ऑफ इंजीनियरिंग, हमारे आर्किटेक्ट सोनपुरा जी जिनके साथ तो सन 92 में ही एग्रीमेंट हो गया था, हम सब मिलकर इन चुनौतियों से निपटते हैं।