यूपी के बदायूं में रहने वाले मनोज कुमार मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। नवंबर, 2022 को उनके घर में चूहा निकला। उसे उन्होंने पकड़ा, पत्थर में बांधकर नाली में फेंक दिया। इस घटना का विकेंद्र नाम के पशु प्रेमी ने वीडियो बना लिया। विकेंद्र ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत FIR दर्ज कराई। पुलिस मनोज के घर पहुंची। पकड़कर थाने ले आई। मनोज को थाने से जमानत करानी पड़ी।
ठीक…एक साल बाद। यानी नवंबर, 2023। नोएडा में BJP सांसद मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल (PFA) के गौरव गुप्ता ने सांप तस्करी और रेव पार्टी करवाने से जुड़ा स्टिंग किया। इसमें बिग बॉस-0TT 2 के विनर एल्विश यादव का नाम आया।
शुक्रवार 3 नवंबर को एल्विश यादव के खिलाफ सांप तस्करी और रेव पार्टी करवाने के आरोप में नोएडा में FIR दर्ज कराई गई। 4 नवंबर को एल्विश को राजस्थान के कोटा में पकड़ा गया। लेकिन, छोड़ दिया गया। वजह थी कि नोएडा पुलिस ने पूछताछ करने तक से इंकार कर दिया। यही नहीं, नोएडा के जिस सेक्टर-49 में एल्विश के खिलाफ FIR हुई, वहां के थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया।
मनोज और एल्विश केस में फर्क हो सकता है। लेकिन FIR दर्ज होते ही एक्शन के लिए चर्चित यूपी पुलिस आखिर एल्विश से पूछताछ से क्यों कतरा रही है? एल्विश के खिलाफ क्या दबाव या जल्दबाजी में FIR हुई? या यूथ में उसकी फैन फॉलोइंग और मंत्री-नेताओं के कनेक्शन के चलते एल्विश पर हाथ डालने से डर रही है। इन्हीं सवालों के जवाब जानेंगे…
सबसे पहले 3 सवाल…
1-FIR के बाद भी एल्विश से पूछताछ क्यों नहीं?
2-पुलिस ने किसी दबाव में एल्विश के खिलाफ FIR की?
3-FIR के बाद एल्विश केस सियासी बयानबाजी में फंसा, इसलिए उलझी नोएडा पुलिस?
सवाल 1- FIR के बाद भी एल्विश से क्यों नहीं पूछताछ ?
3 नवंबर को एल्विश के खिलाफ FIR के बाद नोएडा DCP रामबदन ने कहा-एल्विश केस में 5 टीमें गठित की हैं। शनिवार को कोटा में एल्विश को पुलिस ने पकड़ा। नोएडा पुलिस को इसकी जानकारी दी। लेकिन, बाद में नोएडा पुलिस के कहने पर एल्विश को छोड़ दिया गया। राजस्थान के DGP उमेश मिश्रा ने बताया कि नोएडा पुलिस का कहना है कि एल्विश वांटेड नहीं है। उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
रिटायर्ड IPS अधिकारी वीएन राय एल्विश से पूछताछ न होने पर हैरानी जताते हैं? वह कहते हैं कि FIR दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी जरूरी नहीं। लेकिन उससे पूछताछ जरूर होनी चाहिए। उसका पक्ष जानना बेहद जरूरी है। नोएडा पुलिस ने पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया या पूछताछ क्यों नहीं की। इसका जवाब वही दे सकती है।
दरअसल, सूत्र बताते हैं कि इस केस में नोएडा पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वजह एल्विश की यूपी, हरियाणा और राजस्थान के यूथ में अच्छी पॉपुलैरिटी है। पिछड़े समाज का होना और बड़े नेताओं तक पहुंच को देखते हुए पुलिस इस केस में कोई फजीहत नहीं कराना चाहती। एल्विश खुद को कट्टर हिंदू बताता है। माना जा रहा है कि पॉपुलर हिंदूवादी छवि की वजह से पुलिस सीधी कार्रवाई से बच रही है।
यही नहीं, जब एल्विश से पूछताछ न करने पर नोएडा पुलिस की फजीहत हुई तो जिस सेक्टर-49 थाने में एल्विश के खिलाफ FIR हुई थी। उसके प्रभारी संदीप चौधरी को लाइन हाजिर करके थाने से हटा दिया। नोएडा कमिश्नरेट ने इसकी वजह बढ़ते अपराध पर अंकुश न लगा पाने और जांच में लापरवाही बताई है।
इसकी एक वजह यह भी है कि एल्विश की सोशल मीडिया पर जबरदस्त फॉलोअर्स हैं। सोशल मीडिया पर बने 5 अकाउंट में एल्विश के 4.41 करोड़ के करीब फॉलोअर्स हैं।
सवाल 2- पुलिस ने एल्विश के खिलाफ FIR किसी दबाव में की ?
