फिल्म ‘यारियां 2’ की कहानी आज के दौर के युवाओं की दोस्ती की कहानी बिल्कुल नहीं है। फिल्म का प्रचार दो भाइयों व एक बहन की साथ साथ चलती तीन दिलचस्प प्रेम कहानियों के तौर पर किया गया होता तो इस पारिवारिक मनोरंजक फिल्म का बॉक्स ऑफिस परिणाम पक्का एक नया इतिहास रचने में कामयाब होता। फिल्म ये राजश्री ब्रांड की है, प्रचार इसका अनुराग कश्यप टाइप फिल्म की तरह कर दिया गया है। अपने पति की गर्लफ्रेंड के घर में अपने पति को सम्मान दिलाने की कोशिश करती एक पत्नी की ये मार्मिक कहानी है। और जब दिव्या खोसला कुमार का किरदार इस पूरी प्रक्रिया से फिल्म के दूसरे हिस्से में गुजरता है तो बरबस आंखें नम हो ही आती हैं।
कहानी हिमाचल प्रदेश की है। एक मां अपनी लाडली को सौंदर्य प्रतियोगिता जिताने और साथ ही उसकी शादी कराने के लिए भी जो कुछ कर सकती है, कर रही है। बेटी सामान्य नहीं है। उसका बीमारी का इतिहास है। और, जो उससे शादी करने आया है, वह भी अपना एक अतीत लेकर आया है। इस युवती के दो चचेरे भाई हैं। एक बाइकर है। दूसरा कहीं साधारण सी नौकरी कर रहा है। दोनों को बुलावा जाता है। शादी होती है और कहानी मुंबई आ जाती है। यहां एक बंद कमरे में छुपी यादें हैं। जमाने की रफ्तार से भागती एक एयर होस्टेस की अपने बॉयफ्रेंड को जलाने के लिए एक आम लड़के को इस्तेमाल करने की कोशिशें हैं। और है, एक खूबसूरत सी लड़की जो वीटी स्टेशन पर टिकट बांटती है। आईवी लीग की यूनिवर्सिटी में एडमिशन पाती है और फिर भी चाहती है कि उसे प्यार करने वाला उसे रोक ले।
फिल्म ‘यारियां 2’ की पटकथा बिखरी बिखरी सी जरूर है लेकिन शायद यही इस फिल्म की आत्मा है। बेघर, बंजारा, आवारा सी बहकती भटकती चलती है ये कहानी। राधिका राव और विनय सप्रू का टी सीरीज में अपना एक अलग रौला रहा है। फ्रेम में जो कुछ भी दिख रहा है, वो सब ये दोनों ने खुद ही सजाया है। कपड़े, स्टाइलिंग से लेकर बेक्ड समोसा, डायट कोक और रे बैन का चश्मा तक सब। डिज्नी के फैंटेसी लैंड से दिखते फ्रेम बनाने की कोशिश में राधिका और विनय मेहनत बहुत करते हैं। डिज्नीलैंड जैसी दुनिया में बेहद दर्द भरी तीन कहानियां सजाई हैं राधिका और विनय में। कहीं कहीं यहां दर्शकों को म्यूजिक वीडियो डायरेक्टर से फिल्म निर्देशक बने अनुभव सिन्हा की ‘तुम बिन’ भी याद आ सकती है।
दिव्या खोसला कुमार फिल्म की हीरोइन है और फिल्म ‘यारियां’ का पूरा आभामंडल उन्हीं का है। वह किरदार के साथ अपनी सांसों को सम पर लाने का पूरा समय लेती हैं। और, एक बार जब उनका अभिनय फिल्म के दूसरे हिस्से में अपनी रवानी पर आता है तो वह देखने लायक होता है। दिव्या खोसला के बारे में मैं पहले भी कह चुका हूं कि वह मौजूदा दौर की अनन्या पांडे, सारा अली खान जैसी तमाम अभिनेत्रियों से कहीं बेहतर कलाकार हैं, बस उन्हें सही किरदार और नया निर्देशन मिलने की जरूरत है। मीजान जाफरी में भी हिंदी सिनेमा की होप दिखती है। उनकी कद काठी. आवाज और आंखें प्रभावी हैं। इकरूह अवस्थी बनीं अनस्वरा राजन के साथ उनकी जोड़ी कमाल दिखती है। हां, अनस्वरा ने अपने संवादों की डबिंग भी खुद ही की होती तो कुछ और बात होती। लाडली के पति बने यश दासगुप्ता और दूसरे कजिन बने पर्ल वी पुरी ने भी अपनी अपनी जगह कोशिशें अच्छी की हैं।
फिल्म के सहायक कलाकारों में लिलेट दुबे और सुधीर पांडे जाने पहचाने चेहरे हैं और अपनी जिम्मेदारियों को दोनों निभाते भी अच्छे से हैं। फिल्म टी सीरीज की है तो गाने इसमें भरपूर होने ही हैं, खासतौर से अगर निर्देशन राधिका राव और विनय सप्रू का है तो। अरिजीत सिंह का गाना ‘ऊंची ऊंची दीवारें’ और जुबिन नौटियाल का गाया ‘बेवफा तू’ बहुत ही अच्छे गाने बन पड़े हैं। बाकी आठ गानों में अधिकतर पंजाबी ठसके के हैं और यूट्यूब पर टी सीरीज के वीडियो व्यूज बढ़ाने में ये मदद करते हैं। रवि यादव की सिनेमैटोग्राफी आकर्षक है। फिल्म पूरे परिवार के साथ देखे जाने लायक है और अगर इस सप्ताहांत आपका मन कजिन्स के साथ वक्त बिताने का है तो फिर तो ये फिल्म दशहरा के शगुन जैसी ही है।