दिल खुश कर देगी फिल्म सलार: खानसार की अद्भुत दुनिया में प्रभास-पृथ्वीराज का जबरदस्त एक्शन

 

बॉलीवुड रॉकिंग स्टार यश की फिल्म ‘केजीएफ 1′ और केजीएफ 2’ बनाने वाले प्रशांत नील की नई फिल्म ‘सलार पार्ट 1: सीजफायर’ सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. इस बार प्रशांत ने केजीएफ से एकदम अलग दुनिया दर्शकों के लिए तैयार की है. इस नई दुनिया का नाम है खानसार. खानसार में कई ट्राइब्स हैं. यहां कई सरदार रहते हैं. लेकिन इन सबपर राज करता है सिर्फ एक राज मन्नार (जगपति बाबू). राज मन्नार के तीन बच्चे हैं, बेटा रुद्रा (रामचन्द्र राजू), बेटी राधा रमा मन्नार (श्रिया रेड्डी) और उसकी दूसरी बेटी से जन्मा बेटा वर्धा (पृथ्वीराज सुकुमारन).

 

वर्धा से उसके दोनों सौतेले भाई-बहन नफरत करते हैं. दोनों अपने पिता की राज गद्दी चाहते हैं. लेकिन खानसार में सिर्फ रुद्रा और राधा ही नहीं हैं, जो खानसार पर राज करने का सपना देख रहे हैं. इस रेस में रंगा, नारंग, भारवा और खुद वर्धा भी शामिल है. वर्धा की दोस्ती देवरथ से है, जिसे वो प्यार से देवा (प्रभास) बुलाता है. देवा और वर्धा के बीच दोस्ती की एक अटूट दीवार है. देवा, वर्धा के लिए कुछ भी कर सकता है. बचपन में उसकी नथुनी, जिसे मन्नार परिवार की इज्जत की निशानी के रूप में देखा जाता है, देवा ने एक बड़े पहलवान को धूल चटा दी थी. तो वहीं देवा के लिए वर्धा ने कुछ ऐसा किया, जिसकी वजह से उसके पिता ने उसे घर और राजगद्दी की रेस से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

 

 

‘सलार’ की कहानी 2017 में सेट है, जहां वर्धा और देवा का खास बिलाल (माइम गोपी) आध्या कृष्णकांत (श्रुति हासन) को सात साल पहले हुई उस जंग की कहानी सुना रहा है, जिसने खानसार की किस्मत पलट दी थी. इस कहानी में दोस्ती, दुश्मनी, नफरत के साथ-साथ लालच, बेईमानी, पागलपन और खून-खराबा शामिल है. ये सभी चीजें सब आप पर्दे पर देखते हैं तो आपके दिल की धड़कने तेज होती हैं और दिमाग में बस एक ही बात आती है- ‘वायलेंस, वायलेंस, वायलेंस, आई डोन्ट लाइक. बट वायलेंस लाइक मी.’

 

कहानी हो गई तो अब बात पहले डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले की कर लेते हैं. एक चीज जो प्रशांत नील को बहुत अच्छे से आती है, वो है अपनी बनाई दुनिया का इंट्रो ऑडियंस को देना और कहानी सुनाते-सुनाते आपको उस दुनिया में खींचकर उसका हिस्सा बना लेना. ये उन्होंने  ‘केजीएफ 1’ में भी किया था. और एक बार फिर ‘सलार’ के साथ कर रहे हैं. प्रशांत ने बहुत ही इत्मीनान से खानसार की दुनिया को बनाया है. अगर आपने कुछ दिन पहले ‘सलार’ की कास्ट का डायरेक्टर एसएस राजमौली संग इंटरव्यू देखा होगा तो आपको याद होगा कि पृथ्वीराज सुकुमारन ने इस बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि प्रशांत ने एक बोर्ड तैयार किया था, जिसपर खानसार के हर किरदार, हर ट्राइब, इतिहास की डीटेल लिखी थी. उस डीटेल को प्रशांत नील ने अपने हर सीन, फ्रेम और सीक्वन्स में बेहतरीन तरीके से पिरोया है.

 

इस कहानी में कई किरदार हैं, छोटे और बड़े. कई ट्राइब हैं, छोटी और बड़ी. लेकिन एक को लेकर भी आपको कन्फ्यूशन नहीं होती कि कौन-कौन है. फिल्म के फर्स्ट हाफ में हुई एक चीज का असर देशभर में हो रहा है. खानसार के लोग उसके अंदर के साथ-साथ बाहर दुनिया में भी रहते हैं. ऐसे में आपको बहुत सारी अलग-अलग लोकेशन पर अलग-अलग चीजें होती नजर आएंगी. इस सीक्वेंस इसको देखते हुए मिलने वाले थ्रिल में है, क्योंकि आपको पता है कि आगे आपकी सोच से परे कुछ होने जा रहा है. आप जिन चीजों के लिए खुद को तैयार करते हैं प्रशांत नील ने ‘सलार’ में उससे दो कदम ऊपर उठकर एक्शन और ड्रामा सर्व किया है.

