चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे मुख्य भूमि के साथ फिर से एकीकृत करना चाहता है। अब इसी को लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन को चेतावनी दी है। शी ने समय तय न करते हुए ताइवान को चीन के साथ फिर मिलाने की बात कही है।
अमेरिका के तीन मौजूदा और पूर्व अधिकारियों ने बताया कि शी ने सैन फ्रांसिस्को में हाल ही में हुई शिखर वार्ता के दौरान बाइडन को चेतावनी दी थी। बैठक में शी ने बाइडन से कहा था कि चीन की प्राथमिकता ताइवान को बलपूर्वक नहीं बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से लेने की है। इसके अलावा, चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिकी सैन्य नेताओं के सार्वजनिक दिए गए बयानों का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि शी की 2025 या 2027 में ताइवान पर कब्जा करने की योजना है।
चीनी अधिकारियों ने शिखर सम्मेलन से पहले यह भी पूछा कि बाइडन बैठक के बाद एक सार्वजनिक बयान दें जिसमें कहा जाए कि वह ताइवान के साथ शांतिपूर्वक एकीकरण के चीन के लक्ष्य का समर्थन करते हैं। साथ ही ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते हैं। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार व्हाइट हाउस ने चीन के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
इस बारे में जब राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक प्रवक्ता से पूछा गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, शी द्वारा दी गई निजी चेतावनी पहले दी गईं उनकी पिछली सार्वजनिक टिप्पणियों से बिल्कुल अलग नहीं है। पर फिर भी इस बार अमेरिकी अधिकारियों का ध्यान इसलिए ज्यादा हो गया क्योंकि यह एक ऐसे समय में दी गई थी, जब ताइवान के प्रति चीन का व्यवहार तेजी से आक्रामक हो रहा है।
चीन के पास सैन्य सैटेलाइट्स का बड़ा नेटवर्क है लेकिन हिंद महासागर में चीन का सिर्फ एक सैन्य अड्डा है लेकिन उस पर भी हवाई सपोर्ट नहीं है। पेंटागन की अक्तूबर में जारी रिपोर्ट के अनुसार, चीन के हिंद महासागर में पाकिस्तान, तंजानिया और श्रीलंका में बेस हैं लेकिन अभी तक ये बेस सिर्फ व्यापारिक गतिविधियों तक ही सीमित हैं।
चीन का जिबूती में सैन्य अड्डा है लेकिन उस पर कोई एयर फील्ड नहीं है। साथ ही यह सैन्य अड्डा भी अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के सैन्य अड्डों से घिरा हुआ है। वहीं इसके जवाब में अमेरिका की हिंद महासागर में अच्छी खासी मौजूदगी है। अमेरिका का पांचवा बेड़ा बहरीन में तैनात है। साथ ही इसका सांतवा बेड़ा डिएगो गार्सिया द्वीप से संचालित होता है, जबकि इसका मुख्यालय जापान में है।
डिएगो गार्सिया ब्रिटेन द्वारा प्रशासित है और यहां लंबी दूरी के बॉम्बर विमान मौजूद हैं और साथ ही यहां यूएस एयरक्राफ्ट कैरियर भी तैनात हो सकता है। वहीं पूर्व में ऑस्ट्रेलिया भी लगातार समुद्र में अपनी निगरानी बढ़ा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के पी-8 पोसाइडन विमान और अमेरिका और ब्रिटेन की परमाणु पनडुब्बियां लगातार पश्चिमी तट पर निगरानी को बढ़ा रही हैं।