देश में कोकीन-अफीम से कहीं ज्यादा सांप से डसवाने का हो रहा नशा, दवा के नाम पर सपेरों से खरीदते हैं जहर

 

देश:  26 साल का लड़का, नाम एल्विश यादव। आरोप- अपने गैंग के साथ रेव पार्टी में सांपों के जहर की सप्लाई। पुलिस ने मामले में 5 आरोपियों को पकड़ा। उनके कब्‍जे से 20 मिलीलीटर जहर और कोबरा, अजगर, दोमुंहे सांप भी बरामद किए। एल्विश पर भी FIR दर्ज हुई, उसे पकड़ा गया फिर छोड़ दिया गया। अब पुलिस उससे पूछताछ करने से बच रही है।

सांप…जिसका जिक्र भर होने से शरीर में अजीब-सी झनझनाहट शुरू हो जाती है। सामने आ जाए, तो इंसान कांप उठता है। वह अचानक पार्टियों में नशे की सामग्री बनकर रेंगने लगा है। रेव पार्टी में ‘HIGH’ यानी कि नशे में धुत्त होने के लिए लड़के सांप से जहर निकालकर नशा कर रहे हैं। एल्विश का मामला सामने आने के बाद चर्चा छिड़ गई है कि सांप के जहर से क्या वाकई नशा होता है? जिस जहर की एक बूंद से लोग मर जाते हैं, उसे कैसे हंसते-हंसते महफिलों में परोसा जा सकता है?

 

 

 

बिजनौर के रहने वाले जगदीश नाथ 30 साल से सांप पाल रहे हैं। उनके पिता भगवान दास भी सपेरा थे। जगदीश सांपों को अपने बच्चों की तरह रखते हैं। उनके लिए सांप भगवान शंकर का आशीर्वाद हैं, जिनकी बदौलत पीढ़ियों से उनका घर चल रहा है। उनके पास लकड़ी की टोकरी है, जिसमें जिंदा कोबरा रखा हुआ है।

सांप को अपने हाथ में उठाकर जगदीश कहते हैं, “भइया सांप-बिच्छू से नशा करना कोई नई बात नहीं है। सालों से नागा साधु और अघोरी इनसे नशा करते रहे हैं। धीरे-धीरे आम आदमी इनके संपर्क में आए, तो उन्होंने भी उनका व्यवहार सीख लिया।”

 

 

 

“किसी के घर में सांप निकलता है, तो हमें पकड़ने के लिए बुलाया जाता है। इसके लिए लोग अच्छा पैसा भी देते हैं। लेकिन उसे छूने से डरते हैं। इंसान सांपों को पूजता भी है और मारता भी है। वह हर काम अपने सुख के लिए करता है। यही वजह है कि लोग अब नशे के लिए सांप का इस्तेमाल करने लगे हैं।”

हमने जगदीश से पूछा कि जहर से इंसान मर जाता है, तो नशा कैसे? जवाब में वह कहते हैं- इंसानी बस्तियों में पाए जाने वाले ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते। लेकिन ये काट लें, तो आदमी अचेत हो जाता है। कुछ देर तक नींद में रहता है। यही बात नशा करने वालों को अच्छी लगती है। लेकिन मैंने आज तक कभी भी किसी को खुद से सांप से कटवाते नहीं देखा।” ये कहते हुए जगदीश मुस्करा उठते हैं।

 

 

 

जगदीश से बात कर हम मनकामेश्वर मंदिर के मेन गेट की तरफ आगे बढ़े। यहां हमारी मुलाकात बबलू से हुई। बबलू रोज बाराबंकी जिले से लखनऊ के शिव मंदिरों में सांप दिखाने आते हैं। उनका काम है नाग देवता का दर्शन कराकर लोगों से दक्षिणा लेना। सोमवार के दिन, नाग पंचमी और धनतेरस पर लोग सांपों के दर्शन को शुभ मानते हैं। इसलिए इन दिनों बबलू का काम अच्छा चल रहा है।

