आयुष्मान कार्ड के नाम पर लोगो के साथ हो रहा धोका: अस्पताल लेके जाने पर हुआ खुलासा

 

 

आगरा में आयुष्मान कार्ड भी फर्जी बनाने का गैंग सक्रिय हो गया है। ये रुपये लेकर अपात्रों को फर्जी आयुष्मान कार्ड थमा दे रहे हैं। लोग इलाज के लिए जब अस्पताल पहुंचते हैं तब फर्जीवाड़ा पकड़ में आता है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के आधिकारिक पोर्टल पर सत्यापन में ऐसे कार्ड फर्जी साबित हो जाते हैं।

आयुष्मान योजना के 2.05 लाख परिवार लाभार्थी हैं। इनमें 8.91 लाख सदस्यों के कार्ड बनाए जाने हैं। अभी 5.38 लाख सदस्यों के कार्ड बनाने के लिए विशेष अभियान चल रहा है। योजना के नाम पर कुछ लोग अपात्रों के फर्जी कार्ड भी बनाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं। इलाज के लिए जब ये अस्पताल पहुंचते हैं तो स्टाफ इनके कार्ड के सत्यापन के लिए एबी-पीएमजेएवाई आगरा ऑफिशियल वेबसाइट पर उसे सत्यापित कराते हैं। यहां सत्यापित रिपोर्ट में कई कार्ड फर्जी मिले हैं।

 

 

दीपक गुप्ता (43) इनकी पत्नी, मेघा और बेटे रौनक के नाम से आयुष्मान कार्ड बना। उपचार के लिए अस्पताल आने पर स्टाफ ने कार्ड सत्यापन के लिए आधिकारिक पोर्टल पर भेजा, जहां सत्यापित रिपोर्ट में कार्ड को फर्जी बताया गया।

शमसुद्दीन (41) आयुष्मान कार्ड लेकर उपचार के लिए निजी अस्पताल पहुंचे। वहां स्टाफ ने पोर्टल पर सत्यापित कराया तो कार्ड फर्जी पाया गया। आधार कार्ड संख्या और परिजन का विवरण अलग-अलग मिला।

 

 

ये हैं आयुष्मान कार्ड के सही पात्र :

– 2011 की आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण की सूची में शामिल परिवार और उनके परिजन।
– मान्यता प्राप्त पत्रकार, पात्र गृहस्थी के ऐसे परिवार जिनके 6 या इससे अधिक सदस्य हों।
– पात्र गृहस्थी में मुखिया और ऐसे दंपती जिनकी उम्र 60 साल से अधिक हो।

 

 

सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि अपात्रों के फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने की शिकायतें मिली हैं। उपचार के लिए आने पर सत्यापन में ये पकड़ में आते हैं। इनको योजना का लाभ नहीं मिलता। फर्जी कार्ड बनाने वालों पर जांच कराकर कार्रवाई भी करेंगे।

आईएमए अध्यक्ष डॉ. मुकेश गोयल ने कहा कि पोर्टल पर सभी पंजीकृत अस्पताल संचालक जुड़े हैं। सत्यापन में फर्जी मिलने पर पोर्टल पर रिपोर्ट आती है। इससे अन्य संचालक भी फर्जी कार्ड से अवगत हो जाते हैं। ऐसे मामले अस्पतालों में आते हैं।

 

 

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