डॉक्टर की क्रूरता देख काँप उठे लोग: ग्राइंडर से रेता पत्नी का गला; बच्चों के सिर पर किए हथौड़े से वार

 

रायबरेली के लालगंज में आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना स्थित डॉ. अरुण के आवास का मंजर रूह को कंपा देना वाला था। सिर्फ आसपास के लोग ही नहीं, बल्कि पुलिस अफसर भी अंदर का नजारा देखकर दंग थे। डॉक्टर अरुण तो फंदे से लटक रहे थे और उनकी पत्नी अर्चना सिंह, बेटी अदीवा (12) और बेटे आरव (4) के शव बेड पर पड़े थे

सभी के सिर पर चोट के गंभीर निशान थे। अर्चना का चेहरा खून से सना था। आवास में रखा सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिला और उसके दो बच्चों की हत्या कितनी बेरहमी से हुई होगी।

 

 

 

खास बात ये भी है कि इतनी बड़ी वारदात की जानकारी उनके आसपास रहने वाले अन्य लोगों को भी नहीं हुई। सोमवार और फिर मंगलवार को पूरे दिन परिजन चिकित्सक और उनके बच्चों से बात करने के लिए फोन मिलाते रहे, लेकिन बात नहीं हो पाई। मंगलवार की देर रात पुलिस अफसरों की मौजूदगी में आवास का ताला तोड़ा गया तो नजारा देख लोग सहम गए।

यह ऐसा दृश्य था, जो शायद ही आरेडिका में रहने वाले लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था। अर्चना के मुंह में कपड़ा ठुंसा हुआ था। गले को भी ग्राइंडर से रेता गया था। इसके बाद उसे हथौड़े के वार के निशान थे। बच्चों के सिर और शरीर पर कई जगह हथौड़े से वार किए गए थे। उसके शरीर पर कई जगह चाकू से भी गोदा गया था। डॉक्टर के हाथ की ग्राइंडर से नसें कटी थीं। उसके हाथ में वीगो भी लगा हुआ मिला।

 

 

 

इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि दीमक मारने वाली दवा भी शरीर में चढ़ाने की कोशिश की गई। माना जा रहा है कि किसी भी तरह सफल न होने पर अंत में कुर्सी के जरिए चिकित्सक ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली होगी। अपर पुलिस अधीक्षक नवीन कुमार सिंह के मुताबिक घर में एक बेडपर इंसुलिन की कई खाली शीशियां और सिंरिंज पाए गए हैं। खाना खाने के बाद बर्तन साफ किए और फिर सोहन पापड़ी खाई गई। ऐसा लगता है कि सोहन पापड़ी में ही कोई नशीली दवा मिली थी, जिससे सभी बेहोश हो गए थे। फॉरेंसिक टीम जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ होगी।
उधर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि भी हुई है कि चिकित्सक की पत्नी और उसके दो बच्चों को बचने का मौका नहीं था। यह तभी संभव है, जब उन्हें बेहोश किया जाए। बेड पर जो जहां था, वह वहां पड़ा था। ऐसा इसलिए कि जो सीधा लेटा था, वह सीधा ही लेटा था।

 

 

 

 

यदि पत्नी या फिर बच्चे होश में होते तो वह भागकर बचने और शोरगुल मचाकर लोगों को मदद के लिए बुलाते, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। इससे जाहिर होता है कि मारने से पहले पत्नी और बच्चों को कोई नशीला पदार्थ खिलाया गया था।
आरेडिका में डॉक्टर और उनकी पत्नी, दो बच्चों की मौत की तहकीकात करने के लिए आईजी लखनऊ रेंज तरुण गाबा बुधवार को घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से जांच की। साथ ही पुलिस अफसरों से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। मीडिया से बातचीत में आईजी ने कहा कि पुलिस घटना के सभी पहलुओं पर जांच कर रही है। पता चला है कि डाक्टर कुछ हिंसक प्रवृत्ति के थे। पुलिस सभी पहलुओं पर छानबीन कर रही है।

 

 

 

 

 

आरेडिका में तैनात डॉ. अरुण, उसकी पत्नी अर्चना, बेटी अदीवा और आरव का बुधवार की देर शाम डलमऊ के श्मशान गंगाघाट पर अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान डॉ. अरुण, उसकी पत्नी, बच्ची की चिताएं एक साथ जलीं तो वहां मौजूद परिजन रो पड़े। मृतक अरुण के छोटे भाई अशोक कुमार सिंह ने चिताओं को मुखाग्नि दी।
वहीं चार वर्षीय आरव को दफनाया गया। छोटे भाई अशोक ने बताया कि शनिवार की शाम भाई अरुण से उसकी बात हुई थी। अरुण ने सबकुछ ठीकठाक बताया था। उनकी बातों से लग रहा था कि वह किसी तरह की कोई परेशानी में नहीं थे। पता नहीं यह सब कैसे हो गया। अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट पर लालगंज पुलिस भी तैनात रही।

 

 

 

 

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