INDIA गठबंधन में फूट: बैठक में नहीं शामिल होंगे अखिलेश; MP के बाद UP में लोकसभा के लिए नई राह तलाश रही सपा
उत्तर प्रदेश: सपा प्रमुख अखिलेश यादव विपक्ष की INDIA गठबंधन की बैठक में नहीं जाएंगे। इसे MP चुनाव से पैदा हुई रार से जोड़कर देखा जा रहा है। छह दिसंबर को होने वाली INDIA गठबंधन की यह चौथी बैठक है। इससे पहले की तीनों बैठकों में अखिलेश यादव शामिल हुए थे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने INDIA के सभी 28 घटक दलों की बैठक बुलाई है। अखिलेश के न जाने पर अब सपा की ओर से प्रमुख महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव के हिस्सा लेने की बात कही जा रही है।
राजनीति में कहावत है कि किसी भी नेता को लेकर दिया गया बयान या तो बहुत फायदेमंद होता है, या बहुत ही नुकसानदायक। ऐसे ही मध्यप्रदेश (MP) के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लेकर कौन है अखिलेश-वखिलेश… बोलना MP में कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत साबित हुआ। इस बयान के बाद अखिलेश ने MP में चुनावी अभियान तेज करते हुए सपा के उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था। सपा के ऐलान के बाद उत्तर प्रदेश (UP) बॉर्डर से सटे 74 विधानसभा सीटों पर इसका असर कहीं ज्यादा तो कहीं नाम मात्र ही जरूर रहा।
फिलहाल बसपा सुप्रीमो मायावती ने 10 दिसंबर को लखनऊ में राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी की बैठक लोकसभा चुनाव को लेकर बुलाई है। वहीं अखिलेश यादव ने भी अपने राष्ट्रीय पदाधिकारी की एक बैठक करने का फैसला किया है। यह बैठक 8 दिसंबर को संभावित है, जो लखनऊ सपा कार्यालय में ही होगी। अखिलेश राष्ट्रीय पदाधिकारी की बैठक करेंगे और आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर MP के चुनावी रिजल्ट के बाद क्या नया बदलाव किया जा सकता है, इस पर मंथन करेंगे।
फिलहाल UP में अखिलेश यादव 60 से ज्यादा सीटों पर सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। अखिलेश यादव MP समेत चार राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद पहला राजनैतिक दौरा बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने EVM पर विचार करने की बात भी कही।
MP की निवाड़ी विधानसभा में भाजपा ने कांग्रेस को 17,157 मतों से हरा दिया। यहां पर सपा को 32,670 वोट मिले हैं। चांदला विधानसभा में भाजपा ने कांग्रेस को 15,491 मतों से हराया है। यहां भी सपा को 24,977 वोट मिले हैं। इसी प्रकार राजनगर विधानसभा में भाजपा ने कांग्रेस को 5,867 वोटों से हराया, यहां भी साइकिल को 6,353 वोट मिले हैं।
सपा को MP और राजस्थान के चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। अब आगे बात करते हैं कि MP में उसे नोटा से भी कम वोट मिले हैं। इस बार उसे सिर्फ 0.46% वोट मिले हैं। जबकि नोटा को सपा के दोगुने यानी 0.98% वोट मिले हैं।
सपा ने इस बार MP में कुल 69 सीटों पर चुनाव लड़ा। एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। इनमें से 43 सीट ऐसी हैं, जिन पर सपा को एक हजार से भी कम वोट मिले हैं। इनमें से किसी भी सीट पर सपा का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर नहीं रहा। इससे पहले 1998 में सपा को MP में चार सीटों पर जीत मिली थी। उसका वोट प्रतिशत भी 1.58% रहा था। वहीं 2007 में सपा को कुल 3.7% वोट मिला। 2013 के विधानसभा चुनाव में सपा को कोई सीट तो नहीं मिली, लेकिन उसका वोट शेयर 1.2% रहा था।
अखिलेश ने MP में पांच दिनों में 13 रैलियां की, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। सिर्फ 0.46% वोट ही मिल सके। राजस्थान की यादव बेल्ट में सपा ने 5 उम्मीदवार उतारे थे। राजगढ-लक्ष्मणगढ़, थानागाजी, धौलपुर, नदबई, अलवर सीट थी। सपा एक भी सीट नहीं जीत सकी और वोट 0.01% मिला। सपा ने राजस्थान में तो नहीं, लेकिन MP में चार सीटों पर कांग्रेस को चोट दी है।
बसपा भले ही INDIA गठबंधन का हिस्सा नहीं है, लेकिन कांग्रेस में एक तबका उसे साथ लाने के लिए बेताब है। मायावती एकला चलो की राह पर है। इसी फॉर्मूले पर उन्होंने चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाया था, जिसमें राजस्थान छोड़कर किसी भी राज्य में बसपा का खाता तक नहीं खुला और वोट फीसदी में भी गिरावट आई। बसपा को इस बार छत्तीसगढ़ में 2.09%, राजस्थान में 1.82%, MP में 3.4% और तेलंगाना में 1.38% वोट मिले हैं।
MP चुनाव में बसपा को 3.4% वोट मिले हैं। पार्टी यहां नागोड़, सिरमौर और सुमावली जैसी सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। एक सीट भी नहीं जीत सकी, लेकिन 24 सीट पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ा है। राजस्थान में बसपा ने 199 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन 11 कैंडिडेट पहले ही मैदान छोड़ दिए थे। इस बार सादुलपुर और बारी दो ही सीटें बसपा जीत सकी है। पिछले चुनाव की तुलना में 1% कम वोट और चार सीटें कम मिली हैं। 2018 में बसपा ने यहां 4.03% वोटों के साथ छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसी तरह छत्तीसगढ़ में बसपा के एक विधायक पहले थे, लेकिन इस बार खाता नहीं खुला।
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सपा से ज्यादा सियासी नुकसान बसपा के उम्मीदवारों से हुआ है। MP में सपा की वजह से चार सीटें कांग्रेस हारी और बसपा के चलते कांग्रेस को 2 दर्जन सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। राजस्थान में सपा ने नुकसान नहीं किया, लेकिन बसपा ने 18 सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। छत्तीसगढ़ में भी बसपा ने कई सीटों पर कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया था। इसके चलते ही कहा जा रहा है कि कांग्रेस यूपी में गठबंधन को लेकर नए तरीके से विचार-विमर्श कर सकती है।
मायावती ने MP में 178 और छत्तीसगढ़ में 53 उम्मीदवार उतारे थे। उन्होंने यहां 8 रैलियां की थीं और उन्हें जीत की पूरी उम्मीद भी थी, लेकिन उनकी पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। लेकिन, पार्टी ने कांग्रेस का खेल जरूर बिगाड़ा है। MP और छत्तीसगढ़ में मायावती ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से समझौता किया था, लेकिन दोनों ही पार्टियों को कोई सीट नहीं मिली। यह एक तरीके का दलित और आदिवासी गठबंधन था। हिंदी बेल्ट में यह मायावती के लिए एक झटके के समान है।