ब्रह्म विज्ञान इंण्टर कालेज अतर्रा में रामायण के प्रणेता आदि कवि महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती मनायी गयी
न्यूज़ वाणी
संवाददाता ओमप्रकाश गौतम
अतर्रा/बांदा। ब्रह्म विज्ञान इंटर कॉलेज अतर्रा में कवि महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। प्रधानाचार्य शिवदत्त त्रिपाठी ने कहा कि महर्षि बाल्मीकि जी युगदृष्टा थे तथा ब्रह्म ज्ञानी थे, जिन्होंने राम के चरित्र को महाकाव्य के रूप में लिखा, जिन्हें लौकिक संस्कृत के आदि कवि के रूप में माना जाता है, वाल्मीकि जी का आश्रम चित्रकूट जनपद के लालापुर में स्थित है भगवान् राम जब वन गये तो उनके आश्रम से होकर गये, इसके बाद सीता के परित्याग के समय भी इनके आश्रम में लव कुश हुये जिन्हें सब प्रकार की शिक्षा दी। एक बार जब तमसा नदी के किनारे स्नान के लिए जा रहे थे तो बहेलिया द्वारा क्रौंच पक्षी के जोडे में से एक को मारने पर करुणा के कारण एक श्लोक प्रस्फुटित हुआ और वही लौकिक संस्कृत का पहला श्लोक माना जाता है-
मा निषाद प्रतिष्ठांत्वमगम:शाश्वतीशमा:
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी:काममोहितम्
फिर पश्चाताप हुआ और ब्रह्मा जी ने वरदान दिया तथा राम के चरित्र को काव्य के रूप में लिखने के लिए प्रेरित किया। ऐसे महाकवि महर्षि वाल्मीकि जी को हम नमन करते हैं
कूजंतं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम्।
आरुह्य कविता शाखांवंदे वाल्मीकि कोकिलम्।।