बालू खदान मरौली खंड 5 में नियमों की उड़ रही धज्जियां

 

न्यूज़ वाणी

ब्यूरो मुन्ना बक्श

बांदा। जिले में प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए जिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल भरपूर प्रयासरत हैं शोसल मिडिया में लोगों से अपील भी कर रहीं हैं वहीं जिम्मेदार प्रदूषण विभाग मुफ्त की रोटियां तोड़ रहा है। आपको बता दे बुंदेलखंड में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स) में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण जालौन जिले में है। यहां की एक्यूआई 164 है। चित्रकूटधाम मंडल में हमीरपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित है। यहां एक्यूआई 159 मापी गई है। बांदा और चित्रकूट का एक्यूआई 155 और महोबा का 157 है। एक्यूआई का मानक अधिकतम 100 है। ये आंकड़े वायु गुणवत्ता सूचकांक संबंधी वेबसाइट ‘आईक्यू-एयर’ की रिपोर्ट के हैं। मौजूदा में पर्यावरण की यह स्थिति सेहत के लिए हानिकारक है। वहीं बालू खदानों की शुरुआत हो गई है और कुछ खदानें संचालित भी हो गई हैं जहां नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है जिम्मेदार अधिकारी आंखों में पट्टी बांधे हुए हैं। ऐसी ही तस्वीर मटौन्ध थाना अंतर्गत मरौली गांव से सामने आई है जहां खाली और बालू भरे ट्रक सरपट दौड़ रहे हैं और धूल का गुब्बार उड़ान भर रहा है वहीं से गांव के किसान और ग्रामीण गुजर रहे हैं जो धूल के गुब्बार की चपेट में लगातार आ रहे हैं जिसके चलते ग्रामीणों को गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं यहां एन जी टी के नियमों को दरकिनार कर रात दिन हैवी मशीनों से खनन किया जा रहा है। जानकारी करने पर पता चला की इस गांव में मरौली खंड 5 के नाम का बालू खदान का पट्टा हुआ है। जिसके ठेकेदार संजू गुप्ता बताया जा रहे हैं। संजू गुप्ता बाहरी व्यापारी है शायद इसीलिए यह ग्रामीणों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं जी हां खनन नियमों के तहत बनाए गए रास्ते में धूल नहीं उड़नी चाहिए लगातार पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए जिससे धूल जमीन पर ही बनी रहे भारी वाहन निकलने पर धूल न उड़े और कोई भी इसकी चपेट में ना आए लेकिन यहां इस नियम का पालन होते नहीं दिख रहा है। खाली और भरे ट्रक तेज रफ्तार से गुजर रहे हैं जिससे एक बड़े धूल का गुब्बार उठता है और लोग उसकी चपेट में आ रहे हैं सांसों द्वारा धूल शरीर में प्रेवश हो रही है जो लोगों की जान ले सकती है। वहीं हैवी मशीनों से रात दिन खनन करने से नदी का अस्तित्व खत्म हो रहा है और जलीय जीवों को खतरा बना रहता है जो पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहा है।

इसी संबंध में जब हमने पर्यावरण अधिकारी राजेंद्र प्रसाद से सवाल किया तो उन्होंने बताया की अभी तक उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई अब मामला सामने आया इस पर कार्रवाई करेंगे। लेकिन सवाल यह उठता है की लगातार मीडिया में एन जी टी के विरुद्ध खनन करने की खबर चलाई जाती हैं तब पर्यावरण विभाग क्या करता रहता है। क्या सरकार ने इन्हे मुफ्त की रोटियां तोड़ने के लिए नियुक्त किया गया है।
बाइट – राजेंद्र प्रसाद, पर्यावरण अधिकारी

वहीं ट्रामा सेंटर के डॉक्टर प्रदीप कुमार गुप्ता से पूछा तो उन्होंने बताया की अगर कहीं भी इस सीजन में धूल उड़ाने की स्थित है और लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं तो यह उन लोगों के लिए बहुत ही घातक साबित हो सकता है क्योंकि ठंड के सीजन में यह धूल और घातक हो जाती है। धूल अगर सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करती है तो इससे अस्थमा और श्वास की बीमारी तो होती ही है साथ ही इन्फेक्शन फैलने का भी खतरा होता है। डॉक्टर ने कहा कहीं अगर ऐसी स्थिति है तो लोगों को वहां नहीं रहना चाहिए अगर फिर भी वहां रहना पड़ रहा है तो मुंह में रुमाल या कपड़ा बांधकर ही निकालना चाहिए क्योंकि ठंडी के सीजन में सांस की बीमारी और उभार मारती है और धूल से अधिक इंफेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है। जिससे लोगों की जान भी जा सकती है।

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