पुल की छत में जगह जगह हो गए है बड़े-बड़े गड्ढे
सुमेरपुर।सुमेरपुर एवं मौदहा विकासखंड की सीमा पर बहने वाली चंद्रावल नदी में टोला गांव के पास बना पुल ओवरलोड वाहनों के रात दिन गुजरने से महज 16 वर्ष में ही बूढा हो गया है। भारी वाहनों के रात दिन गुजरने से इस पुल की छत की सरिया खुले आम दिखती है। इतना ही नहीं ट्रकों की धमा चौकड़ी से बाहर निकली सरिया घिसकर टूट गई है। अगर इसकी जल्द मरम्मत नहीं कराई गई तो इस पुल पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
वर्ष 2007 में लंबी मांग के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस पुल को बनवाकर तैयार कराया था। सुमेरपुर सिसोलर मार्ग में बना यह पुल मौदहा एवं सुमेरपुर क्षेत्र के आधा सैकड़ा गांवों के लोगों को मुख्यालय से सीधे जोड़ता है। इस पुल के बनने से केन नदी में चलने वाली खदानों का व्यापार चमक उठा है। केन नदी की खदानों से आने वाले ओवरलोड ट्रकों की मार को झेलते झेलते यह पुल असमय बूढ़ा हो गया है। मरम्मत न होने से यह बहुत पुराना महसूस होता है। टोला गांव के निवासी मोहित सिंह, राम अवतार आदि बताते हैं कि ओवरलोड बालू लदे ट्रकों के गुजरने से 3 वर्ष के अंदर पुल की यह दुर्गति हुई है। इसके पूर्व यह बहुत अच्छी हालत में था। यह पुल हमीरपुर से बांदा को सीधे जोड़ता है। मौदहा तहसील के किसवाही, बैजेमऊ, गढा, भुलसी, बुढई, टोला परेहटा, सिसोलर, पडोहरी, परछछ, तिलसरस, भैंसमरी, चांदी, भमई, लेवा, पासुन, छानी, बक्छा, टिकरी के अलावा मुंडेरा, मिहुना, अतरैया, बदनपुर, पचखुरा खुर्द, बिरखेरा, पंधरी आदि गांवों के लोगों का प्रतिदिन हमीरपुर और बांदा आना जाना रहता है। अगर जल्द ही पुल की मरम्मत नहीं कराई गई तो यह पुल किसी भी वक्त बड़े हादसे का शिकार हो सकता है। क्योंकि पुल की छत के बड़े-बड़े गड्ढे को देखकर सहज अंदाजा लगता है कि छत की सरिया की ऊपर की लेयर पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। छत में सरिया के नीचे का ही लेयर बचा हुआ है जो किसी भी वक्त भरभराकर ढह सकता है। अगर ऐसा कुछ हुआ तो उसे सिसोलर क्षेत्र के चौबीसी के गांवों के लोगों को मुख्यालय आने के लिए 40 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना होगा।