न्यूज़ वाणी
ब्यूरो मनोज पटेल
मिर्ज़ापुर । राजगढ़ विकासखंड क्षेत्र के नक्सल प्रभावित चौखड़ा गांव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर जंगल है जंगल पहाड़ों के बीच में पंचशील दरी है जो की थाढे पाथड़ के नाम से बहुत ही मशहूर जंगल है। आसपास क्षेत्र के लोगों का रविवार के दिन पर्यटक स्थल पर जमावड़ा लगा रहता है। झरने की गिरते पानी की छम छम की आवाज से पर्यटकों को को को लुभा रही है। गांव के संदीप सिंह ने बताया कि पहाड़ों के चारों तरफ हरे भरे पेडों की हरियाली एवं चारों ओर से बहता पानी का मनोहर दृश्य पर्यटक को अपनी और खींचता है। सावन एवं भादो के अलावा अन्य दोनों में पर्यटकों की भीड़ जुटी है। हम आपको बताते चले कि जिला मुख्यालय से दरी की दूरी लगभग 61 किलोमीटर है। और चुनार से इसकी दूरी 36 किलोमीटर है। पंचशील दरी पर मनोरम दृश्य देखते ही मन खिल उठता है। जो कि जंगलों के बीच में बस है। जो एक बार इस तरह पर आकर देख लेगा वह हर बार यहां आना पसंद करेगा पर्यटकों को आने से काफी दुकानदारों को भी लाभ होगा और यह बहुत ही अनोखा दृश्य है। चारों तरफ बड़े-बड़े चट्टान हैं, ग्रामीण बताते हैं कि यह पर पानी पूरे वर्ष बहता ही रहता है, और जंगल के आसपास लंगूर, मोर, जंगली सूअर, नीलगाय, जैसे अन्य को जानवर इस कुंड के आसपास नीचे रहते हैं, जंगल में जड़ी बूटी भी पाई जाती है, जो कि किसानों के लिए वरदान साबित होता है, दरी से लगभग एक किलोमीटर पहले ही हनुमान जी का मंदिर है, जो कि यहां पर पर्यटक लोग आते हैं, और दर्शन भी करते हैं। सचिन गुप्ता, आशु सिंह, शशांक गुप्ता, पीयूष कुमार, अनुराग सिंह, शुभम पटेल, रितेश कुमार, अंजनी सिंह, विनय सिंह, ने बताया कि अगर पंचशील दरी तक पक्की सड़क या रास्ता सही ढंग से बन जाए तो जिले में भी पंचशील दरी एक अलग पहचान बन सकता है।