न्यूज़ वाणी
ब्यूरो मुन्ना बक्श
बांदा। जिले का “निकम्मा सूचना विभाग मीडिया एवं प्रशासन के बीच वैमनस्यता की दरार डाल” रहा है? हालत यह हैं की “अपने निकम्मेपन से यह जहां अपने गुरुतर दायित्वों का पालन नहीं कर पा रहा वहीं यह शासकीय निर्देशों को धता बता” रहा है! शासन के निर्देश हैं की सूचना विभाग मीडिया से मधुर तालमेल रखें। जिससे सरकार की योजनाओं एवं कार्यशैली को प्रमुखता मिल सके”।
अब हालत यह है की “सूचना विभाग उलटी बांसुरी बजा रहा है! जिले का सूचना विभाग पत्रकारो के अथॉरिटी लेटर मिलने के बावजूद भी पत्रकारो को सूचीबद्ध नहीं करता है न ही उनको शासन प्रशासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देता है जिससे सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रकाशन नहीं हो पा रहा है।
इस कहानी को चरितार्थ करता है की अंधा बांटे रेवड़ी चीन्ह -चीन्ह के देय”?
ऐशा इसलिये लिखा जा रहा है की “डीएम की प्रेस वार्ता होनी होगी तो उन्हीं मीडिया वालों को बुलाया जायेगा जो समान्यतया इन्हें अपना मालिक एवं विधाता समझते” हैं।
अब ताजा उदाहरण बताता हूँ “जो उतना महत्वपूर्ण नहीं हैं जितना की सूचना विभाग की कदाचारिता को दर्शाता” है। अवसर था “दीपावली पर्व के आगमन पर डीएम और एसपी द्वारा पत्रकारों को मिष्ठान एवं दिया वितरण का। इसमें सूचना विभाग नें अपने खास 30-35 मिष्ठान एवं दीपक वितरण करा दिया गया। इससे पत्रकारों में भेद -भाव होने का संदेश” गया। सूचना विभाग नें सफाई दिया की कलक्ट्रेट सभागार में “सारे पत्रकारों को बैठने की जगह नहीं थी” ,पर इस तरह की निकम्मी सोच कई मौकों पर दिखाने वाले सूचना विभाग को कौन समझाए की यह आयोजन विकास भवन सभागार में भी हो सकता था। “बात मीठा और दीया की नहीं सूचना विभाग की सोच और कार्यशैली की है जो निरन्तर प्रशासन एवं मीडिया के बीच खाई उत्पन्न करने का कथित” कार्य कर रहा है।