मेहंदी लगे हाथों में AK-47 और असॉल्ट राइफल…चीते जैसी फुर्ती और नजरें दुश्मन पर। किसी घर में घुसे आतंकियों को दबोचना हो या फिर ऊंची बिल्डिंग पर चढ़कर दुश्मन को मार गिराना। ये सब इन लड़कियों के लिए बांए हाथ का खेल है। ये यूपी की पहली महिला कमांडो बटालियन है। वो 36 लड़कियां…जो अपने परिवारों को छोड़कर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने को हर वक्त तैयार हैं।
UP-ATS यानी एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड उत्तर प्रदेश की पहली महिला कमांडो टीम तैयार कर रही है। लखनऊ की स्पेशल पुलिस ऑपरेशन टीम के सेंटर पर महिला कमांडोज को NSG और SPG फोर्स जैसी कड़ी ट्रेनिंग दी जा रही है।
पुरुष बटालियन के साथ हर बैच में 6 महिला कमांडो हैं। सभी को G-lock, MP-5, AK-47 जैसे खतरनाक हथियार चलाने में महारत हासिल है। चार महीने की ट्रेनिंग के बाद इन लड़कियों को खतरनाक ATS ऑपरेशन पर भेजा जाएगा। आज संडे बिग स्टोरी में चलिए आपको इन लेडी कमांडोज से मिलवाते हैं…
यूपी के रायबरेली जिले की रहने वाली 29 साल की सरिता महिला कमांडो टीम की मेंबर हैं। घर में 2 बड़े भाइयों के बाद वह सबसे छोटी हैं। लेकिन पुलिस की नौकरी करने के जुनून ने उन्हें महिला कमांडो बना दिया। साल 2019 की पुलिस भर्ती में सिलेक्शन के बाद संध्या कॉन्स्टेबल बनीं। इसके बाद उन्हें UP-ATS की महिला कमांडो बटालियन में शामिल कर लिया गया।
सरिता कहती हैं, ‘मैं ऐसे बैकग्राउंड से हूं, जहां शाम होने के बाद लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता। लेकिन मेरे पिता ने मुझे हमेशा बेटे की तरह पाला। हर चीज में मेरा सपोर्ट किया। मेरी बचपन से चाहत थी कि बड़ी होकर आर्मी ऑफिसर बनूं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। फिर मैंने पुलिस भर्ती में भाग लिया। परीक्षा पास की और कॉन्स्टेबल बन गई।
पुलिस विभाग में नौकरी मिली…इसकी खुशी तो थी, लेकिन मुझे देश के लिए कुछ करना था। नौकरी करते-करते मुझे पता चला कि UP-ATS महिला कमांडो का पहला बैच तैयार कर रहा है। इसमें जिलों में तैनात महिला सिपाहियों को चुना जाएगा। जानकारी होने के बाद मैंने महिला बटालियन के लिए टेस्ट दिया और स्पेशल ट्रेनिंग के लिए सिलेक्ट हो गई। अब मुझे बहुत अच्छा लगता है जब सर मुझे सरिता की जगह ‘कमांडो सरिता’ कहकर बुलाते हैं।’
सुल्तानपुर की पूनम लखनऊ ATS में पोस्टेड हैं। पूनम को मौका मिला कि वह ट्रेनिंग के दौरान ही एक एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन में जाएं। पूनम आज भी उस ऑपरेशन को नहीं भूल पाई हैं, जब उनकी कमांडो टीम ने चीन के आतंकी एजेंट्स को पकड़ा था।
बुलेट प्रूफ जैकेट पहने हाथ में AK-47 लिए पूनम कहती हैं, ‘UP-ATS को सूचना मिली कि प्रयागराज में चीनी सेना से जुड़े कुछ एजेंट्स छिपे हैं और वहीं से वह खुफिया सूचना विदेश भेज रहे हैं। इनपुट मिलने के बाद लखनऊ से एक कमांडो टीम प्रयागराज भेजी गई। इस टीम में मैं भी शामिल थी। हमने पूरी मुस्तैदी के साथ ऑपरेशन को अंजाम दिया। 2 चीनी एजेंट्स भी पकड़े थे। इस ऑपरेशन के बाद मेरा कॉन्फिडेंस पहले से ज्यादा बढ़ा है। जोश HIGH है।’
‘पुलिस विभाग में रहते हुए हमारा वर्किंग एरिया सिर्फ 1 जिले या थाना क्षेत्र तक सीमित था। लेकिन अब मैं ATS कमांडो हूं। यूपी के साथ-साथ देश की आंतरिक सुरक्षा का भी मैं हिस्सा बन गई हूं। हमें आज कह दिया जाए कि आपको जंग के मैदान में जाना है, तो हम सभी पूरी तरह से तैयार हैं।’ पूनम अपने घर में सबसे छोटी हैं। उनकी 2 बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है।
