फतेहपुर। हसवा विकास खंड क्षेत्र के अन्तर्गत एकारी गांव में ऐतिहासिक रामलीला के तीसरे दिन रावण वध की लीला का मंचन किया गया। भगवान राम के तीर से अहंकारी लंकेश धराशायी हो गया। लक्षमण के मूर्छित होने पर राम के विलाप से दर्शकों के आंखों में आंसू आ गये। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कमल साहू के आरती करने के बाद लीला की शुरु किया गया। वीर हनुमान मां जानकी का पता लगाने के बाद वापस रामा दल आये। लंका में घटित पूरी घटना भगवान राम से बताया गया। मां जानकी का पता लगते ही लंका में चढ़ाई करने की तैयारी शुरू कर दी जाती है। आखिरी बार अंगद को दूत बनाकर लंका भेजा गया। कि वह रावण को समझाएं और मां जानकी को वापस कर दे। लंका पहुंचने पर वीर अंगद और रावण का संवाद होता है। जिसका पूरा आनंद दर्शकों ने उठाया। वहीं दूसरी ओर भगवान राम और सुग्रीव तथा उनकी विशाल बंदर भालू की सबसे बड़ी बाधा विशाल समुद्र है। भगवान राम द्वारा कई दिनों तक समुद्र की पूजा की गई कि वह रास्ता दे दे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्रोध में जाकर भगवान राम समुद्र को सुखाने जाते हैं ।तभी समुद्र देवता हाथ जोड़कर खड़े हो गये। प्रभु ऐसा आप न करें मैं आपको एक उपाय बताता हूं। आपके दल में नल नील नाम के दो वीर बंदर हैं। उनको वरदान प्राप्त है कि अगर वह जल में पत्थर डालेंगे तो वह डूबेगा नहीं । अतः विशाल समुद्र में नल नील के सहयोग से सेतु का निर्माण करें । और समुद्र के उसे पर लंका पहुंचें। भगवान राम वैसा ही किया। और वीर नल नील की मदद से विशाल समुद्र में एक सेतु तैयार हुआ। इसके बाद भगवान राम समुद्र किनारे रामेश्वरम की स्थापना किया। उधर रावण के दो गुप्तचर रामा दल की विशाल संख्या का आंकड़ा इकट्ठा करने आते हैं । लेकिन वीर हनुमान द्वारा उन्हें पहचान लिया, वापस लंका भेज दिया। राम सहित सभी बंदर भालू समुद्र पार लंका पहुंचते हैं। लंका में चढ़ाई करते हैं रावण अपने सबसे वीर भाई कुंभकरण के पास पहुंचता है ।उस युद्ध करने के लिए कहता है कुंभकरण पहले रावण को बहुत समझता है। लेकिन रावण के न मानने पर राम से युद्ध करने के लिए युद्ध स्थल पर पहुंचता है । जिसे देखकर बंदर भालू डर जाते हैं । राम और कुंभकरण का युद्ध होता है और राम द्वारा कुंभकरण की मौत होती है।सूचना मिलते ही रावण अधिक दुखी होता है। और भाई के इस संसार में न रहने पर अधिक दुखी भी होता है ।इसके बाद रावण का पुत्र मेघनाथ युद्ध मैदान में आया और लक्ष्मण से युद्ध हुआ। मेघनाथ ब्रह्मास्त्र से लक्ष्मण को मूर्छित कर देता है। लक्ष्मण के मूर्छित होते हैं । भगवान राम द्वारा करुण विलाप करते हैं। वीर हनुमान लंका पहुंचकर सुखन वैद्य को घर सहित उठा लाते हैं। और वैद्य जी द्वारा हिमाचल पर्वत से संजीवनी बूटी लाने को कहा गया। मूर्छा से वापस होने पर मेघनाथ का वध हुआ। मेघनाथ की पत्नी सती सुलोचना द्वारा करुण विलाप करने लगती है। सती सुलोचना अपने ससुर रावण की आज्ञा लेकर राम दल पहुंचती है । और भगवान राम से मेघनाथ का सर मांगती है। जिसे सम्मानपूर्वक दिया गया। अपने पति के सिर के साथ सुलोचना अग्नि में सती हो जाती हैं । वह समय आता है और स्वयं लंका के महाराज रावण राम से युद्ध करने के लिए युद्ध भूमि में पहुंचते हैं। राम और रावण का घोर युद्ध होता है। और अंत में राम द्वारा रावण का वध किया जाता है । राम का वध होते ही राम लक्ष्मण को आदेश देते हैं कि इस संसार से एक वीर पुरुष और ज्ञानी पुरुष जा रहा है जाकर कुछ शिक्षा ले लो । रावण द्वारा लक्ष्मण और अन्य सभी भालू बंदरों को शिक्षा दी जाती है। इस कार्यक्रम में हजारों की भीड़ रही। कमेटी अध्यक्ष पुलकित मौर्य, ग्राम प्रधान कमल साहू, संदीप मौर्य, डा मलखान, नरेंद्र मुंशी , मुन्ना श्रीवास्तव, राजू श्रीवास्तव, होरीलाल, बुलाकी आदि रहे।