UP में दो आतंकियों समेत 10 को हुई फांसी की सजा

 

 

 

उत्तर प्रदेश: अंग्रेजी में एक कहावत है जस्टिस डिले इज अ जस्टिस डिनाई यानी न्याय मिलने में देरी न्याय ना मिलने के समान है। लेकिन अब यूपी पुलिस इस कहावत को झुठलाने में जुट गई है। दरअसल, बीते 3 महीने में यूपी पुलिस ने ऑपरेशन कन्विक्शन चलाया। इसके चलते कोर्ट ने दो आतंकियों समेत 10 को फांसी की सजा सुनाई। पुलिस की 90 दिन में ऑपरेशन कन्विक्शन से ही 1142 अपराधियों को उम्रकैद और अलग-अलग मामलों में 10487 आरोपियों को सजा सुनाई। वहीं, प्रदेश में हर 24 घंटे में तकरीबन 150 अपराधियों को अलग-अलग मामलों में सजा सुनाई जा रही है । इतना ही नहीं ऑपरेशन कन्विक्शन में उन पुलिस कर्मियों को सम्मानित किया गया। जिन्होंने कई बड़े मामलों में कम समय में जांच कर चार्जशीट फाइल की।

 

 

 

मथुरा में सौतेले पिता के रेप केस में 13 दिन के अंदर और रामपुर में नाबालिग से रेप केस में 11 दिन में पुलिस ने चार्जशीट फाइल की। इसके चलते कोर्ट ने आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपनी इस रिपोर्ट में हम ऐसे पुलिसकर्मियों के बारे में तो बताएंगे ही साथ ही यह भी बताएंगे कि कैसे हर घंटे चार मामलों में यूपी पुलिस अपराधियों को सजा दिला रही है । लेकिन सबसे पहले बात होगी उन हीरोज की। जिन्होंने मामलों की जांच तेजी से की।

 

 

कानपुर के चकेरी थाना क्षेत्र में 24 अक्तूबर 2016 को आतंकियों ने पूर्व प्रधानाचार्य रमेश बाबू शुक्ला की गोली मार कर हत्या कर दी थी। पूरी तरह से ब्लाइंड मर्डर की जांच कर रहे तत्कालीन इंस्पेक्टर सतीश सिंह इसकी कड़ी से कड़ी से जोड़ की रहे थे कि लखनऊ में आतंकी सैफुल्ला को यूपी ATS एक मुठभेड़ में मार किया।

जांच में सामने आया कि रमेश बाबू की हत्या में उसके ही दो साथियों का हाथ है। मामला आतंकी गतिविधियों से जुड़ा होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के साथ बारीकी से साक्ष्य संकलन कर आरोपियों के खिलाफ जांच की। जिसके चलते आतंकी आतिफ और फैसल को 14 सितंबर 2023 को फांसी की सजा सुनाई गई।.

 

 

 

सीतापुर के थाना रेउसा में जनवरी 2020 में एक व्यक्ति थाने पर पहुंच कर बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। इंस्पेक्टर नोवेन्द्र सिंह सिरोही ने जांच शुरू की तो बार-बार संदेह घर वालों पर ही जाता रहा। लेकिन लापता बच्ची के पिता से लेकर परिचित तक गुमराह करते रहे।

इसी बीच एक बच्ची और उसके पिता से जुड़ा क्लू मिलने पर पुलिस ने पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो सामने आया कि उसने ही अपनी बेटी की रेप के बाद हत्या कर दी। साथ ही शव को अपने ही घर में दफना दिया था। जांच ने करीब 30 दिन में कोर्ट में चार्जशीट लगाकर कोर्ट में साक्ष्यों व गवाहों को पेश किया। जिसके चलते 6 अक्टूबर 2023 को आरोपी पिता को फांसी की सजा सुनाई गई।

 

 

 

 

बलरामपुर के थाना कोतवाली नगर में 9 मई 2023 को एक 11 साल की बच्ची को गांव के ही युवक विनोद मौर्य ने दस रुपया का लालच देकर राजापुर भरिया के जंगल में ले गया। जहां उसके साथ रेप किया। पुलिस ने घटना की जानकारी होते ही इंस्पेक्टर विमलेश कुमार सिंह ने DNA परीक्षण और साक्ष्य जुटाते हुए 28 जून को कोर्ट में चार्ज शीट दाखिल कर दी।

वहीं पैरोकार मुख्य आरक्षी संजय कुमार ने घटना से जुड़े गवाहों को हर तारीख पर ले जाकर और आरोपी को सजा दिलाने के लिए प्रभावी पैरवी की। नतीजा 28 दिन में 26 जुलाई को अभियुक्त विनोद को आजीवन कारावास के साथ 53हजार रुपए का जुर्माने की सजा हुई।

 

 

 

इसी तरह चित्रकूट में एक पिता ने 10-जुलाई 2023 को शराब के नशे में अपनी ही पुत्री के साथ बलात्कार किया गया । जांच में अभयराज ने साक्ष्यों को जुटाते हुए 22 दिन में (2 अगस्त) मामले की चार्ज शीट दाखिल कर कर दी। जांच और पैरोकार आनंदकुमार की पैरवी का नतीजा रहा कि (20 अगस्त 2023) को आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी।

 

 

 

औरैया के थाना अयाना में 25 मार्च 2023 को थाना क्षेत्र में भैंस चराने गई 8 साल की बच्ची का अपहरण हो गया। पुलिस के लिए यह केस वर्क आउट करना चुनौती बन गया। विवेचक सुरेश चंद्र ने घटना स्थल और बच्ची के आने-जाने वालों रास्तों के सीसीटीवी के साथ अन्य लोगों से बात कर संदिग्ध गुफरान को गिरफ्तार किया। उसकी निशान देही पर बच्ची का शव एक गेहूं के खेत से बरामद किया गया। जांच में आया कि गुफरान बच्ची को जबरन उठा ले गया और रेप कर हत्या कर दी। इस मामले में पुलिस ने छह दिन में चार्जशीट दाखिल कर दी। विवेचक ने पैरोकार अनुराग कुमार के साथ मिलकर अभियोजन की सशक्त पैरवी की। जिसके बाद कोर्ट ने 88 दिन में आरोपी गुफरान को मौत की सजा और पांच लाख का जुर्माने की सजा सुनाई

 

 

 

यूपी में अपराधियों को सजा दिलाने के आंकड़ों पर नजर डाले तो अपराधियों को सजा दिलाने में बढ़ोत्तरी हुई है। 2020 की तुलना में प्रतिमाह 10 गुना, 2021 में लगभग छह गुना और 2022 में चार गुना बढ़ोतरी हुई है। 2020 में 357 आरोपियों को, 2021 में 597 आरोपियों को, 2022 में 785 लोगों को सजा हुई। वहीं तीन माह के आपरेशन कन्विक्शन में 3212 लोगों को सजा सुनाई गई है।

 

 

 

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