फतेहपुर। उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशानुसार बाल कल्याण समिति व नेहरू युवा संगठन टीसी के सहयोग से जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा बाल विवाह रोकथाम अभियान का संचालन 01 नवंबर से 30 नवंबर तक किया जा रहा है। अभियान की शुरुआत कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय ऐरायां में गोष्ठी का आयोजन कर के किया गया। गोष्ठी में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद साहू ने उपस्थित छात्राओं के मध्य बाल विवाह के इतिहास, कानून, व बाल विवाह के दुष्परिणो की चर्चा करके कहा की बाल विवाह बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास का बाधक है। बाल विवाह की रोकथाम हेतु सिर्फ सरकारी ही नहीं सामुदायिक पहल की आवश्यकता है, जिससे बचपन सुरक्षित हो। गोष्ठी में विधि सह परिवीक्षा अधिकारी धीरेन्द्र अवस्थी ने बाल विवाह परिषेध अधिनियम 2006 के बारे विस्तार से बताया की बाल विवाह करने वा कराने वाले सहित जितने भी लोग का विवाह संपन्न कराने में योगदान रहेगा सभी के ऊपर कानूनी कार्यवाही होगी जिसमे 02 वर्ष की सजा व 01 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्राविधान है। इसी क्रम में महिला कल्याण अधिकारी पूनम तिवारी व सरिता ने बाल विवाह के दुष्परिणामो की चर्चा करते हुए कहा की बाल विवाह से सबसे ज्यादा लड़की ही प्रभावित होती है, कम उम्र में गर्वधारण से जच्चा बच्चा को खून की कमी, कुपोषण, तपेदिक, एड्स जैसे बीमारी होने के संभावना ज्यादा रहती है। लगातार बीमार रहने से आर्थिक स्थिति भी खराब रहती है। कम उम्र में घरेलू काम के बोझ से मानसिक स्थिति भी सम्मान नहीं रहती है। लगातार बीमार रहने से बालिका वा उसके बच्चे की उत्तरजीविता भी कम होती है जिससे मातृ एवम शिशु मृत्यु दर भी बढ़ती है। कार्यक्रम के अंत में सभी बालिका को अध्यक्ष बाल कल्याण समिति के द्वारा बाल विवाह न करने वा अपने पड़ोस व रिश्तेदारों में बाल विवाह न करने देने की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम के संचालन में विद्यालय की वार्डन मंजू यादव, प्रीति गुप्ता, उपासना, अलका मौर्या, सरोज सिंह, राम दुवेदी, आदि ने सराहनीय योगदान दिया।