नोएडा पुलिस जिस तरह एल्विश से पूछताछ करने से बच रही है। उसमें अब यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या एल्विश के खिलाफ किसी दबाव या जल्दबाजी में एफआईआर दर्ज की गई। थाना प्रभारी को लाइन हाजिर करने के बाद यह सवाल और गहरा गया है।
एल्विश के खिलाफ एफआईआर मेनका गांधी से जुड़े एनजीओ PFA के सदस्य गौरव ने कराई है। इसमें एल्विश के खिलाफ सांपों की तस्करी और रेव पार्टी करवाने का आरोप है। पुलिस ने बिना किसी पड़ताल के फौरन FIR दर्ज कर ली। FIR दर्ज होते ही मामला सुर्खियों में आ गया। सवाल यही उठता है कि नोएडा पुलिस ने इतनी जल्दबाजी में किसके दबाव में आकर FIR दर्ज की। क्या मेनका गांधी के दबाव में आकर यह FIR की?
जबकि पुलिस को न तो मौके पर एल्विश मिला और न ही कोई सबूत। PFA ने पुलिस को जो स्टिंग टेप सौंपा था वह ऑडियो में था। ऑडियो में एक-दो बार एल्विश का जिक्र है। तो यह कैसे साबित हो सकता है कि एल्विश ही गैंग का सरगना है। इस FIR पर भी पुलिस जवाब नहीं दे पा रही है।
इसके अलावा, वन विभाग ने सांप की तस्करी और बरामदगी की जो एफआईआर दर्ज की है। उसमें एल्विश का नाम नहीं है। सिर्फ उन 5 आरोपियों के नाम हैं, जिसको मौके से पकड़ा गया था। DFO प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वन विभाग साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई करता है। मौके पर एल्विश नहीं था। अगर एल्विश के खिलाफ सबूत मिले तो ही उसका नाम FIR में दर्ज किया जाएगा।
यही वजह है कि सवाल और दबाव की चक्करघिन्नी में उलझी नोएडा पुलिस को इस मामले में कोई ठोस जवाब नहीं सूझ रहा है।
सवाल 3-FIR के बाद एल्विश केस बयानबाजी में फंसा, उलझी पुलिस?
