डॉयल-112 की प्रदर्शनकारी लड़किया धरने पर बैठी: पुलिस ने खींच-खींचकर वैन में डाला; कुछ के फटे कपड़े

 

लखनऊ में डॉयल-112 में काम करने वाली प्रदर्शनकारी लड़कियों को पुलिस ने खींच-खींचकर वैन में डाला। लड़कियां सड़क पर बैठ गईं, तो पुलिसकर्मी उनको उठाकर ले जाने लगे। इस दौरान कई लड़कियों के कपड़े फट गए। कई को हल्की चोट लगी।

दरअसल, 112 हेडक्वॉर्टर में करीब 14-16 घंटे धरना-प्रदर्शन के बाद जब उनकी मांगों पर बात नहीं बनी, तो मंगलवार सुबह करीब 200 लड़कियां मुख्यमंत्री आवास की तरफ जाने लगीं। इस दौरान थोड़ी ही दूर पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया। फिर प्रदर्शनकारी लड़कियां धरने पर बैठ गईं। इससे वहां ट्रैफिक जाम जैसे हालत हो गए।

 

 

 

इसके बाद पुलिस ने लड़कियों को ईको गॉर्डन जाकर प्रदर्शन के लिए कहा। मगर, लड़कियां सीएम आवास जाने पर अड़ गईं। लड़कियां बैरिकेडिंग तोड़कर जाने लगीं, तो पुलिस ने उनको पकड़ लिया। खींच-खींचकर वैन में भरना शुरू कर दिया। इस दौरान जमकर हंगामा हुआ। खूब बवाल हुआ। कई लड़कियां तो रोने लगीं।

प्रदर्शन कर रही एक लड़की प्रतिभा ने चिल्लाते हुए बताया, ”पुरुष पुलिसकर्मियों ने उनको घसीटा। इसमें उनके साथियों के कपड़े फट गए। कई लड़कियां बेहोश हो गईं।”

 

 

 

वी विन कंपनी उन्हें जॉब का नया ऑफर लेटर दे।

उनका वेतन 18000 रुपए के हिसाब से चुकाया जाए।

सोमवार से ही डायल-112 मुख्यालय पर महिला कर्मचारियों का धरना-प्रदर्शन जारी था। डायल-112 के जरिए लोगों की मदद करने वाली लड़कियां पूरी रातभर सड़क पर बैठी रहीं। इस दौरान ADG-112 अशोक सिंह सहित अन्य पुलिस अफसरों ने लड़कियों को समझाने की कोशिश करते हैं। मगर लड़कियां अपनी मांगों पर अड़ी रहीं।

 

 

इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने बिजली सप्लाई बंद कर दी। लड़कियां फिर भी सड़क से नहीं हटीं। सड़क पर मोबाइल टॉर्च जलाकर सड़क पर बैठी रहीं। कर्मचारियों का आरोप है कि कोई भी अधिकारी उनसे मिलने नहीं आया। सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने तय किया कि मुख्यमंत्री आवास पर जाकर अपनी समस्या रखनी चाहिए। वो पैदल चल पड़े। महिला कर्मचारियों के मुताबिक, सड़क पर ही उन्हें रोक लिया गया।

वहां महिला पुलिसकर्मी कम थीं, जबकि पुरुष पुलिसकर्मी ज्यादा। उन्हें वैन में जबरन बैठाया जाने लगा। जब महिला कर्मचारियों ने विरोध किया तो अभद्रता शुरू कर दी। मेल पुलिसकर्मियों ने खींचा। कई लड़कियों के कपड़े तक फट गए। उन्हें ईको गॉर्डन लाया गया। यहां सेवा प्रदाता कंपनी की तरफ से प्रतिनिधियों ने आकर उनसे मुलाकात की। उन्हें ऑफर लेटर दिए जाने का ऐलान किया। उन्हें शाम 6 बजे तक प्रदर्शन खत्म करने के लिए कहा गया है। हालांकि, महिला कर्मचारियों ने अभी धरना-प्रदर्शन जारी रखा है।

 

 

 

 

अभी तक कंट्रोल रूम को मैन पावर उपलब्ध कराने का टेंडर MDSL/टेक महिंद्रा के पास था। जिसका कार्यकाल समाप्त होने पर 3 नवंबर से वी विन के पास आ गया। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार ने नई कंपनी को ठेका देकर पुराने कर्मचारियों को सड़क पर ला दिया। नई कंपनी अपने मनमाने एजेंडे पर काम करवा रही है।

हम लोगों को शिफ्ट पूरी होने के बाद भी काम करवाया गया। उन्हें हर घंटे के हिसाब से अतिरिक्त पैसे देने का लालच भी दिया गया। मगर कंपनी ने कुछ नहीं किया। यहां तक कि अब तक कंपनी ने हम लोगों को ऑफर लेटर भी नहीं दिया है। अगर हम लोग ऑफर लेटर की मां करते हैं तो नौकरी छोड़कर जाने और नॉन ट्रेंड लोगों को भर्ती करने की बात कही जाती है। इसको लेकर एक मैसेज भी जारी कर दिया।

 

 

 

 

कर्मचारियों ने बताया कि पुलिस-प्रशासन धरने को खत्म करने के लिए दमन का रास्ता अपना रही है। लेकिन हम लोग हार मानने वाले हैं। अब हम लोग तभी काम पर जाएंगे, जब कंपनी हम लोगों को ऑफर लेटर और 18 हजार सैलरी नहीं करती है। इस मसले हमने पर विभागीय अफसरों से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया।

महिला कर्मचारी पूजा ने कहा, “अखिलेश सर ने हमसे बात की है। उन्होंने कहा कि जो भी समस्याएं हैं। उन्हें बता दें, हल की जाएंगी। मेल कॉन्स्टेबल छीना-झपटी कर रहे हैं। कई महिला कर्मचारियों के कपड़े फट गए।” कर्मचारी प्रतिभा कश्यप ने कहा,”हम 18 लाख नहीं मांग रहे, हम सिर्फ 18000 मांग रहे हैं। सालभर काम करने के बाद ये हमारा हक बनता है। हम अपराध के खिलाफ काल लेते हैं, लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं।”

 

 

 

 

धरना दे रही प्रतिभा मिश्रा ने कहा,”हम मुख्यमंत्री के आवास की तरफ जब आगे बढ़े, तो हमे रोक लिया गया। तब हमारे साथ अभद्रता हुई। हमें वैन में भरकर यहां ईको गार्डन लाकर छोड़ दिया गया।”

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने धरनारत लड़कियों का वीडियो ट्वीट कर बीजेपी पर हमला बोला है। उन्होंने लिखा- ये है भाजपा के ‘नारी वंदन’ का सच। अपने वेतन को पाने और महंगाई के इस दौर में थोड़ा बढ़ाने के लिए जब प्रदेश की वो बहन-बेटियां धरने पर बैठी हैं, जो ‘डायल 100’ के जरिए दूसरों के दुख-दर्द को सबसे पहले सुनकर उनकी मदद की व्यवस्था करती हैं।

ये कैसी विडंबना है कि आज उनकी ही सुनने वाला कोई नहीं है। 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के स्वप्न-सौदागर दिल्लीवालों और 1 ट्रिलियन के दावेदार लखनऊवालों के पास क्या इन नारियों को देने के लिए कुछ भी नहीं है, लगता है सारा ख़ज़ाना ‘नारी वंदन’ के नाम पर आत्म प्रचार में ही ख़त्म हो गया है।

 

 

 

 

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