उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने गरीबों, वंचितों और एससी-एसटी समेत पिछड़ी जातियों के हितों को ध्यान में रखते हुए बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने निर्देश दिया है कि गरीब एवं निराश्रित व्यक्तियों को सार्वजनिक भूमि से बेदखल करने की कार्रवाई करने से पूर्व उनके आवास की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। सरकार ने इसके लिए जिलाधिकारी की जिम्मेदारी तय करते हुए ऐसे मामलों में गरीबों के उत्पीड़न और शोषण पर कड़ा रुख अपनाने के भी निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने ये निर्देश उन शिकायतों पर दिए हैं, जिनमें सार्वजनिक भूमि पर अनुसूचित जाति, जनजाति के गरीब तथा भूमिहीन व्यक्तियों को बिना विधिक प्रक्रिया के अनुपालन के लिए हटाया जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव सुधीर गर्ग द्वारा समस्त मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद एवं पुलिस आयुक्त एवं वरिष्ठ पुलिस आयुक्त को इस संबंध में पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि अवैध संपत्तियों एवं भूमाफिया का चिन्हीकरण तथा अतिक्रमण हटाए जाने से संबंधी कार्यवाही करते समय किसी गरीब, असहाय एवं कमजोर व्यक्ति का उत्पीड़न न होने पाए तथा विधिक प्रक्रियाओं का अनुपालन प्रत्येक दशा में सुनिश्चित किया जाए।
गरीबों के उत्पीड़न, शोषण के संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर जिलाधिकारी स्वयं प्रकरण की जांच करेंगे तथा जांच में दोषी पाए जाने पर दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करेंगे। पत्र में कहा गया है कि सरकार ने पहले भी इस संबंध में निर्देश जारी किए थे, लेकिन उसका अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है।
यह स्थिति अत्यंत खेदजनक व स्वीकार योग्य नहीं है। इसमें कहा गया है कि गरीब एवं निराश्रित व्यक्तियों के आवास की व्यवस्था किए जाने के बाद ही उनको बेदखल करने की कार्रवाई की जाए। जिलाधिकारी की जिम्मेदारी तय करते हुए कहा गया है कि इन निर्देशों का जिलाधिकारी द्वारा कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। अनुपालन में शिथिलता के लिए संबंधित जिलाधिकारी स्वयं उत्तरदायी होंगे।