कर्नल, मेजर और डीएसपी की शहादत का लिया बदला, आखिरी आतंकी उजैर खान के सीने में भी उतारी गोली

 

 

जम्मू। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में बीते बुधवार से जारी मुठभेड़ खत्म हो गई है। जिले के कोकरनाग के गडूल के घने जंगल और पहाड़ी इलाके में सात दिन तक चला एनकाउंटर मंगलवार को पूरा हुआ है। हालांकि तलाशी अभियान जारी है। सुरक्षाबलों ने यहां दो आतंकियों को मार गिराया है। इन में लश्कर कमांडर उजैर खान भी शामिल है।

एडीजीपी कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि लश्कर कमांडर उजैर खान को मार दिया गया है। उसके पास से हथियार भी बरामद कर लिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, एक और आतंकवादी का शव मिला है। अनंतनाग मुठभेड़ खत्म हो गई है, लेकिन तलाशी अभियान जारी है। उन्होंने आगे बताया कि यहा दो से तीन आतंकियों के छिपे होने की सूचना थी। ऐसे में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।

 

 

एडीजीपी ने आगे कहा, ‘अब तक, लश्कर कमांडर उजैर खान का शव बरामद कर लिया गया है। एक अन्य आतंकवादी का शव मिला है। वहां एक बड़ा क्षेत्र है जिसकी तलाश की जानी बाकी है। वहां बहुत सारे गैर-विस्फोटित गोले हो सकते हैं जिन्हें बरामद कर नष्ट कर दिया जाएगा। हम लोगों से अपील करते हैं कि वे इस क्षेत्र में न जाएं।’ एडीजीपी ने कहा कि सुरक्षा बलों को रिपोर्ट मिली थी कि वहां दो से तीन आतंकवादी हैं। ऐसे में संभावना है कि तीसरा शव कहीं हो। तलाश पूरी होने के बाद इसका पता चलेगा।

ऑपरेशन के दौरान दो अन्य शव बरामद हुए हैं। इनमें से एक शव उजैर खान का है। जबकि दूसरे आतंकी की पहचान अभी की जा रही है। गडूल ऑपरेशन घाटी में आतंकवाद के विरोध में चले लंबे ऑपरेशन की सूची में शामिल हो गया है। घने जंगल और सीधे पहाड़ में बनीप्राकृतिक गुफाओं ने ऑपरेशन को लंबा खींचे जाने में मदद की। इस ऑपरेशन में सुरक्षबलों की तरफ से ड्रोन व अन्य आधुनिक हथियार और उपकरण भी प्रयोग में ला गए।

 

 

कोकरनाग में हुई मुठभेड़ में तीन सुरक्षा अधिकारी और एक सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा टीआरएफ ने ली थी। हमले को अंजाम देने में 10 लाख का इनामी आतंकी उजैर खान शामिल था। उजैर खान स्थानीय आतंकवादी था, जो कोकरनाग के नौगाम गांव का रहने वाला था। जून 2022 से उजैर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया। मंगलवार को एडजीपी कश्मीर ने बताया का गडूल जंगलों में हुई मुठभेड़ में उजैर खान समेत दो आतंकी मारे गए।

सुरक्षाबलों को 12 सितंबर मंगलवार शाम कोकरनाग के गडूल जंगलों में आतंकवादियों के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली। पुलिस, सेना और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने तलाशी अभियान चलाया, लेकिन आतंकियों का पता नहीं चल सका। रात होने पर ऑपरेशन रोक दिया गया।

 

बुधवार सुबह एक बार फिर ऑपरेशन शुरू हुआ। सूचना मिली कि आतंकवादी एक पहाड़ी की चोटी पर हैं। सुरक्षाबल आगे बढ़े। चोटी पर पहुंचने के लिए बलों को जो रास्ता अपनाना पड़ा, वो काफी चुनौतीपूर्ण था। जैसे ही सुरक्षाबल गुफा के पास पहुंचे तो वहां छिपे आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। संकरे रास्ते पर फंसे होने के कारण कर्मियों के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी, जिसके चलते दो सेना के अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी घायल हो गए।

 

घायल अधिकारियों मुठभेड़ स्थल से बाहर निकालना भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा। अन्य कर्मियों और हेलीकॉप्टर दोनों द्वारा उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। शुरुआती गोलीबारी के दौरान 19 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और पूर्व डीआईजी कश्मीर गुलाम मोहम्मद भट के बेटे डीएसपी हुमायूं भट वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं, एक जवान प्रदीप सिंह लापता हो गए, जिनका पार्थिव शरीर 18 सितंबर की शाम को मिला।

 

 

 

उधर, श्रीनगर में मंगलवार को बलिदानी प्रदीप सिंह की अंतिम विदाई का आयोजन किया गया। इस दौरान उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रदीप सिंह को श्रद्धांजलि दी। वहीं, उत्तरी सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी व सेना के अन्य अधिकारियों ने भी प्रदीप सिंह की वीरता को सलाम करते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उत्तरी सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना बलिदानी प्रदीप शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है। 27 वर्षीय सिपाही प्रदीप सिंह 13 सितंबर से लापता थे। 18 सितंबर की शाम करीब पांच बजे उनका पार्थिव शरीर मिला। वह कोकरनाग के गडूल के जंगलों में जारी ऑपरेशन का हिस्सा थे।

 

 

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