कुछ महीने पहले बिग बॉस-OTT 2 का खिताब अपने नाम करने के बाद गुरुग्राम लौटने पर एल्विश यादव ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की थी। इस दौरान सीएम ने जीत की बधाई दी। इसके बाद सीएम खट्टर एक मंच पर भी एल्विश यादव के साथ दिखे थे। मनोहर लाल ने मंच से एल्विश को यूथ का रोल मॉडल बताया था।
एल्विश पर केस दर्ज होने के बाद मामले में सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई। आम आदमी पार्टी की नेता स्वाति मालीवाल ने मनोहर लाल पर निशाना साधा। वहीं, महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता ने शिंदे को घेरा। एक्टर प्रकाश राज ने भी बीजेपी पर कटाक्ष किया। मामला सियासी बनता देख, नोएडा पुलिस क्या करे और क्या न करे, इसमें उलझ गई। बिना ठोस सबूत के कोई एक्शन नहीं लेना चाहती है।
बीजेपी आईटी प्रभारी ने किया एल्विश का बचाव
हरियाणा बीजेपी आईटी प्रभारी और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अरुण यादव ने एल्विश का बचाव किया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “एल्विश यादव ने बयान जारी कर कहा है कि अगर दोषी हूं तो किसी भी तरीके की सजा के लिए तैयार हूं। उन पर लगे सभी आरोप निराधार हैं।
वह लगभग एक महीने से अपने अलग-अलग कार्यक्रमों और शूटिंग में व्यस्त हैं। कभी लंदन, कभी मुंबई, कभी इंदौर, कभी अहमदाबाद में उनके कार्यक्रम चल रहे हैं। नोएडा जाने का कोई सवाल ही नहीं उठाता। उन्होंने कहा कि वो जांच प्रक्रिया में हर तरीके से सहयोग करने के लिए तैयार हैं।”
इसके बाद दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने हरियाणा सरकार पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को घेरा। स्वाति मालीवाल ने एक्स पर पोस्ट किया, “अभी खबर में देखा कि यूट्यूबर एल्विश यादव पर FIR हुई है। आरोप है कि एल्विश यादव ‘रेव पार्टी’ करवाता है, जिसमें नशे के लिए सांप का जहर इस्तेमाल होता है।
इस आदमी को हरियाणा के सीएम मंच से प्रमोट करते हैं। एक तरफ साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया जैसे टैलेंट सड़कों पर डंडे खाते हैं और हरियाणा सरकार ऐसे लोगों को प्रमोट करती है। इसकी वीडियो में आपको लड़कियों पर अश्लील टिप्पणियां मिलेंगी, गाली गलौज दिखेगी। वोट के लिए नेता कुछ भी कर सकते हैं।”
प्रकाश राज का पोस्ट- बस एक जहर सप्लायर के साथ कुछ भाजपा नेता
इसी बीच एक्टर प्रकाश राज ने एल्विश यादव की आड़ में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा है। उन्होंने X (ट्विटर) पर बीजेपी के नेताओं के साथ एल्विश यादव की तस्वीरें शेयर करते हुए कटाक्ष किया है।
प्रकाश राज ने एक यूजर का ट्वीट शेयर किया है। जिसमें एल्विश यादव की स्मृति ईरानी, मोहन लाल खट्टर, निर्मला सीतारमण की तस्वीरें शेयर की गई हैं। तस्वीरों के साथ लिखा है, “यहां देखने जैसा कुछ नहीं है। बस एक जहर सप्लायर के साथ कुछ भाजपा नेता।” इस ट्वीट को शेयर करते हुए प्रकाश राज ने लिखा, “इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि वे इतना जहर उगलते हैं।”
वहीं बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने एल्विश की गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने कहा कि एल्विश यादव और इस किस्म के लोग जो कोशिश करते हैं और कानून तोड़ते हैं, पुलिस को एकदम उन्हें पकड़ना चाहिए। एल्विश कई दिनों से सांप पहन कर नाच रहा है और उससे बढ़कर भी हमने सुना है कि यह रेव पार्टी ऑर्गेनाइज करता है, जिसमें वह अजगर और कोबरा बेच कर, उसका जहर निकालकर बेचता है।
