-फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के प्रति जागरूक कर बांटी गयी किट
फतेहपुर,। फाइलेरिया (हाथीपांव) के मरीजों को सामान्य जीवन जीने में प्रभावित अंग का प्रबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इस कार्य में एमएमडीपी किट मददगार साबित हो रही है । इसी उद्देश्य से जनपद के तेलियानी ब्लॉक के ठिठौरा ग्राम पंचायत भवन में स्वास्थ्य विभाग की ओर से एमएमडीपी किट वितरण और प्रशिक्षण कैम्प का आयोजन किया गया। कैंप में 26 रोगियों को फाइलेरिया प्रभावित अंगो के रुग्णता प्रबंधन का प्रशिक्षण देने के साथ ही एमएमडीपी किट भी दी गयी। कैंप में आए फाइलेरिया रोगियों को नियमित व्यायाम करने का तरीका बताया गया । इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर ने कहा कि फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसे हाथीपांव भी कहा जाता है। यह न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देता है बल्कि इसकी वजह से मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के आसपास व अंदर साफ सफाई रखें । पानी जमा न होने दें और समय .समय पर रुके हुए पानी में कीटनाशक, जला हुआ मोबिल या डीजल का छिड़काव करते रहें। जिला मलेरिया अधिकारी ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों के रुग्णता प्रबंधन का अभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि इस समय जनपद में फाइलेरिया के 4128 मरीज हैं। इनमें से 1547 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी है। किट में हाथ धोने का साबुन, टब, बाल्टी, मग, तौलिया, ग्लब्स एवं आवश्यक दवाएं रहती हैं। फाइलेरिया के पहले स्टेज पर ही एमएमडीपी किट के जरिये प्रभावित अंग की देखभाल और नियमित व्यायाम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कैम्प में आए 35 वर्षीय राम भवन ने बताया कि उनके बाएं पैर में फाइलेरिया है जो तीसरे स्टेज पर है। फाइलेरिया होने के बाद उन्होंने पहले झाड फूंक करवाया लेकिन कोई आराम नहीं मिला। इसके बाद तीन महीने पहले फाइलेरिया रोगी नेटवर्क से जुड़े, जिसमें साफ सफाई के बारे में बताया गया। अब काफी आराम है। एमएमडीपी किट मिल गई है और इस्तेमाल करने के तरीके भी बताये गये है। कैम्प के दौरान 38 वर्षीय जयरानी ने बताया कि उनके बाएं पैर में 8 साल से फाइलेरिया है जो कि दूसरे स्टेज पर है। पहले प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराया । डॉक्टर ने रोजाना खाने के लिए दवाइयां दी। दवा खाने से फाइलेरिया में कोई आराम नहीं मिला और शरीर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा। इलाज में लगभग पांच से छह हजार रूपये भी खर्च हो गये। कैम्प में आने के बाद एमएमडीपी किट मिली है जिससे प्रतिदिन तीन बार प्रभावित अंग को साफ करना है और दो बार नियमित व्यायाम करने के बारे में भी सिखाया गया । वह भी नेटवर्क की मदद से इस कार्यक्रम में आई थीं। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि एमएमडीपी किट के इस्तेमाल और नियमित व्यायाम से से एक्यूट अटैक आने की आशंका काफी कम हो जाती है क्योंकि प्रभावित अंग व्यायाम के माध्यम से लगातार गतिशील रहता है। सूजन नहीं आ पाती। एक मरीज को सिर्फ एक बार ही किट दी जाती है। जिन्हे कैंप में किट नहीं मिल पाती वह प्रत्येक माह की 15 तारीख को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पहुंच कर सीएचओ से एकीकृत निक्षय दिवस पर यह किट प्राप्त कर सकते है। इस मौके पर मलेरिया इंस्पेक्टर आशीष त्रिपाठी, पंचायत सहायक सुभि मिश्रा, आशा बहू श्यामा, ननकी एवं सीफार टीम मौजूद रही।
एमएमडीपी किट के प्रयोग का तरीका
एमएमडीपी किट के अंतर्गत प्राप्त बाल्टी में पानी भर लेना है। टब में पैर रख कर घुटने के ऊपर से नीचे की तरफ पैर के पंजे तक मग की सहायता से पानी गिरा कर धो लें। इसके बाद साबुन लेकर हाथ में अच्छे से झाग बना लें और पूरे पैर पर अच्छे से साबुन लगा के हल्के हाथों से मालिस करें। फिर पैर को अच्छे से धो कर तौलिया से थपकी देकर सुखा लें। इसके बाद आवश्यकतानुसार एंटीफंगल एंटीबैक्टीरियल क्रीम लगा सकते हैं। यह क्राम वहां लगानी है जहां पर चोट हो।