सिलक्यारा टनल में 9 दिन से फंसे 41 मजदूर: मंदिर में प्रार्थना के बाद ड्रिलिंग के 2 स्पॉट फाइनल किए

 

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 9 दिन से 41 मजदूर फंसे हैं। आज सुबह इंटरनेशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के प्रेसिडेंट प्रोफेसर ऑर्नल्ड डिक्स भी उत्तरकाशी पहुंचे डिक्स ने वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चार में से दो पॉइंट फाइनल किए हैं। उन्होंने मिट्टी और पत्थरों की जांच कर बताया कि ये मशीनें पत्थरों को ड्रिल करने में सक्षम हैं।

SJVNL के चीफ इंजीनियर जसवंत कपूर ने बताया कि दो और ड्रिलिंग मशीनें गुजरात और ओडिशा से आ रही हैं। ये करीब 77 टन की हैं और इनके मंगलवार तक तक यहां पहुंचने की उम्मीद है। BRO ने वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन के लिए 1200 में से 900 मीटर सड़क बना ली है। यह सोमवार शाम शाम तक पूरी हो पाएगी।

 

 

इससे पहले, रेस्क्यू के लिए देहरादून से ड्रिलिंग मशीन लेकर आ रहा एक ट्रक सोमवार तड़के 3 बजे ऋषिकेश में खाई में गिर गया। ट्रक में वर्टिकल ड्रिलिंग की बैकअप मशीन थी। ट्रक ड्राइवर की हालत गंभीर है। वर्टिकल ड्रिलिंग की एक मशीन उत्तरकाशी पहुंच गई है। दोनों मशीनें सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVNL) की थीं।

हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी। इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। रेस्क्यू के दौरान टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।

 

 

 

पिछले 7 दिन में रेस्क्यू के लिए आईं चार मशीनें और तीन प्लान फेल हो चुके हैं। नई रणनीति के तहत आठ एजेंसियां- NHIDCL, ONGC, THDCIL, RVNL, BRO, NDRF, SDRF, PWD और ITBP एक साथ 5 तरफ से टनल में ड्रिलिंग करेंगी।

पहली- सिलक्यारा की ओर से मेन टनल में 35 मीटर की ड्रिलिंग NHIDCL के जिम्मे है।

दूसरी- डंडालगांव की ओर से मेन टनल में 480 मीटर की खुदाई THDCIL के पास है।

तीसरी- डंडालगांव की तरफ से 172 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जिम्मेदारी ONGC के पास है।

चौथी- सिलक्यारा से 350 मीटर आगे यमुनोत्री जाने वाले पुराने रास्ते पर BRO ने सड़क बनाई। हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का जिम्मा RVNL के पास।

 

 

 

5वीं- सिलक्यारा की तरफ से ही 350 मीटर आगे 92 मीटर की दो वर्टिकल ड्रिलिंग RVNL और सतलुज जल विद्युत निगम के पास। पहली ड्रिलिंग 24 इंच की होगी। इससे मजदूरों को खाना दिया जाएगा। इसमें 2 दिन लगने की उम्मीद है। दूसरी ड्रिलिंग 1.2 मीटर (डायमीटर) की होगी, जिसमें लोगों को निकाला जाएगा। इसमें 4-5 दिन लगेंगे।

19 नवंबर: सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड CM पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और फंसे लोगों के परिजनों को आश्वासन दिया। शाम चार बजे सिलक्यारा एंड से ड्रिलिंग दोबारा शुरू हुई। खाना पहुंचाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई।

 

 

 

18 नवंबर: दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा। खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की। PMO के सलाहकार खुल्बे और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे। पांच जगहों से ड्रिलिंग की योजना बनी।

17 नवंबर: सुबह दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ी। उन्हें दवा दी गई। दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में पत्थर आने से ड्रिलिंग रुकी। मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाला गया। नई ऑगर मशीन रात में इंदौर से देहरादून पहुंची, जिसे उत्तरकाशी के लिए भेजा गया। रात में टनल को दूसरी जगह से ऊपर से काटकर फंसे लोगों को निकालने के लिए सर्वे किया गया।

 

 

 

16 नवंबर: 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन ऑगर का इंस्टॉलेशन पूरा हुआ। शाम 8 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हुआ। रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप डाले गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की रिव्यू मीटिंग की।

15 नवंबर: रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत कुछ देर ड्रिल करने के बाद ऑगर मशीन के कुछ पार्ट्स खराब हो गए। टनल के बाहर मजदूरों की पुलिस से झड़प हुई। वे रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से नाराज थे। PMO के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हैवी ऑगर मशीन लेकर चिल्यानीसौड़ हेलीपैड पहुंचा। ये पार्ट्स विमान में ही फंस गए, जिन्हें तीन घंटे बाद निकाला जा सका।

 

 

 

14 नवंबर: टनल में लगातार मिट्टी धंसने से नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स से सलाह ली गई। ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक को काम में लगाया। लेकिन लगातार मलबा आने से 900 एमएम यानी करीब 35 इंच मोटे पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का प्लान बना। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद ली गई लेकिन ये मशीनें भी असफल हो गईं।

13 नवंबर: शाम तक टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली जाने लगी। दोबारा मलबा आने से 20 मीटर बाद ही काम रोकना पड़ा। तब से मजदूरों को पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन और खाना-पानी मुहैया कराया जा रहा है।

 

 

12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर अंदर तक भारी मात्रा में जमा हो गया। टनल से पानी निकालने के लिए बिछाए गए पाइप ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा जाने लगा। बचाव कार्य में NDRF, ITBP और BRO को लगाया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर तक मलबा हटा।

 

 

 

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