जो लोग जहर लेते हैं, उनकी किडनी फेल हो जाती है। जो लोग जंगल से सांपों को लाकर मारते हैं उनको 7 साल की सजा है और किसी को इस तरह की और इन्फॉर्मेशन है तो हमें बताएं, हम और भी लोगों को ऐसे पकड़वाएंगे।
पुलिस पर PFA ने लगाए गंभीर आरोप
PFA आर्गनाइजेशन के गौरव गुप्ता के भाई सौरव इस पूरे मामले पर बताते हैं, “इस मामले में पुलिस ने कई सारी गलतियां कर दी हैं। इसमें मुख्य आरोपी राहुल को हिरासत में लेने के बाद रिमांड पर क्यों नहीं लिया गया। जबकि पुलिस छोटा क्राइम करने वाले को भी रिमांड पर ले लेती है। बिना बयान लिए आरोपी को न्यायिक हिरासत में क्यों भेज दिया गया।”
राजनीति से जुड़ा लगता है मामला
सौरव कहते हैं कि एल्विश यादव को पुलिस हीरो बनने का मौका क्यों दे रही है। शनिवार को उसके साथ गाड़ियों का काफिला नहीं था और वो उस ग्रामीण रास्ते से क्यों आ रहा था। राजस्थान पुलिस ने उसे पकड़ा लेकिन यूपी पुलिस ने उसे बुलाने से मना क्यों किया। इस केस के संबंध में पूछताछ तो की जा सकती थी। हम ये नहीं कहते हैं कि नोएडा पुलिस उसे हिरासत में लेकर जेल भेजे, लेकिन ये मामला राजनीति से जुड़ा लगता है।
उन्होंने कहा, “जब FIR हो गई है तो उसे बुलाने में क्या दिक्कत थी। भले ही उसका बयान लेने के बाद उसे छोड़ दिया जाता। जब राहुल कह रहा है कि उसने फॉर्म हाउस के अंदर पार्टी की है और उसके ऑडियो हमने पुलिस को दिए हैं। राहुल और एल्विश यादव से पूछताछ होनी चाहिए थी। लेकिन राहुल से जेल में घर वाले और वकील भी मिल रहे हैं। ऐसे में उनकी प्लानिंग बन गई होगी।’
केवल FIR के आधार पर पूछताछ नहीं हो सकती- वकील
सुप्रीम कोर्ट में वकील रमाकांत गौर का कहना है कि इस पूरे मामले में एल्विश यादव ने किसी दूसरे का नंबर दिया था। लेकिन उसका इससे क्या कनेक्शन है, इसपर जांच चल रही है। अभी तक एल्विश का इस पूरे मामले से सीधा कोई कनेक्शन सामने नहीं आया है। अब अगर इस गिरोह के धंधे में एल्विश का कनेक्शन और शेयर पकड़ा जाता है तो कार्रवाई होगी।
रमाकांत का कहना है कि अभी पुलिस की शुरुआती जांच चल रही है, इस वजह से एल्विश को गिरफ्तार करना जल्दबाजी होगी। उन्होंने एल्विश से पूछताछ नहीं किए जाने पर कहा, “अगर एल्विश के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलेगा तो पूछताछ किस आधार पर होगी। एल्विश ने केवल नंबर दिया ऐसे में उसका कोई सीधा रोल इससे नहीं जुड़ता है। केवल FIR के आधार पर पूछताछ नहीं हो सकती है।”
सांप तस्करी से जुड़ा जानते हैं…पूरा मामला
बीजेपी सांसद मेनका गांधी से जुड़े ऑर्गेनाइजेशन PFA ने स्टिंग करने के बाद एल्विश के खिलाफ सांपों के जहर की तस्करी और रेव पार्टी करवाने का आरोप लगाते हुए नोएडा पुलिस से शिकायत की। नोएडा पुलिस ने 3 नवंबर को बिना किसी पड़ताल के फौरन FIR दर्ज किया।
नोएडा के फॉरेस्ट ऑफिसर प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि सांप के जहर का इस्तेमाल रेव पार्टियों में नशे के लिए किया जाता है। यह एक यूट्यूबर का गैंग है, जो इस तरह पार्टी कराता है। तब पुलिस की ओर से कहा गया कि एल्विश यादव की तलाश जारी है उसको गिरफ्तार किया जाएगा।
बिग बॉस ओटीटी-2 के विनर और यूट्यूबर एल्विश यादव का नाम वन विभाग की FIR में नहीं है। जबकि नोएडा पुलिस ने एल्विश के खिलाफ मामला दर्ज किया है। शनिवार शाम को राजस्थान पुलिस ने एल्विश को पकड़ा। नोएडा पुलिस से संपर्क किया। इस पर नोएडा पुलिस ने कहा कि एल्विश वांटेड नहीं है। इसके बाद राजस्थान पुलिस ने एल्विश को छोड़ दिया।