महिला कमांडो बटालियन में कानपुर की सबसे छोटी 25 साल की संध्या हैं। संध्या शार्प ट्रेनिंग से लेकर रूफ क्लाइंबिंग और पैराग्लाइडिंग की ट्रेनिंग ले चुकी हैं। इतनी कम उम्र में G-lock पिस्टल और AK-47 पर उनका हाथ ऐसा सेट है कि एक आंख बंद करके भी दूर का टारगेट हिट कर लेती हैं।
संध्या बताती हैं, ‘UP-ATS में सबसे अच्छी बात है कि यहां पुरुष और महिला कमांडो में कोई फर्क नहीं है। जो ट्रेनिंग मेल कमांडो को दी जाती है, वही हमें भी सिखाई जाती है। कठिन से कठिन टास्क दिए जाते हैं। ताकि हमारी बॉडी हर तरह के ऑपरेशन के लिए पहले से तैयार रहे। मुझे बहुत प्राउड होता है कि मैं UP-ATS में शामिल होकर देश की सुरक्षा का काम कर रही हूं।’
‘इनडोर और आउटडोर ट्रेनिंग में हमें ऊंची इमारत से रस्सी के सहारे उतर कर ऑपरेशन करना सिखाया जाता है। इसके साथ ही बिल्डिंग में फंसे लोगों को आतंकियों के कब्जे से कैसे फ्री करवाया जाए इसकी भी स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है। बंदूक की लोडिंग, अनलोडिंग, बुलेट मैगजीन बदलना और वेपन आईडेंटिफिकेशन जैसे काम हम दोनों आंखें बंद कर के भी कर सकते हैं।’
सीएम योगी के आदेश पर बनी महिला कमांडो बटालियन
लखनऊ के अमौसी इलाके में पड़ता ATS का SPOT ट्रेनिंग सेंटर। यहीं पर यूपी की पहली महिला कमांडो टीम तैयार हो रही हैं। सेंटर पर फिलहाल 36 में से 28 महिला कमांडो को ट्रेनिंग मिल चुकी है। इन महिलाओं को ATS के मध्य, पूर्व और पश्चिम जोन की टीमों में पोस्टिंग मिलेगी।
ATS-SPOT ट्रेनिंग सेंटर के SP बृजेश कुमार सिंह ने बताया, ‘साल 2007 में हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद ATS का गठन किया गया था। इसका मकसद देश में होने वाली आतंकी घटनाओं पर नजर रखना और उनसे निपटना है। साल 2016 में कमांडो ट्रेनिंग के SPOT ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया। यहीं पर ATS में शामिल होने वाले कैंडिडेट्स को ट्रेनिंग दी जाती है। अभी यूपी में कुल 9 ATS टीमें तैनात हैं।’
‘यूपी में पहली ATS महिला कमांडो बटालियन बनाने की मंशा सीएम योगी ने जाहिर की। उनके आदेश के बाद हमने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में तैनात कुछ महिला कॉन्स्टेबल को कमांडो ट्रेनिंग के लिए चुना। इन्हें अब सेंटर पर ट्रेनिंग दी जा रही है। इस हाई लेवल ट्रेनिंग के दौरान इन्हें हर तरह के हथियार को चलाने और किसी भी तरह के आतंकी हमले से निपटने के गुर सिखाए जा रहे हैं।’
ATS की कमांडो बटालियन में महिलाओं का सिलेक्शन कठिन परीक्षा के बाद हुआ। सबसे पहले ATS ने अपनी वेबसाइट पर महिला कमांडो भर्ती को लेकर सूचना जारी की। बटालियन में उन्हीं लड़कियों को चुना गया जो प्रदेश में पहले से महिला कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात थीं। सिलेक्शन के बाद महिलाओं को SPOT ट्रेनिंग सेंटर पर बुलाया गया। इनकी फिजिकल और मेंटल स्किल को परखने के बाद इन्हें 4 महीने की कमांडो ट्रेनिंग पर भेजा गया।
पूरे यूपी से 36 महिला कमांडोज को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें शुरुआत के 4 महीने की ट्रेनिंग SPOT सेंटर पर होगी। इस दौरान महिलाओं को शारीरिक तौर पर मजबूत करने की फिजिकल टास्क के साथ-साथ हथियारों की ट्रेनिंग, CODE के जरिए बातचीत और सक्सेसफुल ऑपरेशन परफॉर्म करने की ट्रेनिंग दी जाती है।
- महिला कमांडो बटालियन में शामिल कई लड़कियों की शादी हो चुकी है। वहीं कुछ घर की इकलौती बेटियां हैं। यही बात इस बटालियन को और खास बनाती है।
