जयशंकर बोले- दुनिया में अब भी डबल स्टैंडर्ड, G20 में सबको साथ लाना आसान नहीं था

 

 

विदेश। UN जनरल असेंबली के 78वें सेशन के लिए विदेश मंत्री जयशंकर न्यूयॉर्क गए हुए हैं। UNGA के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने शनिवार को कहा कि G20 में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल कर भारत ने इतिहास रचा है। फ्रांसिस न्यूयॉर्क में इंडिया-यूएन फॉर ग्लोबल साउथ: डिलीवरिंग फॉर डेवलपमेंट कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी हिस्सा लिया।

जयशंकर ने कहा- G20 की अध्यक्षता करना काफी चुनौतीपूर्ण था। इस समय दुनिया में पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण चल रहा है। वहीं उत्तर-दक्षिण देशों के बीच विभाजन की रेखा खिंची है। ऐसे में सभी को साथ लाकर एक एजेंडे पर बात करना आसान नहीं था।

 

 

इस दौरान उन्होंने साउथ राइजिंग: पार्टनरशिप, इंस्टिट्यूशन्स एंड आइडियाज को भी संबोधित किया। जयशंकर ने कहा- ये अब भी डबल स्टैंडर्ड वाली दुनिया है। जिन देशों के पास ताकत है वो बदलने को तैयार नहीं हैं और ऐतिहासिक प्रभाव वाले देशों ने अपनी बहुत सी क्षमताओं को हथियार बना लिया है।

न्यूयॉर्क में इंडिया-यूएन फॉर ग्लोबल साउथ सम्मेलन में अपनी स्पीच के दौरान जयशंकर ने कहा- आपकी उपस्थिति हमारे लिए बहुत मायने रखती है। यह उन भावनाओं को भी व्यक्त करता है जो आप भारत के लिए महसूस करते हैं।

 

 

जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की जी20 अध्यक्षता का मुख्य एजेंडा वैश्विक वृद्धि और विकास था और हमने इसे बखूबी निभाया।

विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, विदेश मंत्री जयशंकर यूएनजीए सत्र के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए न्यूयॉर्क में हैं, जहां वह 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे। न्यूयॉर्क की अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद, वह वाशिंगटन जाएंगे।

 

 

इससे पहले पाकिस्तान ने UNGA के 78वें सेशन में एक बार फिर से कश्मीर का जिक्र किया। पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर ने कहा- हम अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते चाहते हैं। कश्मीर भारत के साथ बेहतर रिश्तों की कुंजी है और विकास के लिए शांति बहुत जरूरी है।

पाकिस्तान ने आगे कहा- भारत ने UNSC के रिजोल्यूशन का भी पालन नहीं किया है, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में UN की निगरानी में जनमत संग्रह करवाकर अंतिम फैसला लिए जाने की बात है। अगस्त 2019 से भारत ने अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में करीब 9 लाख सैनिकों की तैनाती की है, जिससे वो अपना फैसला कश्मीर पर थोप सकें।

 

 

 

भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी गहलोत ने कहा- खासकर जब अल्पसंख्यकों और महिलाओं के अधिकारों की बात आती है, तो पाकिस्तान की हालत बहुत खराब है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर उंगली उठाने से पहले पाकिस्तान अपना घर दुरुस्त कर ले। उन्होंने कहा कि साउथ एशिया में शांति कायम करने के लिए पाकिस्तान को तीन कदम उठाने की जरूरत है।

 

 

पहला कदम-सीमा पार आतंकवाद को रोकना और उसके बुनियादी ढांचे को तुरंत बंद करना होगा।

दूसरा कदम-जबरन कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों को खाली करना होगा।

तीसरा कदम- अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकना चाहिए।

भारतीय डिप्लोमैट गहलोत ने कहा- यूनियन टेरेटरी जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख भी भारत के अभिन्न अंग हैं। पाकिस्तान को भारत के घरेलू मामलों के बारे में बयान देने का कोई अधिकार नहीं है। पाकिस्तान ने दुनिया में सबसे ज्यादा उन आतंकियों को पनाह दी है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित हैं।

 

 

 

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