हमने बबलू से कैमरे पर बात करनी चाही, तो उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद हमने कैमरा नीचे करके उनसे बात की। बबलू ने बताया, “सांप रखने वालों (सपेरों) से अक्सर लोग दवा बनाने के लिए जहर मांगने आते हैं। हम लोग जहर बेचते नहीं हैं, लेकिन जानने वालों को देना पड़ता है। जिससे पहचान है उसे दे दिया…फिर चाहे वह जो करे।”

 

 

 

“कम जहरीले सांपों के बूंद भर जहर को अगर 1 गिलास जूस या ठंडे पानी में मिलाकर पीते हैं, तो उसका असर नहीं होता। होता भी है, तो थोड़ा चक्कर सा आएगा, लेकिन शरीर को कुछ नहीं होगा। कुछ देर में वह पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाएगा और नशा अपने आप उतरने लगेगा।”

शराब और सांप के नशे में फर्क समझाते हुए इंडियन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी एंड फार्माकोलॉजी ने राजस्थान के 19 साल के लड़के के स्नेक-बाइट एक्सपीरियंस को प्रकाशित किया। लड़का रोजाना 20 सिगरेट पीता था। ज्यादा नशे के लिए उसने शराब के साथ कोकेन, गांजा और अफीम भी लेना शुरू कर दिया। फिर एक दिन उसके साथ नशा करने वाले दोस्तों ने उसे सांप के जहर से नशे के बारे में बताया। पहले तो वह इसे मानने से ही इनकार कर दिया, जब उसे यकीन हो गया कि वह इससे मरेगा नहीं, तब उसने तय किया कि सांप से खुद को डसवाएगा।

 

 

 

 

गांजा फूंकने के बाद उसने जीभ पर सांप से कटवाया। बाइट के महज 3 से 4 मिनट बाद ही वह बेहोश हो गया। कुछ घंटों बाद जब उसे दोबारा होश आया तो वह आधी नींद में था। लड़के ने बताया कि उस वक्त उसका एक्साइटमेंट चरम पर था। लग रहा था कि वह हवा में उड़ रहा है। स्नेक बाइट लेने के 7 दिन बाद वो पूरी तरह नॉर्मल हुआ। इसके बाद उसने कई बार बाइट ली।

जब लड़के के घरवालों को इस बारे में पता चला तो वह अस्पताल ले गए। जांच हुई…पता चला कि सांप के काटने की जगह पर मांसपेशी में कोई घाव तक नहीं था। यही नहीं उसके कई टेस्ट भी हुए लेकिन बॉडी पूरी तरह नॉर्मल थी। हालांकि, स्नेक बाइट और शराब दोनों की ही ज्यादा मात्रा में डोज शरीर की मांसपेशियों के लिए घातक है। इसे लगातार लेना मौत को दावत देने जैसा है।

 

 

 

रेव पार्टियों में खुलेआम जहर के नशे के इस्तेमाल पर हमने लखनऊ के स्नेक एक्सपर्ट आदित्य तिवारी से बात की। आदित्य ने बीते 10 साल में 3 हजार सांपों का रेस्क्यू किया है। उनकी संस्था ‘परिवरणम’ लोगों को सांपों के प्रति जागरूक करती है। लोग उन्हें ‘स्नेक मैन’ के नाम से भी जानते हैं।

आदित्य तिवारी बताते हैं, “नशे के तौर पर सांप के जहर का प्रयोग 2 प्रकार से होता है। पहला: ड्राई फॉर्म, दूसरा: सांप से सीधे कटवाकर। नशा करने के लिए लोग साधे जीभ या हाथ और पैरों में डसवाते हैं। सीधे बाइट करवाने से ज्यादा और जल्दी नशा होता है।”

 

 

 

