फतेहपुर। ऐतिहासिक हसवा कस्बे के श्री स्वामी चंद दास जी महाराज रामलीला मैदान में तीन दशक वर्षों से भी अधिक पुरानी रामलीला में सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा दशरथ मरण लीला का मंचन किया गया । जिसमें हसवा, एकारी, भभैचा, मिचकी, फरीदपुर, सेमरी, छीतमपुर, टीसी, सहित गैरजनपदों से रामलीला देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है। महाराज दशरथ की आज्ञा पाकर मंत्री सुमंत राम लक्ष्मण को अपने साथ वापस लाने के लिए वन जाते हैं । लेकिन निराश होकर खाली हाथ ही वापस लौटते हैं । और पूरी बात राजा दशरथ को बताते हैं। राजा दशरथ यह बात सुनकर अधिक दुखी होते हैं । और हे राम हे राम कहते-कहते माता-पिता की अधिक सेवा करने वाले पुत्र श्रवण कुमार की बात याद करते हैं। और तीनों रानी से बताते हैं कि कैसे भूलवश पुत्र श्रवण कुमार की मृत्यु उनके हाथों हुई थी। और अंधे माता-पिता ने उन्हें श्राप दिया था। आज वह भी ऐसी स्थिति में है कि मृत्यु के करीब है । और उनका कोई भी पुत्र उनके पास नहीं है । तथा हे राम पुत्र राम कहते-कहते अपने प्राण त्याग देते हैं। महाराज दशरथ की मृत्यु होते ही पूरे अयोध्या में शोक की लहर दौड़ जाती है। उधर वन में धीरे-धीरे चलते चलते भगवान राम ,सीता और लक्ष्मण गंगा किनारे पहुंच जाते हैं। जहां निषाद राज भगवान से कहते हैं कि बिना वह भगवान के पैर धोकर गंगा के उस पर नहीं पहुंचाएंगे। कहा कि अगर भगवान राम के पैरों को छूते ही मेरी नौका पत्थर की बन गई। तो मेरा पूरा परिवार भूखे मर जाएगा। और अंत में भगवान राम सहित सीता और लक्ष्मण के पैर धोकर उसे ग्रहण भी करते हैं। भगवान से कहते हैं कि हम आपको गंगा पार करेंगे। आप हमें इस संसार का मायाजाल से हमेशा के लिए मुक्ति दिला दीजिए। भगवान राम आशीर्वाद देकर आगे बढ़ जाते हैं। केवट कहते हैं कि भगवान की वापसी तक वह वही प्रतीक्षा करेंगे और गंगा पार कराई कुछ भी नेक नहीं लेते हैं। वापस आने पर लेने की बात कहते हैं उधर राम सीता लक्ष्मण गंगा पार करने के बाद वन में धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं और ऋषि मुनियों का सानिध्य मिलता रहता है। कई ऋषि मुनि उन्हें अलग-अलग उपदेश देते हैं। और वह धीरे-धीरे आगे वन में बढ़ते जाते हैं तथा ऋषि मुनियों से अपने निवास स्थान के बारे में भी पूछते हैं। कि वन में कहां रुक जाए ऋषि मुनि उन्हें अलग-अलग उपदेश देते हैं। और आशीर्वाद भी देते हैं। इस मौके पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह, अंशू सिंह,उदय भान सिंह, कच्छू सिंह, विनोद केशरी, प्रदीप केसरवानी, रामकुमार सिंह, प्रिशू सिंह, सुमित सिंह, राजू मौर्य, श्याम बाबू मौर्य,उदयभान सिंह सेंगर,और सभी पदाधिकारी तथा सभी सदस्य मैहजूद रहे। वही थाना प्रभारी प्रवीण कुमार सिंह, हसवा चैकी इंचार्ज विकास सिंह भारी पुलिस फोर्स के साथ मैहजूद रहे।