सुमेरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान में वीरांगना दुर्गा भाभी की पुण्यतिथि मनाकर देश कीआजादी मे उनके योगदान को याद कर श्रृद्धांजलि दी गयी। संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि दुर्गा भाभी एक बेजोड़ वीर बेटी थी। आजादी के संघर्ष में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। इनका जन्म 1907 में इलाहाबाद के शहजादपुर गांव
में पंडित बांकेबिहारी लाल भट्ट के घर हुआ था। इनका विवाह क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा से हुआ था। बम्बई के गवर्नर हेली को मारने के प्लान में इनकी खास भूमिका थी। भाभी ने 9 अक्टूबर 1930 को सुखदेव के साथ गवर्नर पर गोली चलाई। संयोग से गवर्नर के स्थान पर अन्य अंग्रेज अधिकारी टेलर घायल हो गया। सांडर्स वध के बाद दुर्गा भाभी ने 1928 में भगत सिंह की पत्नी बनकर बडा जोखिम उठा कर लाहौर से कलकत्ता भेजा था। भाभी ने ही आजाद को पिस्तौल दी थी। जिसका आजाद ने 1927 में इलाहाबाद में अंग्रेजों से मुकाबला किया था। इनके पति बोहरा का बम परीक्षण के दौरान मौत हो गई थी। फिर भी यह क्रांतिकारी बनी रही। आजाद भारत में गाजियाबाद और लखनऊ रही और शहीद शोध संस्थान की स्थापना की। कालांतर में 15 अक्टूबर 1999 को इनका निधन हो गया। कार्यक्रम में अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, रमेशचंद्र गुप्ता, अशोक अवस्थी, राधारमण गुप्ता, आयुष शिवहरे, रमेश कुशवाहा, मुन्ना विश्वकर्मा और पुन्नी महाराज आदि अन्य लोग शामिल रहे।