सांप के जहर का ड्राई फॉर्म: नशे के लिए जहर के इस प्रकार में सबसे ज्यादा कोबरा का इस्तेमाल होता है, क्योंकि यह आसानी से मिल जाता है। सबसे पहले सांप के जहर को डिफ्रीज यानी उनकी जमने की क्षमता कम करते हैं। इसके बाद वैक्यूम के जरिए उसे सुखाया जाता है। जब जहर पाउडर फॉर्म में आ जाता है, तो उसे किसी ड्रिंक में मिलाकर नशा करते हैं। इसे आम भाषा में स्नेक पाउडर भी कहते हैं।

डायरेक्ट स्नेक बाइट से नशा: नशा का ये तरीका सबसे ज्यादा रिएक्टिव होता है। इसमें कम जहरीले सांपों का इस्तेमाल होता है। कम जहर वाले सांपों को नशीले कारोबार में ‘वाइन स्नेक’ कहा जाता है। पार्टी में सुरूर बढ़ाने या ‘HIGH’ होने के लिए इन सांपों से सीधे डसवाया जाता है। जिसे नशा करने वाले ‘नशे का बूस्टर डोज’ भी कहते हैं।

 

 

 

हमारे इस सवाल पर आदित्य कहते हैं कि सांप का जहर अगर सीधे खून में पहुंच जाता है तो वह खतरनाक साबित होता है। इससे मौत भी हो सकती है। लेकिन आप सांप के जहर को डायरेक्ट पी रहे हैं और मुंह में कहीं कटा-पीटा नहीं है, तो वह सीधे पेट में जाता है और डाइजेस्ट हो जाता है। बाद में वह पेशाब के रास्ते निकल जाता है।

अक्सर लोगों के मुंह में छाले होते हैं या फिर अंदर से कटा होता है। अगर इस अवस्था में कोई स्नेक ड्रिंक करता है, तो वह उसके शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है। कई बार इंसान की जान भी जा सकती है।

 

 

 

विदेशी ड्रग मार्केट में सबसे ज्यादा भारत के सांपों की डिमांड है। कुछ सांपों के जहर की शराब और दवाइयां भी बनती हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर रिसर्च करने वाली संस्था MSG यानी मार्केट स्टैट्सविले ग्रुप की रिपोर्ट बताती है कि विश्व में भारतीय सांपों के जहर का बाजार लगभग 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। सांपों के जहर का इस्तेमाल कैंसर, मिर्गी और यौन शक्ति बढ़ाने वाली एंटी वेनम दवाओं के तौर पर होता है। इंटरनेशनल मार्केट में 1 ग्राम जहर की कीमत 10 से 15 हजार रुपए है। करीब 200 कोबरा से एक लीटर जहर निकलता है। ये कीमतें इस पर भी निर्भर होती है कि सांप कितना जहरीला है।

 

 

 

भुवनेश्वर के फॉरेस्ट ऑफिसर अशोक मिश्रा ने साल 2021 में सांप के जहर की तस्करी करने वाले गिरोह को पकड़ा था। गैंग में एक महिला तस्कर भी शामिल थी, जिसके पास से 5-5 मिली लीटर की शीशियों में बंद सांप का जहर बरामद किया था। मिश्रा के मुताबिक, 1 लीटर सांप के जहर की विदेशी कीमत लगभग 1 करोड़ भारतीय रुपए है।

इंडियन कोबरा की डिमांड सबसे ज्यादा है, जितना जहरीला कोबरा होगा रेट भी उतना ही हाई होगा। कोबरा के जहर को नशे में परोसने से पहले एक पूरी प्रक्रिया की जाती है। जिससे जहर का असर कम हो जाए। बाद में जो बचता है, उसे नशे के तौर इस्तेमाल करते हैं। दिल्ली में एक ग्राम स्नेक-बाइट पाउडर की कीमत 18 से 20 हजार रुपए है।

 

 

 

 

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