लखनऊ SGPGI (संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) के लिए सोमवार का दिन ब्लैक मंडे रहा। संस्थान की ओल्ड बिल्डिंग परिसर में बनी OT यानी ऑपरेशन थिएटर में आग लगने से 2 मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई। मरने वालों में 31 दिन के नवजात और एक महिला हैं। 2 मरीज झुलस भी गए थे। दर्दनाक हादसे के बाद इन मौतों के जिम्मेदारों की लिस्ट बननी शुरू हो चुकी है।
क्योंकि, शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि OT में डॉक्टर एनेस्थिसिया में बेसुध मरीजों को छोड़कर भागे थे। अग्निकांड में इन्हीं मरीजों की दम घुटने से मौत हो गई। ऐसे ही जिम्मेदारों पर शिकंजा कसने के लिए मंगलवार को संस्थान में डायरेक्टर प्रो.आरके धीमन ने सभी विभागों के प्रमुखों की बैठक बुलाई है।
इसी दौरान सामने आया कि SGPGI के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. अजमल खान के घर में सुबह आग लग गई। मौके पर दमकल की 2 गाड़ी पहुंची, तब उनके 108 नंबर क्वार्टर में आग पर काबू पाया गया। डॉक्टर के मुताबिक आग से घर के कुछ सामान जल गया। कोई हताहत नहीं हुआ है। अभी हालात ठीक हैं।
जिस नवजात बच्चे की SGPGI अग्निकांड में मौत हो गई। उसके बाबा राम सुजान यादव ने कहा,”नहीं सोचा था कि अस्पताल से ऐसा दर्द मिलेगा। सोमवार को दिल के छेद की सर्जरी होनी थी। यहां SGPGI में डॉ. एसके अग्रवाल को दिखाया था। 3 लाख का एस्टीमेट दिया था, जिसमें 2.52 लाख आयुष्मान कार्ड से भुगतान भी आया था। बाकी 70 हजार खुद से जमा किया था। लेकिन हमारा+ बच्चा ही नहीं रहा।”
गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर के सद्दोपुर से आए राम सुजान का कहना है,”हमारा बच्चा चला गया, लेकिन कम से कम संस्थान पैसा तो वापस कर दें।”यह हादसा SGPGI की OT-1 में सोमवार दोपहर 12.40 बजे हुआ। मॉनिटर में स्पार्क होने से आग लगी। आग पहले वर्क स्टेशन और फिर ऑपरेशन थियेटर में फैल गई। थोड़ी ही देर में लपटें दूर-दूर तक फैलने लगीं। अग्निकांड के वक्त एक महिला की एन्डो सर्जरी और एक बच्ची की हार्ट सर्जरी हो रही थी।
पीजीआई के डॉक्टरों ने बताया कि मरने वाली महिला 26 साल की तैय्यबा पीलीभीत की रहने वाली थी। जबकि बच्ची अभी मात्र 31 दिन की थी। इसलिए उसका नामकरण भी नहीं हो पाया था। उसकी मां का नाम नेहा और वह गाजीपुर की रहने वाली है। आग लगने से वहां कई लोग फंस गए। ऑपरेशन थिएटर में भी काफी धुआं भर गया।
SGPGI में काम करने वाले एक गार्ड ने बताया कि जिस समय ऑपरेशन चल रहा था, उस समय OT और करीब 20 मीटर के दायरे के कमरों में 50 से ज्यादा स्टाफ और मरीज मौजूद थे। अगर आग थोड़ी और ज्यादा होती, तो इन सभी लोगों की जान को खतरा हो सकता था। बड़ी बात यह है कि पीजीआई का पूरा फायर सिस्टम आज फेल हो गया। अगर फायर सिस्टम ने सही तरीके से काम किया होता, तो दोनों मरीजों की भी जान बचाई जा सकती थी। पुलिस-प्रशासन की टीम ने खिड़की से अंदर फंसे लोगों को निकाला। फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियों ने आग पर काबू पाया।
संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमन के कार्यकाल में संस्थान ने तेजी से नए प्रोजेक्ट्स को गति दी। बड़े ही तेजी से नए प्रोजेक्ट बने और उतनी ही तेजी से उन्हें साकार रूप दिया गया। मौजूदा दौर में कई अहम प्रोजेक्ट्स पर काम भी चल रहा हैं, पर पुरानी बिल्डिंग की रखरखाव में लापरवाही बरती गई, इसके पुख्ता प्रमाण मिल रहे हैं। जिस बिल्डिंग में आग लगी, उसमें सेफ्टी ऑडिट न होना भी बड़े सवाल खड़े कर रहा हैं। वही संस्थान के डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।