मरौली बालू खदान खंड 5 में नियमों को ताक में रखकर हो रहा अवैध खनन

 

न्यूज़ वाणी

ब्यूरो मुन्ना बक्श

बांदा। जिले में बालू खदानों की शुरुआत हो गई है और कुछ खदानें संचालित भी हो गई हैं जहां नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है जिम्मेदार अधिकारी आंखों में पट्टी बांधे हुए हैं। ऐसी ही तस्वीर मटौन्ध थाना अंतर्गत मरौली गांव से सामने आई है जहां खली और बालू भरे ट्रक सरपट दौड़ रहे हैं और धूल का गब्बर उड़ान भर रहा है वहीं से गांव के किसान और ग्रामीण गुजर रहे हैं जो धूल के गब्बर के चपेट में लगातार आ रहे हैं जिसके चलते ग्रामीणों को गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। जानकारी करने पर पता चला की इस गांव में मरौली खंड 5 के नाम का बालू खदान का पट्टा हुआ है। जिसके ठेकेदार संजू गुप्ता बताया जा रहे हैं। संजू गुप्ता बाहरी व्यापारी है शायद इसीलिए यह ग्रामीणों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं जी हां खनन नियमों के तहत बनाए गए रास्ते में धूल नहीं उड़नी चाहिए लगातार पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए जिससे धूल जमीन पर ही बनी रहे भारी वाहन निकलने पर धूल न उड़े और कोई भी इसकी चपेट में ना आए लेकिन यहां इस नियम का पालन होते नहीं दिख रहा है। खली और भरे ट्रक तेज रफ्तार से गुजर रहे हैं जिससे एक बड़े धूल का गुब्बार उठता है और लोग उसकी चपेट में आ रहे हैं सांसों द्वारा धूल शरीर में प्रेवश हो रही है जो लोगों की जान ले सकती है।
इसी संबंध में जब हमने ट्रामा सेंटर के डॉक्टर प्रदीप कुमार गुप्ता से पूछा तो उन्होंने बताया की अगर कहीं भी इस सीजन में धूल उड़ाने की स्थित है और लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं तो यह उन लोगों के लिए बहुत ही घातक साबित हो सकता है क्योंकि ठंड के सीजन में यह धूल और घातक हो जाती है। धूल अगर सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करती है तो इससे अस्थमा और श्वास की बीमारी तो होती ही है साथ ही इन्फेक्शन फैलने का भी खतरा होता है। डॉक्टर ने कहा कहीं अगर ऐसी स्थिति है तो लोगों को वहां नहीं रहना चाहिए अगर फिर भी वहां रहना पड़ रहा है तो मुंह में रुमाल या कपड़ा बांधकर ही निकालना चाहिए क्योंकि ठंडी के सीजन में सांस की बीमारी और उभार मारती है और धूल से अधिक इंफेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है। जिससे लोगों की जान भी जा सकती है।

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