 

 

खानसार भले ही डार्क कलर्स में रंगी जगह है, लेकिन सेट डिजाइन की दाद देनी पड़ेगी. खानसार पहली झलक में आपको ‘केजीएफ’ की माइन्स की याद दिलाता है, लेकिन जब आप उसके अंदर दाखिल होते हैं तो आपको पता चलता है कि ये उससे एकदम अलग है. यहां खड़ी बड़ी-बड़ी मूर्तियां, राज मन्नार का दरबार, गलियां, खानसार के चारों ओर बनी दीवार और उन दीवारों पर लगे बड़े और आधुनिक हथियार, सबकुछ जबरदस्त हैं. अपने हर फ्रेम को प्रशांत नील ने बहुत सूझबूझ के साथ बैठाया है, जिसे देखते हुए आपको काफी मजा आता है.

 

परफॉरमेंस की बात करें तो प्रभास इस फिल्म में किलिंग मशीन बने हैं. अगर अपने रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ देखी थी और उसे पसंद किया था, तो तैयार हो जाइए क्योंकि असली एनिमल क्या होता है वो डायरेक्टर प्रशांत नील और प्रभास आपको ‘सलार’ के जरिए बताएंगे. प्रभास का किरदार देवरथ उर्फ देवा शुरू से ही गुस्सैल है. वो चुपचाप रहता है. हंसता भी नहीं. लेकिन अपने सामने हो रहे गलत काम को देख भी नहीं सकता. उसकी जान दो लोगों में बसती है- एक उसकी मां (ईश्वरी राव) और दूसरा उसका बचपन का दोस्त वर्धा. वो मां के कहे बिना एक उंगली तक नहीं उठाता और वर्धा पर अगर किसी ने एक उंगली भी रख दी तो वो उसका सिर कलम कर सकता है. वो मां काली अवतार नहीं, उनका बेटा है. देवा के किरदार में प्रभास का ये अलग रूप आपको काफी पसंद आएगा.

 

प्रभास फिल्म के हीरो हैं, उन्हें पसंद करना लाजिमी है, लेकिन उनके दोस्त वर्धा के किरदार में पृथ्वीराज सुकुमारन भी कमाल हैं. पृथ्वी, वर्धा किरदार गहराई देते हैं. इमोशनल सीन्स में उनकी परफॉरमेंस आपका दिल जीत लेती है. लेकिन इमोशनल समझकर उन्हें कमजोर समझने की गलती ना करें क्योंकि जब वो प्रभास के साथ मिलकर एक्शन करते दिखेंगे, तो आपकी हवाइयां उड़ जाएंगी. वर्धा के साथ हैं उसके बाबा (टीनू आनंद), बिलाल और उसका छोटा भाई. लेकिन उसकी ताकत देवा है.

फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट श्रुति हासन, जगपति बाबू, बॉबी सिम्हा, टीनू आनंद, श्रिया रेड्डी, रामचन्द्र राजू, जॉन विजय, माइम गोपी, ईश्वरी राव संग अन्य ने कमाल का काम किया है. एक भी किरदार कहानी में गैर-जरूरी नहीं है. और एक भी एक्टर ने अपने किरदार के साथ न्याय करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है. श्रुति का अमेरिकन एक्सेंट जरूर आपके कानों को चुभ सकता है.

 

 

 

फिल्म के गाने ज्यादा खास नहीं हैं, लेकिन इसका बैकग्राउंड म्यूजिक इसे काफी ताकतवर बनाता है. ‘सलार’ के म्यूजिक पर रवि बसरूर ने अच्छा काम किया है. भुवन गौड़ा की सिनेमैटोग्राफी शानदार है. उज्वल कुलकर्णी ने इसकी एडिटिंग को काफी टाइट रखा है, हालांकि इसकी ड्यूरेशन में थोड़ी-सी कमी हो सकती थी. एक्शन डायरेक्टर Anbariv ने जिस तरह से फिल्म के स्टंट्स को डिजाइन किया है, उसकी कल्पना कर पाना काफी मुश्किल है. पिक्चर में भर-भरकर वायलेंस है, दुनियाभर का एक्शन है, एक से बढ़कर एक स्टंट कर प्रभास लोगों की जान ले रहे हैं, और आप उन्हें देखते हुए बस दंग रह जाते हैं. एक सीन में श्रुति हासन उन्हें लोगों को तोड़ते देख रही हैं. उस सीन पर श्रुति और ऑडियंस का रिएक्शन सेम है. ऐसी स्टंट कोरियोग्राफी Anbariv ने की है. बाकी ‘सलार’ की टिकट आप कब बुक करवा रहे हो?

 

 

 

 

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