BSF, NSG और CRPF के बेस्ट ऑफिसर्स दे रहे ट्रेनिंग
SPOT ट्रेनिंग सेंटर में 4 महीने बिताने के बाद महिला कमांडो को माउंटेनियरिंग और पैराग्लाइडिंग की ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। इनकी हाईलेवल ट्रेनिंग इंदौर के BSF ट्रेनिंग सेंटर, मसूरी के ITBP सेंटर और केंद्रीय सुरक्षा बल के ट्रेनिंग सेंटर में होती है।
लखनऊ के SPOT ट्रेनिंग सेंटर में महिला कमांडो की ट्रेनिंग BSF के एडिशनल एसपी संजय कुमार की देखरेख में हो रही है। अभ्यास खत्म होने के बाद इन लेडी कमांडोज को NSG-SPG की तरह ही VIP सुरक्षा में तैनात किया जाएगा।
BSF के एडिशनल एसपी संजय कुमार कहते हैं, ‘किसी भी कमांडो के लिए सबसे जरूरी है उसका डेली रूटीन। हर काम समय से होना जरूरी है। इसे देखते हुए सुबह 4 बजे से ही कमांडो की ट्रेनिंग शुरू हो जाती है। सुबह 4 बजे से 8 बजे तक रनिंग और फिजिकल एक्टिविटी होती है। फिर 2 घंटे का ब्रेक होता है। ब्रेक के बाद सुबह 10 बजे से OSD की क्लास होती है, जिसमें ATS से जुड़ी जरूरी बातें बताई जाती हैं। शाम 4 बजे से वेपन टेस्टिंग, फायर आर्म से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।’
दुश्मन के इलाके में घुसकर ग्रेनेड मारने वाली लेडी कमांडो टीम
लेडी कमांडोज को खतरनाक हथियार चलाने के अलावा विस्फोटक फायर करने की भी ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें खासतौर पर 36 HE हैंड ग्रेनेड लेकर कैसे ऑपरेशन को अंजाम देना है…ये सिखाया जाता है। ग्रेनेड फायर करने की ट्रेनिंग इंदौर में BSF हेडक्वॉर्टर पर दी जाती है।
रात के अंधेरे में होने वाले ऑपरेशन की ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को 10 सेकेंड में बंदूक की लोडिंग और अन-लोडिंग सिखाई जाती है। इसमें कमांडोज की आंखों पर काली पट्टी बांधी जाती है। इसके बाद उन्हें हथियार को पूरी तरह से खोलकर फिर उसे असेंबल करवाया जाता है। इन लेडी कमांडोज को प्रैक्टिस के लिए भारत में इस्तेमाल होने वाले सबसे हाईटेक हथियार दिए जाते हैं।
SP संजय कुमार बताते हैं, “पहाड़ों पर स्पेशल ऑपरेशन के लिए महिला कमांडो को पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, टारगेट सेटिंग जैसी कई एडवेंचर ट्रेनिंग भी दी जाती हैं। पूरे कोर्स के दौरान हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि यहां से निकलने वाला हर कमांडो किसी भी ऑपरेशन पर जाने में दक्ष हो।”
- यूपी की पहली महिला ATS कमांडो बटालियन की बातें यहां खत्म होती हैं।अब ATS से जुड़ी कुछ रोचक बातें जान लीजिए…
यूपी एटीएस अपनी कमांडो टीम को और हाईटेक बनाने के लिए नए हथियार खरीदने का प्लान बना रहा है। इसके लिए कई विदेशी कंपनियों से संपर्क किया गया है। जिन हाईटेक वेपन्स की जानकारी मांगी गई है उनमें 7.62 बोर की असॉल्ट राइफल, 9MM सेमी ऑटो मशीन गन, 9MM पिस्टल, स्नाइपर राइफल और अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर शामिल हैं।
मॉडर्न टेक्नोलॉजी को देखते हुए 84 MM CGRL रॉकेट लॉन्चर, सी-थ्रू वॉल राडार, नाइट विजन गॉगल, नाइट मोनोकुलर, नाइट वेपन साइट, लेजर डिस्टेंस मीटर, थर्मल इमेजिंग स्नाइपर , बॉडीवॉर्न कैमरा, जैसे हथियार मंगवाए गए।
UP-ATS के डिप्टी एसपी लायक सिंह कहते हैं, “हमने जून में हथियार बनाने वाली दुनिया की सबसे अच्छी कंपनियों से उनके प्रोडक्ट्स की जानकारी मांगी है। इन्हें खरीदने की प्रक्रिया ATS और STF दोनों के माध्यम से चल रही है। हथियारों के साथ-साथ ऐसे वाहन भी खरीदे जाएंगे जो अचानक हमला होने पर अंदर बैठे कमांडोज को सुरक्षित रख सके।”