H-1B वीजा खत्म करेंगे विवेक रामास्वामी, रिपब्लिकन पार्टी से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेंट की रेस में हैं

 

अमेरिका में अगले साल होने वाले प्रेसिडेंशियल इलेक्शन होने वाले हैं। इसमें रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी कैंडिडेट बनने की रेस में शामिल हैं।

विवेक ने रविवार को H-1B वीजा के मुद्दे पर अहम बयान दिया। कहा- मैं अगर प्रेसिडेंट बनता हूं कि इस वीजा को खत्म करने एक नया वीजा सिस्टम लॉन्च करूंगा। H-1B सिस्टम एक तरह से ‘कॉन्ट्रैक्ट लेबर’ या बंधुआ मजदूरी और गुलामी का प्रतीक है।

 

 

खास बात यह है कि खुद विवेक ने 2018 से 2023 तक इसी वीजा कैटेगरी का इस्तेमाल 29 बार किया है। ऐसे में इस कैटेगरी को खत्म करने का वादा करके उन्होंने नई बहस को जन्म दे दिया है।

विवेक के मुताबिक- H-1B वीजा लॉटरी बेस्ड सिस्टम है और अब इसे खत्म करने की जरूरत है। इसकी जगह मेरिटोक्रेटिक एडमिशन सिस्टम लाया जाना चाहिए। अगर मैं 2024 में प्रेसिडेंट इलेक्शन जीतता हूं, तो ऐसा ही करूंगा।

 

 

मेरिटोक्रेटिक एडमिशन के मायने ये हैं कि किसी भी शख्स को वीजा उसके टैलेंट और काबिलियत के आधार पर दिया जाएगा। आसानी से समझें तो वो H-1B वीजा के लॉटरी सिस्टम को खत्म करके इसे पूरी तरह प्रोफेशनल और टैलेंट बेस्ड बनाने की बात कर रहे हैं।

यह वीजा सिस्टम इंडियन IT प्रोफेशनल्स के बीच बहुत पॉपुलर है। भारत के अलावा चीन के लोग भी H-1B वीजा कैटेगरी का बहुत इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, एप्लिकेशन और ग्रांट के मामले चीनी अब भारतीयों से पीछे रह गए हैं।

 

 

अमेरिकी मैगजीन ‘पॉलिटिको’ के मुताबिक- US सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज ने 2018 से 2023 के बीच कुल 29 बार रामास्वामी के लिए इसी वीजा कैटेगरी के तहत मंजूरी दी। हालांकि, वो अब इसे बुरा बताते हुए कहते हैं- इसमें जो भी शामिल हो, यह किसी के लिए अच्छा नहीं है।

विवेक ने आगे कहा- H-1B वीजा के तहत जो फैमिली मेंबर्स यहां आते हैं, उनका कोई मैरिट बेस नहीं होता और न ही वो अमेरिका के डेवलपमेंट में कोई मदद करते हैं।

 

 

38 साल के रामास्वामी ने कहा- 40 साल पहले मेरे पेरेंट्स अमेरिका आए थे। तब उनके पास पैसे नहीं थे। मैंने यहां अरबों डॉलर की कंपनियां बनाईं।

वैसे, इस मामले में एक रोचक तथ्य और भी है। 2016 में जब डोनाल्ड ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट थे तब उन्होंने भी H-1B वीजा को लेकर सख्त रुख अपनाया और कई वादे भी किए। हालांकि, जब वो इलेक्शन जीत गए तो इनमें से ज्यादातर वादे वो पूरा नहीं कर सके। इतना ही नहीं बाद में उनका इस मुद्दे पर रुख काफी नर्म हो गया था।

 

 

ट्रम्प अमेरिका के टॉप बिजनेस लीडर्स में शुमार हैं। उनकी कई कंपनियां हैं और इनमें सैकड़ों H-1B वीजा होल्डर काम करते हैं। इनमें भारतीय भी शामिल हैं। उनके इलेक्शन कैंपेन में भी इस वीजा कैटेगरी के तहत आने वाले लोग काम कर चुके हैं।

 

 

 

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