फिर उठा बुंदेलखंड पृथक राज्य निर्माण का मुद्दा

हमीरपुर। बुंदेलखंड पृथक राज्य निर्माण की मांग ने एक फिर से जोर पकड़ा है। शुक्रवार को राष्ट्रीय सेवा संघ ट्रस्ट बाँदा के संयोजक रमेश चंद्र दुबे के नेतृत्व में अन्य कार्यकर्त्ताओं ने कलेक्ट्रेट में नुक्कड़ बैठक करने के बाद केंद्र सरकार से सम्बोधित ज्ञापन अतिरिक्त अधिकारी को सौपा है।
ज्ञापन में कहा कि पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण की मांग कई दशकों से होती चली आ रही है परन्तु राज्य और केन्द्र सरकारों द्वारा इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्यों का निर्माण किया जा चुका है, परन्तु बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिए ध्यान नहीं दिया गया और उपेक्षा की गई। जबकि बुन्देलखण्ड क्षेत्र मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सरकारों को सरकारों के कुल राजस्व आय का 60 प्रतिशत प्रदान करता है। लेकिन सरकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र की आय का 6 प्रतिशत से अधिक बुन्देलखण्ड की जनता व बुन्देलखण्ड के विकास पर खर्चा नहीं करती है। यदि बुन्देलखण्ड की पूर्ण आय बुन्देलखण्ड में ही खर्च होगी तो बुन्देलखण्ड की जनता निश्चित
ही खुशहाली का जीवन व्यतीत करेगी। कहा कि  बुन्देलखण्ड राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से अत्यन्त पिछड़ा हुआ है यहां का राजस्व दूसरे क्षेत्रों के विकास में खर्च किया जाता है। पूरा बुन्देलखण्ड उद्योग विहीन है जिससे बेरोजगारी बढ़ी है। पढ़े-लिखे युवकों तथा श्रमिक वर्ग के लोगों को भी अपने पेट की भूख मिटाने के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है जिसका परिणाम यह है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में श्रम शक्ति का ह्रास हुआ है तथा बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है तथा श्रमिकों के पलायन कर जाने से कृषि क्षेत्र में भी प्रभाव पड़ा है और श्रमिकों का अभाव हो गया है।कहा कि बुन्देलखण्ड की संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था बोली एवं परिधानों से एक अपनी पहचान रही है लोगों के बाहर जाने से वह भी नष्ट हो रही है तथा लोक संस्कृति लुप्त हो रही है।
इस दौरान एड. अवधेश कुमार गुप्ता (खादी वाला),अशोक पाठक,कृष्णदत्त मिश्रा, शिवदयाल पटेल,बलराम तिवारी (किसान यूनियन ), गोविन्द प्रसाद त्रिपाठी सहित अन्य बंदेली मौजूद रहे।
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