एनजीटी के जजों के तेवर देख जॉइंट डायरेक्टर व विपक्षी वकीलों के छूटे पसीने आर ओ सहित खनिज अधिकारी किए गए तलब

 

न्यूज़ वाणी

ब्यूरो मुन्ना बक्श

बाँदा। जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल की शानदार कार्यशैली से प्रभावित दिखे जज।
गिरवा क्षेत्र के पहाड़ों के खनन व क्रशर संचालक पर एनजीटी ने कड़ाई से नियमों का पालन करवाने तक रोक के आदेश दे दिए थे। शुक्रवार 8 दिसंबर को एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच दिल्ली में हुई सुनवाई के दौरान दोनों ही माननीय जज ने जॉइंट डायरेक्टर से पूछा की बिना डी जी एमएस परमिशन के आपने पट्टे कैसे आवंटित कर दिए? साथ ही पट्टे आवंटित करते समय यह भी नहीं देखा की, आबादी क्षेत्र मानक के अनुसार पर्याप्त दूरी पर होना चाहिए जो की नहीं है। साथ ही मंदिरों को जो नुकसान पहुंच रहा है उसका खामियाजा कौन भुगतेगा? बता दे की कुल 16 पहाड़ पट्टो में सिर्फ छह के पास डी जी एमएस परमिशन थी। जांच के दौरान बांदा डीएम ने तीन पट्टा धारकों के मानक न होने पर रोक लगा दी। इस तरह से अब दो ही पट्टा धारक ऐसे हैं जिनके पास डी जी एमएस परमिशन है। ऐसे में अब बाकी के 14 पट्टा धारक विस्फोट नहीं कर सकते हैं। वहीं माननीय जज साहब ने कहा कि जरर गांव में जो क्रेशर लगे हैं, उनमें किसी में बाउंड्री वॉल नहीं है। और ना ही पौधे लगाए गए हैं। ऐसे में क्या बाँदा खनिज अधिकारी व जिम्मेदार निरिक्षण नहीं करते। माननीय जज साहब ने अगली सुनवाई में बांदा खनिज अधिकारी व आर ओ को भी पेश होने की निर्देश दिए।

इस दौरान विपक्ष के एक वकील द्वारा यह दलील दी गई की शायद याचिका दायर करने वाले पत्रकार अभिषेक शुक्ला यह सब रुपयों के लालच में कर रहे हैं। ऐसे में जज साहब ने उक्त वकील साहब को फटकार भरे अंदाज में कहा कि- कृपया आप फैक्ट पर बात करिए बेंच को गुमराह करने का प्रयास मत करिए। हमारे सामने जांच करने वाली टीम की रिपोर्ट रखी हुई है। हम उस रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही कर रहे हैं आप भी फैक्ट के आधार पर बात करिए।

आज की सुनवाई के दौरान ऐसा लगा कि जैसे माननीय जज वही बोल रहे हैं जो सच्चाई है। और क्षेत्र की जनता को भी पूरा यकीन है कि, जब भी फैसला आएगा वही फैसला आएगा जो जनहित में हैं। फिलहाल तो अगली तारीख लगा दी गई है। इस तारीख का ऑर्डर 2 से 3 दिनों के बीच वेबसाइट पर अपलोड हो जाएगा। आगे की जानकारी ऑर्डर देखकर आपको बताई जाएगी।

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