SC का इनकार: मुस्लिम पक्ष की याचिका हुई खारिज ईदगाह सर्वे का दिया आदेश

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह के कमिश्ननर सर्वे पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर सर्वे से दिक्कत है तो प्रॉपर तरीका अपनाएं। इसके बाद सुनवाई पर विचार किया जाएगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को विवादित स्थल का कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। शाही ईदगाह मस्जिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वर्चुअली इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें कमिश्नर सर्वे और हाईकोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा कि कार्रवाई को चलने दें।

शुक्रवार को शाही ईदगाह विवाद मामले के सभी केस की ट्रांसफर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी। हिंदू पक्ष के एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक, शाही ईदगाह कमेटी ने हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए गए सभी केस को मथुरा कोर्ट में सुनवाई करने की मांग की है। उसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इसी बीच, मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के आदेश को मेंशन करते हुए सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह की 13.37 एकड़ विवादित जमीन
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार करते हुए ईदगाह सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था। जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। 16 नवंबर को इस अर्जी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह के 13.37 एकड़ विवादित जमीन का कोर्ट कमिश्नर सर्वे करेंगे। यह सर्वे वाराणसी की ज्ञानवापी में मई 2021 में हुए कमिश्नर सर्वे की तरह होगा। इसमें कोर्ट कमिश्नर की टीम वहां जाकर सबूत जुटाएगी और कोर्ट को रिपोर्ट देगी। सर्वे का तरीका क्या होगा? टीम में कौन-कौन होंगे? कब सर्वे करेंगे? ये सब 18 दिसंबर को हाईकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई में तय होगा।

सर्वे के आदेश के बाद हिंदू और मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है, आगे जानते हैं…
हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद में मंदिर होने के प्रमाण मौजूद हैं, जो सर्वे होने के बाद सामने आ जाएंगे। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वहां इस तरह के कोई चिह्न या सबूत मौजूद नहीं हैं। पहले भी वहां ऐसा कुछ नहीं था।

दावा- मस्जिद में मौजूद हैं ॐ, कमल और शेषनाग की आकृति
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और वादी एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि शाही ईदगाह की दीवारों पर कमल पुष्प, ॐ और शेषनाग की आकृति मौजूद है। अपना दावा साबित करने के लिए वह कुछ फोटो भी दिखाते हैं। महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि यह सभी आकृति शाही ईदगाह की दीवारों पर मौजूद हैं। यह सभी आकृति सनातन धर्म की प्रतीक हैं।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान के नाम दर्ज है 13.37 एकड़ भूमि
श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह मामले में विवाद 13. 37 एकड़ भूमि में से करीब 2.37 एकड़ भूमि में बनी शाही ईदगाह को लेकर है। हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आज भी खसरा खतौनी में पूरी 13.37 एकड़ भूमि श्री कृष्ण जन्मस्थान के नाम दर्ज है। इसका नगर निगम में टैक्स भी मंदिर जमा कर रहा है।

शाही ईदगाह के सचिव बोले- नहीं है ऐसा कोई प्रमाण
हिंदू पक्ष के दावे को मुस्लिम पक्ष नकार रहा है। शाही ईदगाह कमेटी के सचिव और मुस्लिम पक्ष के वकील तनवीर अहमद का दावा है कि शाही ईदगाह में न तो पहले और न इस समय वहां कोई चिह्न मौजूद नहीं है। हिंदू पक्ष कहता है कि निशानों को मिटाया जा रहा है, वह गलत कहते हैं। 1993 से वहां हाईकोर्ट के आदेश से हाई जोन सुरक्षा है। CRPF और पुलिस रहती है। कैमरे लगे हैं। यह तो उनका अनर्गल प्रचार है। वह दुष्प्रचार करते हैं।

शाही ईदगाह सर्वे की मंजूरी पर देवकीनंदन बोले: सनातनियों की जीत हुई, जल्द आगरा की जामा मस्जिद से भी भगवान को मुक्त कराने का रास्ता साफ होगा

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट कमीशन के सर्वे का आदेश दिया। इस आदेश के आने के बाद कृष्ण भक्तों में खुशी है। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी खुशी जताई है। उन्होंने इसे सभी सनातनियों की जीत बताया है। उनका कहना है कि जल्द ही कानूनी तौर पर आगरा की जामा मस्जिद से भी भगवान केशवदेव के विग्रह को मुक्त कराने का रास्ता साफ होगा

पुराने चबूतरे पर मजार, हिंदू बोले- मंदिर था, औरंगजेब ने तोड़ा, मुस्लिम बोले- यहां हमारे बुजुर्ग दफन

मथुरा से करीब 60 किमी दूर शाहपुर गांव में एक पुराना चबूतरा है और उसके ऊपर मजार बनी है। गांव में रहने वाले हिंदू चबूतरे को बांके बिहारी मंदिर का अवशेष मानते हैं, जिसे मुगल बादशाह औरंगजेब के राज में तोड़ दिया गया था। वहीं, मुस्लिम इस जगह को अपना कब्रिस्तान बताते हैं। 3 साल से चल रहा ये विवाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में है।

 

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