डॉ. भीमराव अंबेडकर जी का128 वा जन्म दिवस धुम धाम से मनाया।
दिनेश कुमार
रुडकी – झेबरेडा क्षेत्र मोलना गॉव में अम्बेडकर जयंती की शोभा यात्रा का फीता काटकर किया गया शुभारंभ और बाबा साहेब के नाम से मशहूर अम्बेडकर अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया। इस दौरान बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते थे
बाबा साहेब अंबेडकर का परिवार महार जाति (दलित) से संबंध रखता था, जिसे अछूत माना जाता था। उनके पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे। उनके पिता ब्रिटिश सेना की महू छावनी में सूबेदार थे।बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखने वाले अंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की। स्कूल में उन्हें काफी भेदभाव झेलना पड़ा। उन्हें और अन्य अस्पृश्य बच्चों को स्कूल में अलग बैठाया जाता था। वह खुद पानी भी नहीं पी सकते थे। ऊंच जाति के बच्चे ऊंचाई से उनके हाथों पर पानी डालते थे।ऐसी परिस्थितियों को दूर करने के लिए ही बाबा साहब डाक्टर भीमराव अम्बेडकर एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जिससे वह सभी जात पात को खत्म कर सके
और ग्राम मोलना वासी डीजे पर जमकर नाचते नजर आए
कमटी, अध्यक्ष आम्बरीस कुमार, दीपक,कुलवीर ,नितीन,हरभजन,नरेन्द्र ,आसीस,गुरमीत,अंकीत,
और समस्त ग्रामवासी रहे मौजूद